बीजेपी मुक्त हों नीतीश तो लीडर अच्छे हैं

मधुबनी-मोतिहारी से समी ख़ान 
दरभंगाा-मधुबनी और चम्पारण के मुस्लिम वोटरों के लिए सबसे अहम मुद्दा है फासिस्ट ताकतों को सत्ता में आने से रोका जाए। उनके लिए आरजेडी के तेजस्वी यादव भी अच्छे हैं और उन्हें नीतीश कुमार के जदयू से भी परहेज नहीं है। परंतु नीतीश कुमार का नाम आने पर वे कहते हैं कि उन्हें यह बात बिल्कुल पसंद नहीं कि वे फासिस्ट ताकतों के साथ मिलकर सरकार बनाएं-चलाएं। कई लोगों ने कहा कि नीतीश कुमार अच्छे लीडर हैं लेकिन उन्हें बीजेपी मुक्त होना चाहिए।

मधुबनी और मोतिहारी के गांव-शहर के लोगों से मुलमानों से बातचीत में एक युवा ने कहा कि हमें मुल्क से मुहब्बत है लेकिन हालात से तकलीफ है। मुसलमानों की हर जगह उपेक्षा की जाती है और उनके युवा नेतृत्व को कुचला जा रहा है। बिहार में अगर फासिस्ट ताकतें सरकार में आती हैं तो आशंका है कि यहां भी वही सब होगा जो राष्ट्ीय स्तर पर पिछले कुछ वर्षों से होता आ रहा है।

युवा एजाज अहमद नदवी मस्जिद के इमाम हैं और किराना दुकान भी चलाते हैं। वे कहते हैं कि हमारी कोई लंबी-चैड़ी मांग नहीं है। हमें हिफाजत मिले और शरीयत के जो कानून संविधान से मान्य हैं, उनमें तो कोई छेड़छाड़ न हो। उनकी इच्छा है कि देश से डर का माहौल खत्म हो, माॅब लिंचिंग को सख्ती से रोका जाए। किसी के लिए दाढ़ी-टोपी रखकर सफर करना मुश्किल न हो।

कई लोगों ने कहा कि पहले कहते हैं कि मुसलमानों को अच्छी लीडरशिप नहीं मिलती और जब कोई लीडरशिप मिलती है तो उसे झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल में ठंूस देते हैं। उन्हें जिन्ना या किसी और नाम से बदनाम करते हैं। वे कहते हैं कि हमें जिन्ना से क्या मतलब। हम तो सही से जिन्ना को जानते भी नहीं हैं। हमें समान दर्जा दिया जाए और मीडिया जो मुसलमानों के बारे में झूठ-नफरत फैलाता है उसे रोका जाए।
मोहम्मद नवाज एमटेक हैं और उन्हें पाॅलिटिक्स से बहुत दिलचस्पी नहीं लेकिन तेजस्वी यादव की दस लाख लोगों को रोजगार देने की बात उन्हें बहुत अच्छी लगी है।

कई मुसलमानों ने कहा कि अक्सर नेता चुनाव के वक्त तो बहुत सी बातें करते हैं लेकिन संसद या विधानसभा में जब मुसलमानों के अधिकार का मुद्दा आता है तो वे उनका साथ नहीं देते। वे या तो चुप बैठ जाते हैं या सरकार के साथ हो जाते हैं। कई लोग तो ऐसे भी होते हैं कि जिस विचारधारा वाली पार्टी से जीतते हैं, लालच में ठीक उलटी विचारधारा वाली पार्टी में शामिल हो जाते हैं।

बहत्तर साल के मंजर आलम कहते हैं नीतीश कुमार अच्छे लीडर हैं लेकिन उनकी संगत सही नहीं है। उन्हें बीजेपीमुक्त हो जाना चाहिए। उनकी मांग है कि जैसी सुरक्षा लालू प्रसाद के समय में थी, मुसलमानों को वही विश्वास दोबारा मिले।

साहिल फव्वाद मेडिकल काॅलेज में दाखिले की तैयार कर रहे हैं। अलीगढ़ से प्लस टू किया है। उनका कहना है कि मुसलमानों की युवा लीडरशिप को कुचला जा रहा है। हमेशा कोई न कोई बहाना बनाकर मुसलमानों को नकारात्मक कामों में उलझाये रखा जाता है। उनकी इच्छा है कि बिहार में उच्च शिक्षा की ऐसी व्यवस्था हो कि यहां के छात्रों को बाहर जाने को मजबूर न होना पड़े। उनका कहना है कि उन्होंने लालू राज नहीं देखा लेकिन नीतीश कुमार अच्छे नेता हैैं, उन्हें सही साथी तलाशना चाहिए।

कई लोगों ने कहा कि हम दूसरों का झंडा ढोते-ढोते थक चुके हैं। अपनी लीडरशिप नहीं मिलती है और जो मिलती है वह कारगर होने नहीं होने दी जाती है। इसलिए जिस पार्टी के लोग भी आएं उनसे मुसलमानों के प्रतिनिधत्व और उनके अधिकार के लिए आवाज उठाने की मांग करें।
कलीमुल्लाह नौशाद ने इंजीनियरिंग की है और मुंबई में अपनी रियल इस्टेट कंपनी चलाते हैं। उनका कहना है कि अभी के माहौल में मुसलमानों पर मानसिक रूप से बहुत दबाव बना दिया गया है। सरकार जताना चाहती है कि मुसलमान इस बात से खौफजदा रहें कि किसकी सरकार है। उनकी इच्छा साफ-सुथरी सरकार की है जो मुसलमानों और अन्य कमजोर वर्गों को सुरक्षा दे और उसके कल्याण के बारे में सोचे।
कई लोगों ने कहा कि हमारे वोट से जो लोग जीतकर संसद-विधानसभा पहुंचते हैं वे पार्टी लाइन का बहाना बनाकर वैसी बात भी नहीं बोलते जिसे वे खुद मानते हैं कि सही है।

मोहम्मद वाजिद अली किसान हैं और बाढ़ में फसल की बर्बादी से और लाॅकडाउन से परेशान हैं। वे कहते हैं कि हमें सीएए-एनआरसी के नाम पर बहुत परेशान किया गया है। हमें ऐसा लीडर चाहिए जो यह माने कि हम सब हिन्दुस्तानी हैं और हम सबका है हिन्दुस्तान।

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