छ्पी-अनछपी: 70 साल से बड़े लोगों को 5 लाख तक का मुफ्त इलाज, तेजस्वी का वादा- 200 यूनिट बिजली मुफ्त

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। भारत में 70 साल से अधिक के लोगों का पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त में होगा। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो हर घर को 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। 11 साल पहले के पटना बम ब्लास्ट मामले में चार दोषियों की फांसी की सजा को 30 साल की कैद में बदल दिया गया है। उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन के मामले में मौलाना उमर सहित 12 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने का फैसला किया गया है। इसके तहत अब 70 साल से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को पांच लाख रुपये सालाना तक मुफ्त व कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। इस योजना से 6 करोड़ बुजुर्गों को सीधा लाभ मिलेगा। इसकी पंजीकरण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि आयुष्मान भारत के तहत किसी भी आय वर्ग के 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को बीमा कवरेज मिलेगा।

200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का तेजस्वी का वादा

राजद के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि उनकी सरकार आने पर 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। तेजस्वी इन दोनों कार्यकर्ता संवाद यात्रा के तहत विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। बुधवार को समस्तीपुर में बिजली को लेकर प्रदेश की एनडीए सरकार के खिलाफ उन्होंने आक्रामक तेवर दिखाये। सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि महंगी बिजली और स्मार्ट प्रीपेड मीटर की गड़बड़ियों से यहां की जनता बुरी तरह से त्रस्त है। वे जहां भी जा रहे हैं लोग प्रीपेड मीटर की शिकायत लेकर आ रहे हैं। बहुत अधिक बिल आने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनी तो यह समस्या तुरंत दूर होगी।

पटना ब्लास्ट: फांसी की सज़ा उम्रक़ैद में बदली

भास्कर के अनुसार पटना हाई कोर्ट ने गांधी मैदान में 11 साल पहले भाजपा की हुंकार रैली में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में चार दोषियों की सजा बदल दी। निचली अदालत ने जिन्हें फांसी की सजा दी हाई कोर्ट ने उन्हें 30-30 साल की सजा सुनाई है। निचली अदालत ने दो दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने उसे बरकरार रखा है। पटना हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार की डिवीजन बेंच ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। जिन्हें सजा दी गई है उनके नाम हैं- हैदर अंसारी, मुजीबुल्लाह, इम्तियाज अली, नोमान अंसारी, उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन। हाई कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर श्रेणी का नहीं माना। निचली अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर श्रेणी का माना था। बचाव पक्ष की ओर से अजय ठाकुर, अंशुल, अंशुमान सिंह और इमरान ग़नी आदि ने दलीलें दीं। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि फैसले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाएंगे।

धर्म परिवर्तन के मामले में मौलाना उमर को उम्र कैद

हिन्दुस्तान के अनुसार लोगों को पैसा और नौकरी का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने में मौलाना उमर गौतम समेत 12 दोषियों को अदालत ने बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। शेष चार दोषियों को 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई। गाजियाबाद में दर्ज मुकदमे की पूछताछ में पता चला कि मुख्य आरोपी बाटला हाउस निवासी उमर गौतम हिंदू से मुस्लिम बना है। आरोपी ने बताया कि उसने अभी तक लगभग एक हजार गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कराया है। एटीएस से जुड़े मामले की विशेष अदालत ने मंगलवार को मो. उमर गौतम सहित 16 लोगों को इस मामले में दोषी ठहराया था।

चीन से अच्छी तरह निपट नहीं पाए मोदी: राहुल

जागरण के अनुसार लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन से अच्छी तरह से नहीं निपट पाए। उन्होंने अमेरिका में कहा कि चीन के सैनिकों ने लद्दाख में भारत के 4000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है जो दिल्ली के क्षेत्रफल के बराबर है। नेशनल प्रेस क्लब में मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में चीन पर मोदी सरकार का रुख ठीक होने से जुड़े सवाल पर राहुल ने कहा अगर आप हमारे 4000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चीनी सैनिकों की मौजूदगी को चीजों को अच्छी तरह से संभालता कहते हैं, तो हो सकता है।

