बिहार में दूसरी सरकारी भाषा उर्दू की हालत निचले स्तर पर चिंताजनक

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
पटना, 16 दिसंबर: बिहार में उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा का दर्जा हासिल है। लेकिन प्रदेश में इसकी हालत अजीबोगरीब है। एक तरफ जहां पटना विश्वविद्यालय के पीजी उर्दू विभाग में निर्धारित सीट से तक़रीबन दुगनी संख्या में दाखि़ला के लिए एपलीकेंट हैं तो दूसरी तरफ़ मगध महिला काॅलेज के उर्दू यूजी विभाग में दाखि़ला लेने वालों की तादाद निराशाजनक रूप से कम हैै।

पीयू के पीजी उर्दू विभाग में 40 सीट निर्धारित है जिसमें प्रवेश के लिए 73 विद्यार्थियों ने आवेदन दिया है। वहीं मगध महिला काॅलेज में यूजी उर्दू विभाग में 30 सीटें हैं लेकिन इसमें प्रवेश योग्य छात्राओं की संख्या 10 से भी कम है।

पीयू के पीजी उर्दू विभाग में आवेदन करने वाले विद्यार्थियों की बढ़ी हुई संख्या के बारे में विभागाध्यक्ष डाॅ. शहाब ज़फ़र आज़मी बताते हैं कि पटना के अलावा प्रदेश के दूसरे स्थानों से भी आवेदन आते हैंे, इसलिए आवेदनकर्ताओं की संख्या अधिक है।

मगध महिला काॅलेज में यूजी उर्दू विभाग में आवेदनकर्ताओं की कम संख्या के बारे में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डाॅ. सोहैल अनवर बताते हैं कि प्रदेश में उर्दू में प्राथमिक शिक्षा का हाल बेहतर नहीं है, इसलिए आवेदनकर्ताओें की संख्या दिनों-दिन घटती जा रही है।

डाॅ. शहाब ज़फ़र आज़मी कहते हैं कि पटना विश्वविद्यालय के अन्य कालेजों के यूजी उर्दू विभाग का हाल भी कमोबेश मगध महिला काॅलेज जैसा ही है।

दिलचस्प बात यह है कि पटना विश्वविद्यालय के पीजी अरबी विभाग में 18 सीटें हैं लेकिन दाखि़ला के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 52 हैै। इसकी वजह बताते हुए विभाग के एचओडी डाॅ. मसूद अहमद काज़मी कहते हैं कि आवेदन करने वाले दूसरे राज्यों ख़ासकर पश्चिम बंगाल के भी विद्यार्थी होते हैं, इसलिए आवेदनकर्ताओं की संख्या अधिक हो जाती है।

ज़्यादा जानकारी के लिए देखिये हमारा ये वीडियो।

 

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