छ्पी-अनछ्पी: आख़िरकार झारखंड में चंपई सरकार, उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड से एसटी बाहर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। झारखंड में भाजपा द्वारा तोड़फोड़ की आशंका के बीच आखिरकार झारखंड मुक्ति मोर्चा के सात बार के विधायक चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपा गया है जिसमें अनुसूचित जाति को अलग रखा गया है। आज की यह दो महत्वपूर्ण खबरें सभी जगह प्रमुखता से ली गई हैं।

हिन्दुस्तान की पहली खबर है: चंपाई झारखंड के नए सीएम। यह नाम चंपई है या चंपाई, अलग अलग अखबार अलग लिख रहे हैं। बहरहाल, हिन्दुस्तान ने लिखा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल के नेता चंपाई सोरेन शुक्रवार को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री बने। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण सामारोह में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री और उनके साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम व राजद कोटे से सत्यानंद भोक्ता को राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। 67 वर्षीय चंपाई सोरेन झारखंड के कोल्हान क्षेत्र से आने वाले छठे सीएम हैं।

पांच फरवरी को विश्वास मत

पांच फरवरी को चंपाई विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे। उन्होंने गवर्नर को 47 विधायकों के साथ होने का दावा करते हुए 43 का हस्ताक्षर युक्त समर्थन पत्र सौंपा है। उधर, झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने 49 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।

हैदराबाद गए विधायक

झारखंड के सत्ता पक्ष के विधायक हैदराबाद के लियोनी रिसॉर्ट में शिफ्ट हो गए हैं। विधायक शपथ ग्रहण से पहले ही हैदराबाद के लिए रवाना हो गए थे। सत्ता पक्ष के विधायक 5 फरवरी को झारखंड लौटेंगे। सत्ता पक्ष के 37 विधायक हैदराबाद के रिसॉर्ट पहुंचे हैं।

चुनी सरकार चुराने की कोशिश: राहुल

हिन्दुस्तान ने झारखंड के पाकुड़ से खबर दी है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा ने जिस मंसूबे से झारखंड की जनता की चुनी हुई सरकार को चुराने व उखाड़ने की कोशिश की, उसके मंसूबे को सभी लोगों ने मिलकर फेल कर दिया है। उन्होंने यह बात शुक्रवार को बंगाल से कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पहुंचने पर पाकुड़ के नसीपुर में जनसभा में कही। राहुल गांधी ने सभा में कहा कि भाजपा ने जिस तरह से साजिश रची है, वह जनता के सामने है। मुझे इस बात की खुशी है कि सभी ने मिलकर भाजपा की साजिश को उखाड़ फेंका है।

हेमंत को तुरंत राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने सोरेन की गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए, उन्हें उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता सोरेन ने ईडी द्वारा गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

यूनिफॉर्म सिविल कोड से एसटी बाहर

भास्कर की खबर है: उत्तराखंड में बहु विवाह गैरकानूनी, बेटा-बेटी को विरासत में बराबरी। उत्तराखंड में रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की समिति ने शुक्रवार को समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा। सूत्रों के अनुसार लगभग 800 पेजों के इस ड्राफ्ट में बेटा-बेटी को विरासत में समानता का अधिकार दिया गया है। विवाह और तलाक के बारे में प्रावधान रखे गए हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत तीन तलाक, हलाला और इद्दत को खत्म कर सजा का प्रावधान किया गया है। एक पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकेगी यानी बहु विवाह पर रोक लगेगी। सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड की लगभग सवा करोड़ की आबादी में से अनुसूचित जाति (एसटी) वर्ग के लगभग ढाई लाख लोग समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रहेंगे।

एक लाख और शिक्षक होंगे बहाल

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: एक लाख शिक्षक होंगे नियुक्त, मार्च में तीसरा और अगस्त में चौथा चरण। राज्य के प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में तकरीबन एक लाख शिक्षकों की नियुक्ति होगी। शुक्रवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने किशनगंज में इसकी जानकारी दी। उनके मुताबिक मार्च में तीसरे चरण और अगस्त में चौथे चरण की शिक्षक नियुक्ति होगी।

हार्डिंग पार्क में बनेगा ट्रेन टर्मिनल

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है: हार्डिंग पार्क की जमीन पर 88.35 करोड़ रुपए से बनेगा रेलवे टर्मिनल प्लेटफॉर्म। रेलवे पटना में हार्डिंग पार्क की जमीन पर एक टर्मिनल प्लेटफॉर्म बनाएगा। इसके बन जाने से पटना जंक्शन पर भीड़ कम होगी और यात्रियों व यातायात का बोझ कम होगा। राज्यसभा में शुक्रवार को भाजपा के सुशील कुमार मोदी के सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह घोषणा की। रेल मंत्री ने कहा कि पटना के हार्डिंग पार्क में 4.8 एकड़ भूमि पर टर्मिनल प्लेटफॉर्म बनाने का प्रस्ताव है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 88.35 करोड़ रुपए होगी।

