छपी-अनछपी: कुढ़नी में कौन किसका वोट काटेगा, हइकोर्ट ने क्यों कहा- तमाशा बना दिया? फुलवारी पाइपलाइन में आग
लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुजफ्फरपुर जिले की कुढ़नी विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए कल वोटिंग होगी। गोपालगंज उपचुनाव में आरजेडी की हार के बाद अब कुढ़नी के बारे में यह सवाल उठा है कि यहां कौन किसका वोट काट रहा है और इस पर अखबारों में अच्छी चर्चा है। तब वहां एमआईएम को 12 हजार से अधिक वोट मिले थे और राजद प्रत्याशी 2000 से भी कम वोटों से हारा था। उधर पटना हाई कोर्ट के एक जज का वह बयान आज प्रभात खबर में छपा है जो पहले से वायरल है और जिसमें वह कह रहे हैं कि क्या तमाशा बना रखा है। फुलवारीशरीफ में गैस पाइपलाइन में आग लगने की खबर भी प्रमुखता से ली गई है। इसके अलावा नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा आयोग की बहस भी आज अखबारों में है।
कुढ़नी का राजनीतिक संघर्ष
जागरण की पहली खबर है: निर्णायक दौर में कुढ़नी का राजनीतिक संघर्ष। अखबार लिखता है कि वहां प्रचार थम गया है जिसमें नीतीश कुमार व तेजस्वी यादव की सभा के बाद भाजपा और वीआईपी ने भी ताकत झोंकी है। यहां 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के उम्मीदवार अनिल सहनी ने जीत हासिल की थी लेकिन उन्हें अयोग्य करार देने के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है। 2020 में भाजपा और जदयू एक साथ थे तब भाजपा के उम्मीदवार केदार गुप्ता 712 वोट से चुनाव हार गए थे। भास्कर की सुर्खी है: कुढ़नी उपचुनाव: वीआईपी और एआईएमआईएम काटेंगे वोट, जदयू-भाजपा के बीच होगी सीधी टक्कर। अब 8 दिसंबर को यह पता चलेगा कि किसे जीत मिलती है और कौन किसका कितना वोट काटता है। इस बीच, उसी इलाके से यह खबर भी है कि आरजेडी और जेडीयू में रहे पूर्व मंत्री रमई राम की बेटी डॉ. गीता भाजपा में शामिल हो गई है। वह मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी में थी और वह उपचुनाव में उसकी उम्मीदवार भी थीं।
प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: जमीन के नीचे गैस पाइपलाइन में लगी आग, छह घंटे तक दहशत। अखबार लिखता है कि फुलवारी शरीफ में बड़ा हादसा टल गया हालांकि इस वजह से पटना में सीएनजी और पीएनजी की सप्लाई बंद हो गई है। सड़क की एक लाइन पर ट्रैफिक रोक दिया गया और मौके पर पहुंचे गेल के कर्मी ने लीकेज ठीक किया। पटना खगौल मुख्य मार्ग के टमटम पड़ाव के पास जमीन के अंदर बिछाई गई गेल इंडिया के गैस पाइपलाइन में शनिवार को आग लगने से अफरा-तफरी मच गई थी।
मुआवजा न लेने पर भू अधिग्रहण रद्द
हिन्दुस्तान की पहली सुर्खी है: मुआवजा न लेने पर भू अधिग्रहण रद्द नहीं। अख़बार लिखता है: सुप्रीम कोर्ट ने पुराने कानून के तहत भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई के मामलों में संशय के बादल हटाते हुए हाईकोर्ट के 10 से ज्यादा फैसलों को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने पुराने कानून के तहत ली गई भूमि के मामलों में अधिग्रहण की कार्रवाई को समाप्त कर दिया था और नए कानून (2013) के तहत बढ़ा हुआ मुआवजा देने के आदेश दिए थे। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दस एसएलपी दायर कर हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती दी थी। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई हुई।
40 हज़ार लेकर बिहार ओपन बोर्ड की मार्कशीट
भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: भास्कर स्टिंग में 40 हज़ार लेकर बिहार ओपन बोर्ड की मार्कशीट बनाने का धंधा बेनकाब, हमारी सूचना पर ईओयू ने गैंग को दबोचा।अखबार ने लिखा है: हमने बिना परीक्षा दिए मार्कशीट बनाने के रैकेट का खुलासा किया, छपने से पहले अफसरों को बताया ताकि भाग न जाए अपराधी। अखबार ने यह काम एक एजेंसी एडमिशन प्रोवाइडर के जरिए कराई जिस के संचालक फहीम अहमद को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
50 से अधिक उम्र वाले नहीं बन सकेंगे सिविल सर्जन
हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: 50 से अधिक उम्र वाले नहीं बन सकेंगे सिविल सर्जन। अखबार लिखता है:
