छपी-अनछपी: यूनिफॉर्म सिविल कोड से बाहर रहेंगे आदिवासी! ज़मीन घोटाले में तेजस्वी पर चार्जशीट

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा था कि एक देश में दो कानून कैसे चलेगा लेकिन अब उनके ही सांसद और कानून व न्याय से संबंधित संसदीय समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने आदिवासी समूहों को इससे बाहर रखने की दलील दी है। इस खबर को जागरण ने पहले पेज पर जगह दी है। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की तरफ लैंड फॉर जॉब के कथित घोटाले में चार्जशीट दाखिल करने की खबर प्रमुखता से ली गई है।

जागरण की खबर है: आदिवासी क्षेत्रों को यूसीसी से रखा जा सकता है बाहर। अखबार लिखता है कि पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के कुछ हिस्सों में आदिवासी समूहों को समान नागरिक संहिता यूसीसी के दायरे से बाहर रखने पर विचार किया जा सकता है। भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को अपनी अध्यक्षता वाली कानून व न्याय से संबंधित संसदीय समिति के बैठक में यह विचार रखा। बैठक में विभिन्न दलों के 17 सांसद एवं विधि आयोग के सदस्य शामिल थे। सुशील मोदी ने पूर्वोत्तर एवं अन्य आदिवासी क्षेत्रों को प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के दायरे से अलग रखने की बात करते हुए कहा कि सभी कानूनों में अपवाद होते हैं। देश में पहले से भी ऐसे कई कानून हैं जिनमें उन्हें कुछ रियायत मिली हुई है।

तेजस्वी दूसरी चार्जशीट में

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: जमीन घोटाले में तेजस्वी को बनाया आरोपित। भास्कर की सुर्खी है सीबीआई की चार्जशीट में तेजस्वी का नाम शामिल। नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सोमवार को सीबीआई ने इस मामले में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अभियुक्त बनाते हुए नई दिल्ली के रॉउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायालय में दूसरी चार्जशीट दायर की। तेजस्वी के अलावा तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत 16 अन्य को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। इसमें रेलवे के कुछ पूर्व अधिकारियों के भी नाम अभियुक्तों की लिस्ट में शामिल हैं। 100 पन्नों से अधिक की इस चार्जशीट में सीबीआई ने पूरे मामले में तीन दर्जन से अधिक लोगों को रेलवे के विभिन्न जोन में ग्रुप-डी में नौकरी देने के नाम पर जमीन-जायदाद लिखवाने की बात कही गई है।

एनसीपी पर क़ब्ज़े की जंग

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के विद्रोह के बाद पार्टी पर कब्जा जमाने के लिए जंग तेज हो गई है। इस बारे में जागरण ने सुर्खी लगाई है: चाचा और भतीजे में छिड़ी राकांपा पर कब्जे की लड़ाई। सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अजीत पवार के साथ बगावत करने वाले सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके जवाब में अजीत पवार गुट ने तटकरे को महाराष्ट्र का नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। वहीं, कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने अजीत पवार को पार्टी विधायक दल का नेता बनाने की घोषणा की। इससे पहले शरद पवार ने कराड में समर्थकों को संबोधित कर शक्ति प्रदर्शन किया।

लालू ने की नीतीश की तारीफ

हिन्दुस्तान के अनुसार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा है कि नीतीश कुमार ने दलित-पिछड़ों को एकजुट करने में महती भूमिका निभाई है। मंडल आयोग लागू करने के बाद भी नीतीश कुमार वंचितों की आवाज बने रहे। बिलकुल साधारण घर से निकलकर नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनायी। राजनीति को नयी दिशा दी। आज वे प्रकाश पुंज की तरह हैं। वे सोमवार को ज्ञान भवन में उदयकांत लिखित नीतीश कुमार की जीवनी का लोकार्पण करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस पु्स्तक ‘दोस्तों की नजर में नीतीश कुमार’ के लोकार्पण में तमाम दिग्गज जुटे।