सभी बीस सूत्री समिति भंग

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है कि बिहार सरकार ने सभी 38 जिलों की 20 सूत्री समितियों को भंग कर दिया है। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने शुक्रवार की शाम इसकी अधिसूचना जारी कर दी। विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ के अनुसार जिला कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व मुख्यमंत्री द्वारा नामित सदस्यों का मनोनयन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। राज्य सरकार ने 18 अक्टूबर 2023 को सभी 38 जिलों में 20 सूत्री समितियों का गठन किया था। लेकिन, इनका कार्यकाल महज 107 दिनों का ही रहा। दरअसल, सूबे में बदले राजनीतिक समीकरण और नयी सरकार के गठन के बाद 20 सूत्री समिति का भंग होना तय था। क्योंकि इस समिति में बड़ी संख्या में राजद के सदस्यों को स्थान दिया गया था। यही नहीं कांग्रेस और वामपंथी दल के प्रतिनिधि भी इस समिति के सदस्य थे।

ज्ञानवापी मस्जिद मामला: पूजा पर रोक से इनकार

जागरण की खबर है कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के बेसमेंट में देवों की पूजा अर्चना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला जज के आदेश के खिलाफ दायर प्रथम अपील में 31 जनवरी 2024 की स्थिति बहाल करने की मांग की है। सवाल उठाया कि अदालत ने 7 दिन का समय दिया था तो 9 घंटे में पूजा क्यों शुरू करा दी गई? इतनी जल्दबाजी की क्या जरूरत थी? हाई कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को वाराणसी जिला जज के 17 जनवरी के मूल आदेश को चुनौती देने की छूट दी है। इसी आदेश के तहत वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी मस्जिद के बेसमेंट का रिसीवर नियुक्त किया गया है।

कुछ और सुर्खियां

  • सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर व ऑफिस पर विदेशी चंदे को लेकर सीबीआई का छापा
  • किडनी ट्रांसप्लांट के बाद गरीब मरीजों को हर माह दवा के लिए राज्य सरकार देगी ₹18000
  • खुदरा बाजार में ₹29 किलो ‘भारत चावल’ बेचेगी सरकार
  • नेशनल हेल्थ मिशन के तहत स्वास्थ्य कर्मियों के हर माह मानदेय में ₹3000 से ₹9000 तक की बढ़ोतरी
  • आईआईटी मद्रास में यूजी कोर्स के लिए खेल कोटा लागू होगा
  • दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ईडी के सामने नहीं हुए पेश, कहा समन अवैध और राजनीति से प्रेरित

अनछपी: यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा रहा है और उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा इसके लिए समिति बनाना उसी का हिस्सा था। अब जबकि समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश कर दी है, यह सवाल करना जरूरी हो गया है कि उत्तराखंड का यूनिफॉर्म सिविल कोड कितना यूनिफॉर्म होगा। पहले भी यह कहा जाता रहा है कि भारत विविधताओं का देश है जहां अलग-अलग संस्कृति के लोग अपने-अपने तरीके से जीते हैं। यह बात पहले सरकार और समाज दोनों की ओर से मानी जाती थी लेकिन अब सरकार ऐसा ना करके यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात कर रही है तो उसे यह बताना चाहिए कि इस यूनिफॉर्म सिविल कोड से अनुसूचित जाति यानी शेड्यूल ट्राइब (एसटी) को बाहर रखने की जरूरत क्यों पड़ी। यह आरोप लगता रहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड दरअसल भारतीय जनता पार्टी की उस संवेदनहीनता का परिचायक है जिसके तहत मुसलमान को टारगेट करना उसकी नीति है। ध्यान रहे कि  यूनिफॉर्म सिविल कोड का सबसे ज्यादा विरोध मुसलमानों ने ही किया है और लॉ कमीशन ने भी माना था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना भारत में संभव नहीं है। मुसलमानों की तरह ही शेड्यूल ट्राइब के अपने सामाजिक रीति रिवाज हैं और शादी ब्याह का अलग तौर तरीका है। अब भाजपा, उत्तराखंड सरकार और सरकार के कहने पर बनी यूसीसी समिति को इस बात का जवाब देना चाहिए कि जिन कारणों से शेड्यूल ट्राइब को यूनिफॉर्म सिविल कोड से अलग रखा गया है उन्हीं कारणों से मुसलमानों को क्यों नहीं लग रखा गया। उत्तराखंड सरकार की यह कार्रवाई दरअसल संविधान की उस भावना के विरुद्ध है जिसमें अल्पसंख्यकों को अपने रीति रिवाज का पालन करने की छूट दी गई है। अगर उत्तराखंड सरकार इस यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करती है तो इसे अदालत में चुनौती देकर यह पूछा जा सकता है कि जब एसटी को इससे बाहर रखा गया है तो मुसलमान को क्यों नहीं।

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