छपी-अनछपी: नीतीश ने माना, अस्पतालों का बुरा हाल, लालू बोले- भाजपा के खिलाफ खुलकर सामने आएं

छपी-अनछपी: नीतीश ने माना, अस्पतालों का बुरा हाल, लालू बोले- भाजपा के खिलाफ खुलकर सामने आएं

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद सोमवार को लगातार 12वीं बार इस पद पर विराजमान हुए। उन्होंने इस अवसर पर भाजपा के खिलाफ अपना स्टैंड और मजबूत किया। इससे जुड़ी खबरें आज के अखबारों में पहले पेज पर हैं।

बिहार में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की घोषणा की जाती है। तरह-तरह की सुविधाओं की बात की जाती है लेकिन अस्पतालों में डॉक्टरों के न आने की शिकायत भी मिलते रहती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने जब यह बात आई तो उन्होंने भी माना के अस्पतालों का हाल बुरा है। यह खबर भी प्रमुखता से छपी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री निधन की खबर सभी अखबारों में पहले पेज पर है। 

हिंदुस्तान की सबसे बड़ी खबर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान है: अस्पताल न आने पर नपेंगे डॉक्टर। इस खबर में बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि डॉक्टरों को नौकरी करनी है तो उन्हें अस्पताल नियमित रूप से आना ही होगा। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में आईं शिकायतों पर सीएम ने मुख्य सचिव और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को बुलाकर कहा, ” डॉक्टर अस्पताल से गैरहाजिर रहते हैं। ऐसा कैसे चलेगा? हम हर जिले में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खोलने की बात कर रहे हैं और पूर्व से संचालित संस्थान में डॉक्टर गायब रहते हैं। बहुत बुरा हाल है। डॉक्टरों की समय पर अस्पतालों में उपस्थिति सुनिश्चित कराएं।” जागरण में इसकी सुर्खी है: डॉक्टर नहीं आते थे फिर मेडिकल कॉलेज का क्या मतलब। 

जागरण की सबसे बड़ी सुरक्षा लालू प्रसाद के बयान पर आधारित है: भाजपा से लड़ाई में खुलकर सामने आना होगा। भास्कर की लीड है:  जगदानंद का इस्तीफा, तेज के बागी सुर… जरूरत पड़ी तो अब राजद का नाम और सिंबल बदल सकेंगे तेजस्वी यादव। अखबार के मुताबिक राजद की बिहार इकाई का अगला अध्यक्ष कौन होगा, इस पर चर्चा जारी है लेकिन अब्दुल बारी सिद्दकी का नाम सबसे आगे है।

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर की हेडलाइन है: पीएमसीएच की आउटसोर्सिंग एजेंसी हर माह कर रही वेतन के नाम घोटाला। अखबार के अनुसार यह बात ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई है। इसके बाद पीएमसीएच मैनेजमेंट से जवाब मांगा गया है। 

प्रभात खबर में सबसे बड़ी खबर डेंगू के मद्देनजर सरकारी आदेश की है। इसकी सुर्खी है: पूरे बांह की शर्ट और फुल पैंट पहन कर स्कूल-कॉलेज आएं विद्यार्थी।

मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर की हिन्दुस्तान में हेडिंग है: ‘धरतीपुत्र’ का परलोक प्रस्थान। 82 सल के श्री मुलायम 10 बार विधयाक और सात बार सांसद बने। वे तीन बार मुख्यमंत्री बने थे। उन्हें कारसेवकों की गैर कानूनी हरकत रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करने के लिए जाना जाता है हालांकि बाद में मुजफ्फरनगर में समाजवादी पार्टी की सरकार के वक़्त हुए दंगों में उनकी निष्क्रियता काफी दुखदायी थी। 

क़ौमी तंज़ीम, पटना ने पहले पेज पर खबर दी है कि तलाक़ ए किनाया और तालाब ए बायन पर भी पाबंदी लगाई जा सकती है। तलाक़ ए किनाया में सीधे तलाक़ का लफ्ज़ न बोलकर ऐसे कहा जाता है कि उसका मतलब तलाक़ माना जाता है जैसे मैंने तुम्हें आज़ाद किया वगैरा। 

2022 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार तीन अर्थशास्त्रियों को मिला है। जागरण के अनुसार इनमें एक हैं अमेरिकी फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन बेन एस बरनांक। उन्हें 2007-8 की पूरे दुनिया में फैली मंदी के दौर से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को उबारने में अहम भूमिका निभाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। उनके साथ दो और लोग इस पुरस्कार को साझा करेंगे जिनके नाम हैं डगलस डब्ल्यू डायमंड और फिलिप एच डिबविग।

31वीं बिहार ज्यूडिशियल सर्विस का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। इसमें रांची की भावना नंदा पहले स्थान पर रही हैं। इस इस सेवा के लिए मुख्य परीक्षा में 688 उम्मीदवार सफल हुए थे। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उनकी जन्मस्थली सिताबदियारा पहुंचेंगे। यह खबर प्रमुखता से छपी है। इसमें बताया गया है कि 17 दिनों के अंदर अमित शाह की यह दूसरी बिहार यात्रा है। 

भास्कर के पहले पेज पर गया से खबर है: महाबोधि एस्क्सप्रेस की जनरल बोगी में लगी आग, यात्रियों ने ट्रेन से कूदकर बचाई जान। यह हादसा गुरारू स्टेशन का बताया गया है। 

अनछपी: बिहार में अस्पतालों और सरकारी डॉक्टरों पर सरकार का काफी खर्च है मगर इन दोनों के बारे में अक्सर शिकायत मिलती रहती है। 2005 से 2022 तक स्वास्थ्य विभाग 18 महीनों को छोड़कर लगातार भाजपा के पास रहा है। नई सरकार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव खुद स्वास्थ्य मंत्री हैं। उन्होंने पीएमसीएच और दो और सरकारी अस्पतालों का बुरा हाल देखने के बाद सख्त नाराजगी जताई थी। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद यह बात मानी है कि बहुत बुरा हाल है। अच्छी बात यह है कि अखबार भी अब सेहत की खबरों को प्राथमिकता दे रहे हैं हालांकि इसकी वजह मुख्यमंत्री और नीतीश कुमार का बयान है। डॉक्टरों के समय पर अस्पताल में न रहने की शिकायत मिलती है तो दूसरी ओर डॉक्टर बायोमेट्रिक हाजिरी बनाने से बचना चाहते हैं। ऐसे में सरकार को सख्त निगाह रखने की जरूरत है। 

 

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