छ्पी-अनछपी: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों से आत्ममंथन को कहा, इसराइल ने ग़ज़ा को दो हिस्सों में बांटा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। विपक्षी दल द्वारा शासित प्रदेशों में राज्यपालों के हाथों बिल लटकाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। इस खबर को सभी जगह प्रमुखता मिली है। इसराइल ने दावा किया है कि उसने ग़ज़ा की पट्टी को दो हिस्सों में बांट दिया है। यह महत्वपूर्ण खबर कम तवज्जो पा सकी है। इधर, भारत और ईरान ने गजा में शांति बहाली पर जोर दिया है।

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: गवर्नर सदन में पास बिल क्यों रोकते हैं, उन्हें जनता ने नहीं चुना है: सीजेआई । हिन्दुस्तान ने लिखा है कि पंजाब सरकार की ओर से राज्यपाल को भेजे गए बिल को मंजूरी मिलने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति रिपोर्ट मांगी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यपालों को थोड़ा आत्म मंथन करने की जरूरत है। अदालत ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंचने से पहले राज्यपालों को उसपर फैसला करना चाहिए। ये प्रथा बंद होनी चाहिए कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद राज्यपाल बिलों पर निर्णय लेते हैं। राज्यपालों को ये भी पता होना चाहिए कि वो जनता के चुने प्रतिनिधि नहीं हैं। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि याचिका को शुक्रवार को सूचीबद्ध किया जाए। अदालत को राज्यपाल द्वारा की गई कार्रवाई से अवगत कराया जाए।

ग़ज़ा को दो हिस्सों में बांटने का दावा

इजरायली सेना ने गजा सिटी की घेराबंदी कर उसे दो हिस्सों में बांट दिया। सेना ने यह जानकारी दी। वहीं, रविवार को तीसरी बार गाजा में संचार सेवाएं ठप हो गईं। इससे पहले भी गाजा में 36 घंटे तक संचार सेवाएं ठप रही थीं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इजरायली सेना के 48 घंटे में गाजा पट्टी में घुसने की संभावना हैं। इसराइली सेना के रियर एडमिरल डेनियर हैगारी ने बताया कि अब उत्तरी गाजा और दक्षिण गाजा को विभाजित कर दिया गया है।

शांति बहाली पर ज़ोर

इजरायल-हमास संघर्ष के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी से फोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया के मुश्किल हालात पर चर्चा की और क्षेत्र में शांति बहाली पर जोर दिया। साथ ही भारत और ईरान के बीच सहयोग बढ़ाने और अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बात की। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया क्षेत्र के मौजूदा हालात और इजराइल-हमास संघर्ष पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

आर्थिक-सामाजिक रिपोर्ट आज

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: आर्थिक सामाजिक रिपोर्ट आज सदन में। अख़बार लिखता है कि राज्य सरकार मंगलवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में जाति आधारित गणना की संपूर्ण रिपोर्ट पेश करेगी। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी इसे पेश करेंगे। विधानसभा में दूसरी पाली में सदन के पटल पर रखा जाएगा। विधान परिषद में भी मंगलवार को रिपोर्ट पेश होगी। श्री चौधरी ने बताया कि इसमें सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े भी रहेंगे।

तो कुर्मी की संख्या बढ़ाते नीतीश: तेजस्वी

जागरण की सुर्खी है: जाति की संख्या बढ़ानी होती तो नीतीश कुर्मी की आबादी को बढ़ा देते: तेजस्वी। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोमवार को कहा कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट से जुड़े गलत होने की जो बात कही जा रही है वह बुनियाद है। अगर जाति की संख्या बढ़ानी होती तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी की संख्या क्यों नहीं बढ़ा लेते। विधान मंडल परिसर में पत्रकारों से बातचीत के क्रम में उन्होंने यह बात कही। तेजस्वी ने कहा कि दरअसल जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद भाजपा वाले अकबका गए हैं।

