बहुमूल्य किताबों और पांडुलिपियों का भंडार है खुदा बख़्श लाइब्रेरी में

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट

खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी। यह नाम तो आपने सुन रखा होगा। सामने अशोक राजपथ और पीछे गंगा नदी। इन दोनों के बीच खड़ी है खुदाबख्श लाइब्रेरी। आम पाठकों के लिए भी उतनी ही ज़रूरी जितनी रिसर्च स्कॉलर्स के लिए। बहुमूल्य किताबों और पांडुलिपियों का भंडार। बेशक़ीमती ऐतिहासिक संग्रह। मगर इस अद्वितीय लाइब्रेरी को भी पिछले कई वर्षों में दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले तो नियमित डाइरेक्टर की कमी थी। स्टाफ कम हो गए थे। एक तरह से लावारिस हालत हो गयी थी इस लाइब्रेरी की। इसकी वर्तमान डायरेक्टर डाॅ. शाइस्ता बेदार के आने के बाद से हालात सुधर रहे हैं। लेकिन सवाल है, किस हद तक? लाइब्रेरी के इतिहास से लेकर वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा के लिए बिहार लोक संवाद डाॅट नेट के कंसल्टिंग एडिटर समी अहमद ने शाइस्ता बेदार से बात की। आइए देखते हैं, इंटरव्यू के वो ख़ास जिससे जो आपके लिए काफ़ी अहम हो सकते हैं।

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