बिहार में 26000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनेंगी

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में 26 हजार किलोमीटर नई ग्रामीण सड़कों का निर्माण होगा। इसके अलावा 1600 नये पुल-पुलियों का भी निर्माण किया जाएगा। ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने बुधवार को इसकी घोषणा की। वे विभागीय सभागार में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव के पहले इनका निर्माण कर लिया जाएगा। अर्थात नवंबर 2025 के पहले सड़क और पुल-पुलिये बन जाएंगे।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार में कोरोना काल से अब तक 65 लाख नए राशन कार्ड बने
  • बिहार में वोटर लिस्ट में सुधार का काम 29 अक्टूबर से शुरू होगा
  • बिहार में अगले महीने से आरा मिलों को जारी होगा लाइसेंस
  • पश्चिम बंगाल सरकार ने बैठक के लिए डॉक्टरों की शर्तें ठुकराई
  • प्रेसीडेंशियल डिबेट में कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रंप पर रही हावी

अनछपी: पिछले कुछ महीनों में बिहार में यूनिवर्सिटी और शिक्षा विभाग के बीच चली तनातनी की खबर सुर्खियां बनी थीं। उस वक़्त के शिक्षा सचिव के के पाठक और राजभवन के बीच भी काफी तकरार हुई थी। वीसी शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल होने के लिए तैयार नहीं थे और इसके नतीजे में वीसी समेत पूरे विश्वविद्यालय स्टाफ का वेतन बंद कर दिया गया था। इस बात को याद दिलाने का मकसद यह है कि यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कैसे हो, इसकी चर्चा न होकर दूसरी बातों के लिए विश्वविद्यालय खबरों में रहते हैं। इसी सिलसिले में यह बात सामने आई है कि बिहार के विश्वविद्यालय में 4 साल का अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम तो लागू कर दिया गया लेकिन इसके तहत जिन विषयों की पढ़ाई की जानी है उनमें से किसी की किताब नहीं मिल रही है। इस बारे में उच्च शिक्षा की डायरेक्टर रेखा कुमारी का कहना है कि कौशल विकास और वैल्यू एडेड कोर्स की किताबों की अनुपलब्धता दूसरे राज्यों की भी समस्या है। यानी बिहार की समस्या को वह इसलिए सही मान रही हैं क्योंकि दूसरे राज्य में भी यही समस्या है। उन्होंने ई-लाइब्रेरी की सुविधा का दावा किया लेकिन पता नहीं कितने विद्यार्थी उसका लाभ ले पा रहे हैं। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार विद्यार्थी इन विषयों की पढ़ाई के लिए इंटरनेट पर निर्भर हैं। वैसे भी बिहार में विश्वविद्यालय शायद ही किताब छापते हैं। ऐसे दस विषय हैं जिनकी किताबें नहीं मिल रही हैं, जैसे, पर्सनालिटी डेवलपमेंट,  विजुअल कम्युनिकेशन एंड फोटोग्राफी, स्टैटिसटिकल सॉफ्टवेयर पैकेज और कम्यूनिकेशन इन प्रोफेशनल लाइफ। किताबों से बड़ा सवाल यह है की क्या इन विषयों के शिक्षक भी बहाल हुए हैं? अगर शिक्षक बहाल नहीं हुए हैं तो विद्यार्थी को कौन पढ़ा रहा है? सच्चाई यह है कि बिहार में बहुत सारा काम खानापुरी के लिए किया जाता है और इसके लिए जरूरी तैयारी बिल्कुल नहीं की जाती है। इसका नतीजा आम लोग भुगतते हैं और अधिकारी और नेता को कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में इस बात की उम्मीद कम ही लगती है कि वैल्यू ऐडेड कोर्स और स्किल एनहैंसमेंट कोर्स के शिक्षकों की जल्द बहाली होगी।

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