छपी-अनछपी: मुहर्रम पर राज्य भर में अलर्ट, मणिपुर में हिंसा और संसद में हंगामा जारी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार पुलिस मुख्यालय ने मोहर्रम को लेकर सभी जिलों में पुलिस प्रशासन को अलर्ट किया है। इसकी ख़बर को काफी महत्व दिया गया है। दो दिन पहले ही दरभंगा में मुहर्रम के झंडे को लेकर बवाल हुआ था। मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है और इस पर संसद में चर्चा के बजाय हंगामा भी। इससे जुड़ी खबरों को भी पहले पेज पर जगह दी गई है। बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट की रोक (साथ लगी तस्वीर) की खबर को भी अच्छी जगह मिली है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: मुहर्रम पर राज्य भर में अलर्ट, पुलिसकर्मियों की छुट्टी रद्द। राज्य पुलिस मुख्यालय ने मुहर्रम को लेकर सभी जिलों में पुलिस-प्रशासन को अलर्ट किया है। इसके मद्देनजर सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां भी एक अगस्त तक रद्द कर दी गयी हैं। जिला प्रशासन को अपने यहां थानावार शांति समिति की बैठक करने का निर्देश दिया गया है। मुहर्रम को लेकर संवेदनशील स्थलों को चिन्हित किया गया है। पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर संवेदशनील जिलों में जिला बल के अलावा अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की भी तैयारी है। इसके लिए अतिरिक्त पुलिस बलों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। मुहर्रम 29 जुलाई को मनाया जाएगा।

मणिपुर में हिंसा जारी

जागरण की खबर है: मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, केंद्रीय मंत्री के घर पर हमला। मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के इंफाल के कोंगबा स्थित आवास पर फिर हमला किया गया। महिला रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मंत्री आवास पर पथराव किया और मांग की कि जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य की स्थिति के बारे में वे संसद में बोलें। दो महीने में दूसरी बार है जब मंत्री के घर पर हमला हुआ है। हालांकि हमले के वक्त घर पर कोई मौजूद नहीं था और ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।

संसद में हंगामा नहीं रुका

मणिपुर में जारी हिंसा पर चर्चा कराने को लेकर संसद के बाहर और भीतर सरकार तथा विपक्ष के बीच जारी संग्राम के चलते लगातार तीसरे दिन संसद की कार्यवाही नहीं चल पाई। गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के लिए सरकार के तैयार रहने की सदन में घोषणा कर गतिरोध तोड़ने के लिए सत्तापक्ष की पहल का संदेश दिया। मगर प्रधानमंत्री के सदन में बयान के बाद विशिष्ट नियमों के तहत चर्चा की मांग पर कायम विपक्ष को यह पेशकश मंजूर नहीं हुई। गृह मंत्री ने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया। वहीं सरकार की पेशकश को प्रतीकात्मक बताते हुए विपक्षी गठबंधन ने दोनों सदनों में हंगामा नारेबाजी की। सरकार मणिपुर पर संक्षिप्त चर्चा चाहती है जबकि विपक्ष नियम 267 के तहत लंबी चर्चा पर अड़ा हुआ है क्योंकि इस नियम के तहत वोटिंग का भी प्रावधान है।

ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर सुप्रीम रोक

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: ज्ञानवापी में साढे पांच घंटे सर्वे, सुप्रीम कोर्ट की दखल से रुका। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर दो दिन की रोक लगा दी। यह रोक 26 जुलाई को शाम पांच बजे तक रहेगी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ज्ञानवापी परिसर की अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की मांग पर तत्काल सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया। यह आदेश तब आया, जब सोमवार को एएसआई ने परिसर के अंदर सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कमेटी को राहत देते हुए उसे परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करने को कहा है।

