छपी-अनछपी: बिहार में ‘अपने बूते भाजपा सरकार’, सवा को खुद स्कॉलरशिप देगी बिहार सरकार
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुजफ्फरपुर के पारू प्रखंड में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा ने पहले लोकसभा सम्मेलन में कहा कि बिहार में भाजपा अपने दम पर सरकार बनाएगी। इससे जुड़ी खबरें आज के अखबारों में प्रमुखता से छपी हैं। पिछड़े और अति पिछड़े छात्रों को प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप देने के मामले में राज्य सरकार ने अहम निर्णय लिया है और अब वह केंद्र की सहायता के बिना खुद ही सवा करोड़ छात्रों को यह स्कॉलरशिप देगी। इस खबर को भी अच्छी कवरेज मिली है।
हिन्दुस्तान की पहली खबर है: बिहार में भाजपा अपने बूते सरकार बनाएगी। जागरण की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: बिहार चाहता है बदलाव: नड्डा। अखबारों के अनुसार जेपी नड्डा ने कहा की प्रधानमंत्री के कालजयी नेतृत्व में देश भर में जारी विकास यात्रा में बिहार पीछे न छूट जाए इसलिए जरूरी है कि बिहार में पूर्ण बहुमत से विशुद्ध भाजपा की सरकार बने। उन्होंने नीतीश कुमार पर जनादेश के अपमान का आरोप लगाया और कहा कि बिहार को जंगल राज की ओर ले जाना चाहता है राजद और जदयू का गठबंधन।
कमज़ोर सीटों की पहचान
भारतीय जनता पार्टी इस समय लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के तहत ऐसे लोकसभा क्षेत्रों की पहचान करने में लगी है जो उसकी नजर में कमजोर हैं। हिंदुस्तान ने लिखा है कि बिहार झारखंड की कमजोर सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ताकत झोंकेगी। इस संबंध में भास्कर की यह सुर्खी बहुत ही अर्थपूर्ण है: सहयोगी लोजपा की सीटों को भी कमजोर मान रही भाजपा, 10 सीटों पर अभियान शुरू। ध्यान रहे कि 2019 में जनता दल यूनाइटेड भारतीय जनता पार्टी के साथ था और एनडीए को बिहार की 40 में से 39 सीटें मिली थीं। इनमें 17 भारतीय जनता पार्टी को और 16 जदयू को मिली थी जबकि रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के 6 सांसद चुने गए थे। रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी दो फाड़ हो गई और अब भारतीय जनता पार्टी समझती है कि उन छह सीटों पर भी उसे काम करना होगा हालांकि अभी यह तय नहीं है कि उनमें कितनी सीट लोजपा के पारस गुट के उम्मीदवारों को दिया जाएगा।
बिहार सरकार की अपनी स्कॉलरशिप
भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: सवा करोड़ छात्रों को खुद स्कॉलरशिप देगी सरकार… नाम मुख्यमंत्री पिछड़ा/ अत्यंत पिछड़ा प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति होगा। इसमें बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से छात्रों को राज्य सरकार की नई छात्रवृत्ति का लाभ मिलेगा। राज्य सरकार पहली से दसवीं क्लास के 1.25 करोड़ छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप देने के लिए केंद्र से मिलने वाली 50 फीसदी राशि नहीं लेगी। अब तक इन छात्रों को केंद्र राज्य संपोषित 50-50 फीसदी योजना से स्कॉलरशिप मिलती रही है। पर अब केंद्र सरकार नौवीं और दसवीं क्लास के छात्रों को छोड़कर पहली से आठवीं क्लास के छात्रों के लिए पीएम यशस्वी योजना चला रही है। इस कारण राज्य सरकार ने अब पीएम योजना बंद करने का निर्णय लिया है। इसके तहत पहली से छठी के अलावा सात से 10 कक्षा तक के छात्रों को ₹1800 सालाना मिलेगा।
मंत्री के बोल और सरकार का बयान
जागरण की पहली खबर है: मंत्री की बात को सरकार का बयान नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट। भास्कर ने लिखा है: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसी भी आपत्तिजनक बयानों के लिए सरकार को नहीं खुद मंत्री को जिम्मेदार माना जाए। जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह फैसला सार्वजनिक पद धारण करने वाले लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर और पाबंदियां लगाए जाने के मामले में सुनाया है। हालांकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि अगर बयान मंत्री की आधारिक हैसियत से दिया गया है तो सरकार की जिम्मेदारी मानी जाएगी। अगर व्यक्तिगत हैसियत से दिया गया है तो मंत्री की व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं।
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अनछपी: बिहार सरकार द्वारा दसवीं तक के विद्यार्थियों को अपनी ओर से स्कॉलरशिप देने का फैसला बहुत ही अहम है। केंद्र से 50-50 फीसद के समझौते पर मिलने वाली छात्रवृत्ति मिलने में काफी देर होती थी। उसमें यह झगड़ा भी होता था कि यह योजना केंद्र चला रही है या राज्य सरकार। अफसोस की बात है कि विद्यार्थियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप भी राजनीति का शिकार हो जाती है। बिहार की नई स्कॉलरशिप से पिछड़ों और अति पिछड़ों को तो लाभ मिल जाएगा लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए केंद्र से मिलने वाली प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति को आठवीं तक बंद कर दिया गया है। बिहार सरकार चाहती तो अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को भी नई योजना में शामिल कर सकती थी। ऐसे में पहली से आठवीं तक के अल्पसंख्यक विद्यार्थी प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप से वंचित रह जाएंगे। बिहार सरकार अब भी चाहे तो अल्पसंख्यकों को भी इस योजना में शामिल कर सकती है। अल्पसंख्यक समाज के जो नेता और बुद्धिजीवी हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने गए थे उन्हें भी चाहिए कि इस और नीतीश कुमार का ध्यान आकृष्ट कराएं।
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