दरअसल, राज्य के अधिकतर सिविल सर्जन 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि सिविल सर्जन फील्ड के लिए सबसे सक्षम व वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी होते हैं। ऐसे में उनका चुस्त-दुरुस्त होना जरूरी है। इसी के आलोक में विभाग इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है कि क्यों न सिविल सर्जन की अधिकतम उम्र सीमा 50 वर्ष कर दी जाए।
जेल में कैदियों से मालिश
प्रभात खबर और भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर जेल के बारे में है। प्रभात खबर की सुर्खी है: जेल में जमीन से 6 फुट नीचे दबा रखे थे 35 फोन, जेल वार्डन सहित तीन निलंबित। यह मामला आरा जेल का है जहां से 15 कैदियों को दूसरी जेल में शिफ्ट किया जाएगा। ऑपरेशन क्लीन नाम की दी गई इस कार्रवाई की भास्कर में खबर है: सीवान जेल में वसूली, कैदियों से मालिश असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट समेत चार सस्पेंड।
आयोग निकाय चुनाव में आरक्षण की सीमा और अति पिछड़ा वर्ग आयोग
जागरण ने पहले पेज पर यह खबर दी है: हाईकोर्ट की जानकारी में अति पिछड़ा वर्ग आयोग को दी गई थी जिम्मेदारी। यह बात नगर विकास विभाग ने शनिवार को उस सवाल के जवाब में कही है जिसमें यह कहा जा रहा था कि अति पिछड़ा वर्ग आयोग निकाय चुनाव में आरक्षण की सीमा निर्धारित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप डेडिकेटेड कमीशन है या विभाग का कहना है कि मध्य प्रदेश में भी पहले से मौजूद आयोग को ही डेडिकेटेड कमीशन का दर्जा दिया गया था। इस बीच चुनाव आयोग अपनी तैयारी जारी रखे हुए हैं और इस सिलसिले की नई खबर प्रभात खबर में है: वोट डालने से पहले लिया जाएगा फोटो, वोटर सूची से होगा मिलान। जागरण ने लिखा है एफआरएस तकनीक से होगा नगर निकाय चुनाव। एफआरएस का मतलब है फेस रिकॉग्निशन सिस्टम। इधर भाजपा के नेताओं ने अति पिछड़ा वर्ग की सूची से कथि सवर्ण मुस्लिमों को हटाने की मांग की है।
मंदिरों में फोन बैन
प्रभात खबर ने पहले पेज पर तमिलनाडु से खबर दी है: मंदिरों में फोन बैन, हाईकोर्ट बोला पवित्रता जरूरी। मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह राज्य भर के मंदिरों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लागू करें ताकि मंदिरों की शुद्धता और पवित्रता को बरकरार रखा जा सके। जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस जे सत्यनारायण प्रसाद की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्त विभाग को यह निर्देश दिया।
तमाशा बना दिया…
प्रभात खबर की एक सुर्खी है: तमाशा बना दिया… किसी का भी घर बुलडोज़र ढहा देंगे: हाईकोर्ट। यह मामला पटना के अगम कुआं थाना क्षेत्र के एक घर को अवैध बताते हुए बुलडोजर से हटाने का मामला है पूर्ण राम इस बारे में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने भू माफिया के साथ मिलकर ऐसा किया है। इसी मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकल पीठ ने इस संबंध में टिप्पणी करते हुए कहां की जब पुलिस ही ऐसा काम करेगी तो फिर सिविल कोर्ट की कोई जरूरत नहीं महसूस होती है पूर्ण राम कोर्ट ने पुलिस के मनमाने रवैए पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्या यहां भी पुलिस का बुलडोजर चलेगा प्रोग्राम तमाशा बना दिया है…किसी का भी घर बुलडोजर से ढाह देंगे। कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या पुलिस को वह सारी ताकत मिल गई है जो कोर्ट के पास मौजूद है।
अनछपी: पटना हाईकोर्ट की बुलडोजर संबंधी टिप्पणी पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकती है। इस टिप्पणी को यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है जो तीन चार दिनों से सोशल मीडिया पर उपलब्ध है। ताज्जुब की बात यह है कि पटना के अखबारों ने इसे तवज्जो नहीं दी और आज पहली बार प्रभात खबर ने इसे प्रकाशित किया है। यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि भारतीय जनता पार्टी के शासन में चलने वाले राज्यों में बिना किसी अदालती कार्रवाई के घरों को ढहाने का रवैया आम है। अधिकतर इसके शिकार मुस्लिम समुदाय के लोग होते हैं। अफसोस की बात यह भी है कि वहां की अदालतें उन सरकारों पर ऐसी असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण कार्रवाइयों से रोकने में कामयाब नहीं हुई है। ऐसे में जरूरत है कि पटना हाई कोर्ट के जज की टिप्पणी को ज्यादा से ज्यादा तवज्जो दी जाए।
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