छपी-अनछपी: मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री बर्दाश्त नहीं, जातीय गिनती: 20 जनवरी तक 2.6 करोड़ परिवार मिले
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। गुजरात के 2002 के दंगों में तत्काल मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री भारत सरकार को बर्दाश्त नहीं है। डॉक्यूमेंट्री से संबंधित किसी भी सूचना को ब्लॉक किए जाने की खबर प्रमुखता से ली गई है। बिहार में जातीय गिनती का पहला दौर पूरा हो चुका है जिसकी खबर अहम जगह पर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के अपने नेता उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी बदलने की संभावना पर बयान दिया है जिसे सभी जगह काफी अहमियत दी गई है।
हिन्दुस्तान में पहले पेज पर यह खबर है: गुजरात पर बनी विवादित फिल्म का जबरदस्त विरोध। एक और सुर्खी है: डॉक्यूमेंट्री चलाने वाले यूट्यूब चैनल प्रतिबंधित। जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ब्लॉक। अखबार लिखता है कि ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ की जांच के बाद साझा करने वाले सभी ट्वीट्स व वीडियो पर आदेश जारी किया गया है। केंद्र ने इस डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले सभी यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्टों को ब्लॉक करने का निर्देश जारी किया है। इस पर यूट्यूब और ट्विटर ने संबंधित वीडियो और संदेशों को कई प्लेटफार्म से हटा दिया है। शुक्रवार को आईटी नियम 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्र द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किए गए। इधर कांग्रेस ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर सेंसरशिप लगाने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए शनिवार को पूछा कि फिर अटल बिहारी वाजपेई ने 2002 के गुजरात दंगों के बाद मोदी को राजधर्म की याद क्यों दिलाई थी। बीबीसी ने दो सीरीज वाली इस डॉक्यूमेंट्री में दावा किया था कि इसमें 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ खास पहलुओं की पड़ताल की गई है और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी इसके लिए सीधे जिम्मेदार हैं।
बिहार में 2.60 करोड़ परिवार
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: जातीय जनगणना का पहला चरण पूरा। बिहार में जाति आधारित गणना के पहले चरण में शनिवार (21 जनवरी) की देर शाम तक सभी घरों को गिनने का काम पूरा हो गया। सभी जिलों से इसकी समेकित रिपोर्ट देर शाम तक सामान्य प्रशासन विभाग में आनी शुरू हो गयी है। रविवार तक सभी जिलों से पूरी रिपोर्ट आने की संभावना है। जिलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक कहीं परिवारों की संख्या अनुमानित संख्या से बढ़ी है तो कहीं घटी भी है। पटना, बेगूसराय, वैशाली, कैमूर, औरंगाबाद, रोहतास और बक्सर में अनुमान से परिवारों की संख्या कम मिली है। जबकि सीवान, गोपालगंज, सारण, जहानाबाद, नवादा, नालंदा और भोजपुर में परिवारों की संख्या अनुमान से ज्यादा दर्ज की गई है। पहले चरण की गणना सात जनवरी को शुरू हुई थी। इधर टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूचना दी है कि 20 जनवरी तक मिली जानकारी के अनुसार बिहार में दो करोड़ 60 लाख परिवार चिन्हित किए गए हैं।
उपेंद्र की राह जुदा?