स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड में फर्जीवाड़ा

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड: पैसे डकार फर्जी कॉलेज बंद हो रहे, सरकार के डूबे 64 करोड़, 6160 विद्यार्थी डिफॉल्टर। अखबार लिखता है कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के करोड़ों डकार कर मास्टरमाइंड अपने सभी संस्थानों को बंद कर निशान तक मिटा रहे हैं। ऐसे तीन दर्जन संस्थानों के ठिकानों पर जब भास्कर की टीम पहुंची तो वहां कोई नाम लेवा तक नहीं मिल। सैकड़ों विद्यार्थियों के नामांकन वाले कॉलेजों के बोर्ड तक उतार दिए गए हैं। इस गड़बड़ी के कारण सरकार के लगभग 64 करोड डूबने के कगार पर हैं। 6160 विद्यार्थी डिफॉल्टर हो चुके हैं। इनमें गलत संस्थानों के झांसे में आकर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के पैसे से नामांकन लेने के बाद में पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थी भी शामिल हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • रेल हादसा होने से बचा: जाना था मोतिहारी रूट से, दे दिया हाजीपुर का सिग्नल, कॉशन देख लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाई
  • राजद के बड़हरिया विधायक बच्चा पांडे पर चेक बाउंस होने के मामले में उत्तराखंड की अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया
  • राजस्थान विधानसभा में डायरी का लाल तूफान, सदन में बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने लहराई लाल डेयरी मंत्री धारीवाल से भिड़े
  • सऊदी अरब के फुटबॉल क्लब अल हिलाल ने फ्रांस के एमबापे के लिए रिकॉर्ड 2720 करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया
  • हॉलीवुड फिल्म ओपनहायमर से भगवत गीता वाला सीन हटाएं: मंत्री अनुराग ठाकुर
  • पटना और भागलपुर के गंगा घाट की क्रूज़ से शहर की तैयारी
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का निर्देश- कर्ज वसूली के दौरान मानवता का भाव दिखाएं बैंक

अनछपी: मणिपुर में जो हिंसा पिछले 3 मई से जारी है उससे अब गृह युद्ध कहने से कौन सी बात रोक सकता है? सेना की तैनाती के बावजूद मंत्रियों के घर पर हमले हो रहे हैं और महिलाओं के साथ जो बर्बरता बढ़ती गई है वह सबके सामने है। इस बारे में काफी कुछ लिखा जा चुका है लेकिन अफसोसनाक बात यह है कि सरकार मणिपुर हिंसा पर काबू पाने में बिल्कुल ना काम है जबकि वहां कथित डबल इंजन की सरकार है। संसद वह जगह है जहां इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हो सकती है लेकिन सरकार और विपक्ष इस बार एकमत नहीं हो पा रहे हैं कि वहां पर बहस किस नियम के तहत हो। विपक्ष चाहता है कि मणिपुर पर नियम 267 के तहत लंबी चर्चा हो जिसके बाद वोटिंग भी कराई जाती है लेकिन सरकार इस मुद्दे पर संक्षिप्त चर्चा कराना चाहती है। इसके साथ ही सरकार के लोग यह आरोप भी लगाते हैं कि विपक्ष चर्चा नहीं होने देना चाहता लेकिन वह यह नहीं बताते कि विपक्ष किस चर्चा के लिए तैयार है और सरकार क्यों उस चर्चा के लिए तैयार नहीं है। सरकार जानती है कि अगर मणिपुर हिंसा पर लंबी चर्चा हुई तो विपक्ष को काफी कुछ बोलने का मौका मिलेगा और ऐसा लगता है कि सरकार यह मौका विपक्ष को नहीं देना चाहती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस गतिरोध को तोड़ने के लिए विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खरगे से बात की लेकिन मुद्दा वही है कि वह किस नियम के तहत हो। पक्ष विपक्ष की राजनीति का सबसे बड़ा नुकसान मणिपुर के लोगों को हो रहा है और इस पर एक सार्थक चर्चा से बच रही सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागने का बहाना भी ढूंढ रही है। वास्तव में यह मणिपुर और देश का दुर्भाग्य है कि वहां अब तक हिंसा नहीं रुकी है और हिंसा पीड़ित लोग न्याय की गुहार लगा रहे हैं जबकि संसद में हर दिन सिर्फ हंगामा हो रहा है। अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह लंबी चर्चा के लिए तैयार हो तो संसद का गतिरोध टूटे और मणिपुर के मामले पर गंभीर चर्चा हो।

 

 

 

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