‘हम मर जाएंगे, वैक्सीन नहीं लगवाएंगे’ बिहार में टीका एक्सप्रेस पर लगा ब्रेक

सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद डाॅट नेट पटना

3 जून को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्चुअल माध्यम से 121 टीका एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई थी। कोविड टीकारकरण के उपकरणों से सुसज्जित इस टीका एक्सप्रेस का मक़सद शहरी क्षेत्र के मुहल्ला और वार्ड में जाकर लोगों को कोविड का टीका लगाना है। इससे पहले ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह सुविधा 25 मई को शुरू की गई थी। लेकिन कुछ पेचीदगियों की वजह से गांवों में यह मुहिम कामयाब होती दिख नहीं रही है। अंग्रेजी दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स ने पूर्णिया से इसपर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।

जिले के डगरुआ प्रखंड स्थित टीका केन्द्र से भेेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, टीका केन्द्र पर लोगांें को टीके देने की जिम्मेदारी एएनएम, आंगानबाड़ी सेविका और आशा कार्यकत्र्ताओं की है। केन्द्र पर 45 और उससे ऊपर के लोगों को टीका दिया जा रहा है। चूंकी एक वायल में 10 टीका होता है इसलिए कम से कम 10 टीका लेने वालों को जुटाना जरूरी होता है। एक भी लाभान्वित की कमी हो जाती है तो बाकी 9 को भी टीका नहीं लग पाता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि टीके के इंतेजार में खड़े 9 में से 2 आदमी काम पर चले जात हैं, तब फिर से 3 लोगों की तलाश की जाती है। तीन लोगों के आते-आते एक-दो आदमी फिर वहां से खिसक जाता है। नतीजतन वायल खुलता ही नहीं है और टीका देने का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाता। यह हालत प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी है।

टीका नहीं पड़ने की एक दूसरी वजह लोगों में कोविड टीकाकरण के प्रति लोगों में पाया जाने वाला भ्रम भी है। भ्रम है कि टीका लेने से व्यक्ति में फर्टिलिटी की कमी हो जाती है। गांव वालों का कहना है कि अगर जिला मजिस्ट्रेट भी यहां आ जाएंगे, तक भी हम टीका नहीं लगवाएंगे। हम कोविड से मर जाना पसंद करेंगे लेकिन वैक्सीन नहीं लगवाएंगे।’

अब देखना है, लोगों के इस भ्रम को दूर करने के लिए सरकार क्या रणनीति अपनाती है। शायद उसे धर्मगुरुओं की शरण में ही जाना पड़े।

हेल्थ डेस्क, बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना।

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