छपी-अनछपीः बेगूसराय गोलीकांड साजिश? कांग्रेस के विधायक फिर तोड़ ले गयी भाजपा
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। विधायक और सांसद खुद को जनता का प्रतिनिधि कहते हैं मगर मतदाता उन्हें जिस पार्टी के लिए चुनकर भेजते हैं उसकी कोई अहमियत बाकी नहीं रहे तो ऐसे लोकतंत्र का क्या हो सकता है? सोचने की बात यह भी है कि विधायक टूटकर अक्सर भाजपा में ही क्यों जाते हैं और गोवा में यह बार-बार क्यों हो रहा। हालांकि यह कहना सही नहीं होगा कि बाकी दल ऐसे नहीं करते। यह खबर सभी जगह पहले पेज पर है लेकिन बिहार के हिन्दी अखबारों में बेगूसराय से हुई गोलीबारी की खबर लगातार दूसरे दिन लीड बनी है।
इस आलेख के साथ लगी तस्वीर बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह की है जो वहां गोलीकांड के बाद जायजा लेने पहंुचे थे मगर बाइक सवारी में हेल्मेट नहीं पहने थे। यह पता नहीं चला कि पुलिस ने अब तक उनका चालान क्यों नहीं काटा।
हिंदुस्तान की सबसे बड़ी खबर बेगूसराय कांड के बारे में है। इसकी सुर्खी हैः किसी ने जानबूझकर दिया घटना को अंजामः नीतीश। जागरण ने लिखा हैः गोलीकांड के 30 घंटे बाद भी गिरफ्तारी नहीं। भास्कर की सुर्खी हैः 1 नहीं, 2 बाइक पर थे 4 अपराधी। प्रभात खबरः दो बाइकों से चार लोगों ने मचाया आतंक। अब इन्हें पकड़ने के लिए 50 हजार का इनाम रखा गया है।
जागरण की एक अहम खबर की सुर्खी हैः गोवा में कांग्रेस के दो तिहाई विधायक फिर भाजपा में। हिन्दुस्तान ने लिखा हैः गोवा के आठ कांग्रेस विधायक भाजपा में। वहां कांग्रेस के कुल 11 विधायक थे। जागरण के अनुसार इन विधायकों के टूटने की अफवाह 10 जुलाई को भी फैली थी। कांग्रेसी के प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने कहा कि प्रदेश के नौ लोगों ने इन विधाकयों को कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुना था। इन्होंने मंदिर, चर्च और दरगाह में शपथ ली थी कि वे जीतने के बाद भाजपा में नहीं जांएगे।
झारखंड से एक महत्वपूर्ण खबर यह है कि वहां की कैबिनेट ने यह फैसला किया है कि 1932 के खतियान को ही पहचान का आधार माना जाएगा। पहले 1985 को आधार माना जा रहा था। इसके साथ वहां की कैबिनेट में यह भी फैसला लिया है कि अब आरक्षण की सीमा 77 % होगी। यह खबर सभी अखबारों में है और जागरण ने इसकी सुर्खी दी हैः धौनी, रघुवर समेत झारखंड में रहने वाले लाखों लोग कह जाएंगे बाहरी। यह बाहरी-स्थानीय की बहस वहां नौकरियां पाने के लिए अहम मानी जा रही है।
आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद अभी अपने पद पर बने रहेंगे हालांकि इस सिलसिले में 10 अक्टूबर को होने वाली बैठक में अंतिम मुहर लगाई जाएगी। यह खबर सभी जगह है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सचिव बने रहेंगे। इसके लिए बीसीसीआई के संविधान में परिवर्तन को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। यह संविधान भी सुप्रीम कोर्ट से अनुमोदित था। जय शाह के साथ बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गांगुली को भी 3 साल के लिए और अपने पद पर बने रहने का मौका मिल गया। यह खबर सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है।
हिंदुस्तान की खबर है कि सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दी जाने वाली दवाओं की संख्या बढ़ेगी। इसमें यह बताया गया है कि प्रयोग में नहीं आने वाली दवाओं को हटाया जाएगा। खबर के अनुसार बिहार में इस समय 400 करोड़ की 250 प्रकार की दवाओं का वितरण होता है।
अनछपीः अब एक ऐसी खबर जो पटना के अखबारों में तो नहीं आयी लेकिन उसकी चर्चा बहुत है। सीवान के बड़हरिया थाने के पुरानी बाजार के पश्चिम टोले में महावीरी अखाड़े के जुलूस में शामिल उपद्रवियों द्वारा मस्जिद में नमाज पढ़ रहे लोगों पर रोड़ेबाजी करने के बाद हुए हंगामे के सिलसिले में रिजवान नाम के एक बच्चे को पुलिस ने पकड़ लिया था। इस केस में दोनों पक्षों के 10-10 लोगों को गिरफ्तार किय गया था। रिजवान का मामला इसलिए चर्चा में आया कि उसके घरवाले उसकी उम्र 8 साल बता रहे थे जबकि पुलिस ने बाद मंे प्रेस काॅन्फ्रेंस कर उसकी उम्र 13 साल बतायी थी। रिजवान को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश कर बाल सुधार गृह भेज दिया गया था। अब उसे जमानत पर छोड़ दिया गया है। लेकिन इससे समस्या का हल नहीं निकलता। ध्यान रहे कि रिजवान के दादा को भी इसी मामले में आरोपित कर गिरफ्तार किया गया था।
असल सवाल यह है कि सरकार बदल गयी है, सरकार में सेकुलरिज्म का दावा करने वाले दल हैं लेकिन क्या पुलिस और प्रशासन का रवैया बदला है? आखिर इन जुलूसों में बजने वाले भड़काउ गाने और लगाये जाने वाले रुकते क्यों नहीं? आखिर पुलिस का खुफिया तंत्र क्या करता है? कहीं उसकी मिलीभगत तो दंगाइयों के साथ नहीं रहती? नयी सरकार ने अगर इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में राज्य का माहौल बिगाड़ने वाले दल हालात को और खराब करने से चूकेंगे नहीं।
748 total views