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: उपेंद्र पर सीएम की दो टूक, सभी को कहीं जाने का अधिकार उनकी इच्छा वे जानें। जागरण की पहली खबर भी इससे मिलती-जुलती है: कुशवाहा के दल छोड़ने की चर्चा पर बोले नीतीश, किसी को कहीं जाने का अधिकार। हिन्दुस्तान की सुर्खी है: उपेंद्र दो-तीन बार गए और फिर आए, उनकी क्या इच्छा पता नहीं। जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की भाजपा से बढ़ रही करीबी के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनको जरा कह दीजिए कि वह हमसे बात कर लें। वे तो छोड़कर दो-तीन बार बाहर गये और फिर अपने आये। अब उनकी क्या इच्छा है, यह हमको तो मालूम नहीं है। मुख्यमंत्री ने शनिवार को समाधान यात्रा के दौरान गया में पत्रकारों के सवाल पर यह बात कही।
कुश्ती संघ में महिला उत्पीड़न का मामला
पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले में शनिवार को खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ के संयुक्त सचिव विनोद तोमर को निलंबित कर दिया। यह खबर सभी जगह है। अखबारों के अनुसार तोमर ने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के पक्ष में बयान दिया था। याद रहे कि बृजभूषण भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सदस्य हैं। तोमर ने बृजभूषण पर लगे आरोपों को निराधार बताया था। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि तोमर की उपस्थिति इस मामले की जांच को प्रभावित कर सकती है। इस बीच संघ के अध्यक्ष सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने शनिवार को खुद को पद की जिम्मेदारी से अलग कर लिया। इधर पहलवान योगेश्वर दत्त ने कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की समिति आठ से दस दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार कर लेगी। इसके बाद इसे खेल मंत्रालय, गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी जाएगी
कुछ और सुर्खियां
- सीट बेल्ट ना लगाने पर ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक का चालान कटा
- जम्मू में 15 मिनट के भीतर दो बम धमाके
- जातीय गणना पटना में अनुमान से 5.64 लाख कम परिवार मिले
- किसान समागम में 22 फरवरी को केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह आएंगे पटना
- पॉलिटेक्निक डिप्लोमा धारी अब इंटरमीडिएट के बराबर
- त्रिपुरा में भाजपा के खिलाफ एकजुट हुए कांग्रेस और वाम दल
अनछपी: गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर 2002 के दंगों में सीधी भागीदारी का आरोप लगाने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने का मतलब सेंसरशिप ही माना जाएगा। श्री मोदी 2014 से भारत के प्रधानमंत्री हैं, इस कारण राजनयिक स्तर पर कोई देश उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता वरना एक समय में अमेरिका ने उन्हें वीजा देने तक से इनकार कर दिया था। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री भारत सरकार की नजर में पूरी तरह प्रोपेगेंडा है और इसे मोदी के खिलाफ व्यक्तिगत वीडियो ना मानकर भारत राष्ट्र के खिलाफ वीडियो बताने की कोशिश हो रही है। इस डॉक्यूमेंट्री के हर तरह के कंटेंट को हर जगह ब्लॉक करने से यह बात भी उजागर हो जाती है कि सोशल मीडिया की भी अपनी एक सीमा है। यूट्यूब और ट्विटर भी सरकार की नीतियों के अनुसार ही चलते हैं क्योंकि इसके बिना उन्हें प्रतिबंध का खतरा होता है। यह भी सही है कि बीबीसी की हर रिपोर्ट को शत प्रतिशत सही मानना सही नहीं होता लेकिन उस रिपोर्ट में कही गई बातों का जवाब देने के बदले पूरी रिपोर्ट को ही प्रतिबंधित करना थोड़ा अजीब लगता है। इस डॉक्यूमेंट्री में किए गए दावों के बारे में बीबीसी ने यह भी बताया है कि वह इस पर कायम है क्योंकि इसके लिए उसने कड़ी मेहनत की है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने देश की नीति के अनुसार इस डॉक्यूमेंट्री के दावों को अस्वीकार कर दिया है लेकिन भारत में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि गुजरात के दंगों में सरकार ने दंगाइयों को खुली छूट दे रखी थी। ब्रिटेन के लिए भारत एक बहुत बड़ा बाजार है और वह इस समय के सरकार को नाराज कर उस बाजार का लाभ लेने से चूकना नहीं चाहती। मोदी सरकार भारत में इस डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के बाद यह कोशिश भी करेगी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका खंडन कर सके जो आसान काम नहीं होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस इस डॉक्यूमेंट्री को कैसे देखती है।
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