कमिटी-कमिटी के खेल में उलझा यतीमख़ाना, सम्पत्ति की जारी है लूट
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट पटना
पटना सिटी के मशहूर यतीमख़ाना अंजुमन ख़ादिमुल इस्लाम की हालत दिन ब दिन ख़स्ता होती जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यतीमख़ामा को संचालित करने वाली बेशुमार कमिटियां हैं। दिलचस्प बात ये है कि हर कमिटी अपने आप को पाक-साफ़ और दूसरे को भ्रष्ट क़रार देती है। इस चक्कर में जहां एक तरफ़ यतीमख़ाना अनाथों से ख़ाली होता जा रहा है, वहीं यतीमख़ाना की ज़मीन पर संचालित मदरसा और इंटर काॅलेज में शिक्षा व्यवस्था चैपट होती जा रही है।
रविवार को यतीमख़ाना की एक ऐसी ही कमिटी के सेक्रेटरी मुशताक़ आलम ने संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने अन्य कमिटियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पूर्णिया स्थित यतीमख़ाना की 500 एकड़ में से 350 एकड़ ज़मीन बेच दी गई। लेकिन उसके पैसे का कोई हिसाब-किताब नहीं मिल रहा है। पटना की 28 कट्ठा ज़मीन भी बेच दी गई लेकिन उसके पैसा का भी कुछ अता-पता नहीं है।
पूर्णिया की ज़मीन राजनेता और कारोबारी अहमद अशफ़ाक़ करीम को देने के आरोप पर मुशताक़ आलम ने कहा कि वो यतीमख़ाने की सम्पत्ति को बचाने के लिए सख़्त क़ानूनी कार्रवाई करने जा रहे हैं।
दूसरी ओर 24 जनवरी को डाॅ. अब्दुल हई की मौजूदगी में बनाई गई आम सभा के सदस्य और वीर अब्दुल हमीद फ़ाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अली इमाम भारती ने मुशताक़ आलमी की हैसियत पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुशताक़ आलम दो साल तक यतीमख़ाना के सेक्रेटरी रहे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।
आम सभा के एक और सदस्य और वरिष्ठ उर्दू पत्रकार अनवारुलहोदा ने कहा कि आम लोगों की मौजूदगी में पिछले चार-पांच साल के दौरान जितनी भी कमिटियां बनी हैं और जो लोग भी कमिटियों से जुड़े रहे हैं, उन सबका सोशल आॅडिट होना चाहिए।
फ़िलहाल यतीमख़ाने की हैसियत खुद ही अनाथ जैसी है। चार महीने से शिक्षकों और कर्मचारियों को तंख़्वाह नहीं मिली है। ऐसा कब तक चलता रहेगा, ये आम लोगों को भी सोचना होगा।
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