संविदा कर्मियों का मानदेय बढ़ेगा

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: तैयारी: राज्य सरकार संविदा कर्मियों का मानदेय बढ़ाएगी। प्रभात खबर की पहली खबर है: राज्य के तीन लाख नियोजित कर्मचारियों का बढ़ेगा मानदेय। राज्य सरकार के विभिन्न कार्यालयों में संविदा पर नियोजित कर्मियों का मानदेय और पारिश्रमिक बढे़गा। राज्य सरकार ने संविदा पर नियोजित कर्मियों के मानदेय-पारिश्रमिक के निर्धारण और पुनरीक्षण का निर्णय लिया है। इसके लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। कमेटी के सदस्य सचिव सभी संबंधित विभागों के प्रधान सचिव या सचिव होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग एवं वित्त विभाग के प्रधान सचिव या सचिव भी इसके सदस्य बनाए गये हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • दिल्ली-एनसीआर में फिर भूकंप के तेज झटके
  • प्रदूषण बढ़ने से नई दिल्ली में फिर ऑड-ईवन सिस्टम लागू
  • तेजस्वी यादव को मानहानि केस में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली
  • अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहली बार समय पर न पहुंचने से बल्लेबाज टाइम आउट, श्रीलंका के एंजेलो मैथ्यूज बने शिकार
  • दो राज्यों- छत्तीसगढ़ और मिजोरम में 60 सीटों पर 397 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला आज
  • बिहार में धान बेचने के दिन ही रसीद पर मिलेगी राशि भुगतान की तारीख

अनछ्पी: लोकतंत्र में जनता की चुनी हुई सरकार को सबसे ऊपर माना जाता है लेकिन हाल के दिनों में राज्यपालों द्वारा राज्य सरकार के निर्णय को रोकने के मामले सामने आने के बाद यह सवाल उठता है कि आखिर राज्यपाल कब तक ऐसा करेंगे। मामला सिर्फ पंजाब का नहीं है बल्कि तमिलनाडु सरकार को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की भी इस बात के लिए आलोचना की जाती है कि वे राज्य सरकार के काम में अड़ंगा डालते हैं। राज्य सरकार कोई बिल पारित कर राज्यपाल के पास इस उम्मीद के साथ भेजती है कि अगर उसे पर कोई सुधार करना हो तो ठीक, वर्ना उसे पास कर कानून बनाया जाएगा। लेकिन कुछ राज्यपाल ना तो बिल में संशोधन का प्रस्ताव देते हैं और ना ही उसे पारित करने में मदद करते हैं। आम भाषा में कहा जाए तो राज्यपाल बिलों को लटकाए रहते हैं। जाहिर है इस कारण उन मामलों में राज्य सरकार खुद को पंगु पाती है। बेहतर होता कि यह स्थिति पैदा न होती और राज्यपाल मुख्यमंत्री से मंत्रणा कर इसका हल निकाल लेते लेकिन अफसोस की बात यह है कि ऐसा नहीं हो सका और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों से आत्ममंथन करने को कहा है और एक तरह से देखा जाए तो यह बहुत ही नरम टिप्पणी है। सुप्रीम कोर्ट भी राज्यपाल को सीधे आड़े हाथों लेते नहीं दिखना चाहता। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में सवाल जवाब होंगे तो राज्यपालों को अपनी स्थिति का पता चलेगा। यह बात भी याद रखने की है कि राज्यपाल वास्तव में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और उसी के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि राज्यपाल केंद्र सरकार के इशारे पर ही बिलों को रोकने का काम भी करते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सिर्फ राज्यपाल के आत्ममंथन करने की नहीं बल्कि केंद्र सरकार में बैठे लोगों के लिए भी है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के डबल इंजन सरकार के नारे को याद करना भी जरूरी है कि आखिर डबल इंजन की सरकार यानी केंद्र के साथ जिस राज्य में बीजेपी की सरकार हो वहां राज्यपाल के साथ ऐसी समस्या क्यों नहीं पेश आती। देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद राज्यपालों का रवैया बदलता है या वह कोई और नया बहाना ढूंढते हैं।

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