बिहार में नहीं गलेगी भाजपा की दाल: लालू

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लिखित एक पुस्तक के विमोचन समारोह में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र की घटना के बाद भाजपा की नजर बिहार पर लगी है। तोड़-फोड़ की कोशिश हो रही है, लेकिन यहां उसकी दाल नहीं गलने वाली। मध्यप्रदेश में तोड़ने की कोशिश हो रही है। बिहार में इन्हें हिलने-डुलने नहीं देंगे। बिहार से ही इनका सफाया शुरू होगा। बिहार तो उड़ती चिड़िया को हरदी लगाता है। उन्होंने कहा कि आज आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है। राम-रहीम के बंदों को लड़ाने की साजिश चल रही है। भाई-भाई में नफरत फैलाने की कोशिश हो रही है। आज देश टूट रहा है, लोकतंत्र खतरे में है। आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी चारों तरफ डाका डाल रहे हैं पर बिहार में हम उन्हें नेस्तनाबूत कर देंगे।

शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल हटाने का तर्क

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: जन्म स्थान के आधार पर नहीं छीना जा सकता है किसी का भी अधिकार। बिहार में शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल हटाने के बाद से उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। इस बीच प्रदेश के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि देश के संविधान में किए गए प्रावधानों के अनुसार किसी भी नागरिक को उसके जन्म स्थान निवास के आधार पर अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। सुभानी ने शिक्षा मंत्री के उस बयान को भी खारिज किया कि बिहार में गणित और विज्ञान के शिक्षकों की कमी है। सुबहानी सोमवार को मुख्य सचिवालय में प्रेस को संबोधित कर रहे थे। मुख्य सचिव ने संविधान के अनुच्छेद 16 की धारा का हवाला देकर कहा कि अनुच्छेद कहता है कि देश के किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर उसका अधिकार नहीं छीना जा सकता।

कुछ और सुर्खियां

  • अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को सुनवाई
  • नालंदा जिले के नगरनौसा में कट्टे और चाकू के बल पर ग्रामीण बैंक से 11.6 लाख की लूट
  • शिक्षक भर्ती में दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों को आरक्षण नहीं: आमिर सुबहानी
  • इमारत-ए-शरिया के पदाधिकारी यूनिफॉर्म सिविल कोड के सवाल पर माले नेताओं से मिले
  • सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से पूछा हालात सामान्य करने को क्या कदम उठाए
  • सेंसेक्स पहली बार 65000 के पार

अनछपी: बिहार में शिक्षकों की भर्ती को लेकर पहले डोमिसाइल की शर्त रखी गई और बाद में इस शर्त को हटा लिया गया जिसके बाद काफी विवाद पैदा हो गया है। विपक्षी राजनीतिक दल इसे बिहार के उम्मीदवारों के खिलाफ बता रहे हैं तो सत्ता पक्ष का कहना है कि सभी राज्य अगर डोमिसाइल लागू कर दें तो बिहार के उम्मीदवार दूसरे राज्यों में नौकरी नहीं पा सकते। अब इस बहस में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने भी अपने तर्क दिए हैं जिन पर सवाल किया जाना चाहिए। सबसे पहला सवाल तो यही है कि शिक्षा मंत्री ने योग्य उम्मीदवारों की कमी बताई थी उसे मुख्य सचिव ने कैसे नकार दिया? क्या यह सही नहीं है के योग्य उम्मीदवारों के नहीं मिलने के कारण विज्ञान के शिक्षक पद कई जगह खाली रह जाते हैं? यह बात भी पूछी जानी चाहिए कि क्या संविधान का आर्टिकल 16 सिर्फ नौकरी के मामले में लागू होता है या एडमिशन के मामले में भी? क्या यह सही नहीं है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल में एडमिशन डोमिसाइल के आधार पर ही होता है? क्या एडमिशन में ऐसे प्रावधान से आर्टिकल 16 का उल्लंघन नहीं होता जिस पर बिहार सरकार भी अमल करती है? हर राज्य के एनआईटी में आरक्षण के बावजूद 50% सीट उस राज्य के उम्मीदवारों के लिए रिजर्व रहता है। शिक्षक भर्ती मामले में डोमिसाइल का विवाद इतना सरल नहीं है जैसा कि ऊपर से लगता है। ऐसे में जरूरी है कि राज्य सरकार यह पता लगाएं और लोगों को बताएं कि नौकरियों में कहां-कहां डोमिसाइल की शर्त है और कहां-कहां यह शर्त नहीं है। अगर वाकई दूसरे राज्यों में डोमिसाइल की शर्त नहीं है तो बिहार सरकार का डोमिसाइल शर्त वापस लेने का फैसला सही है। लेकिन अगर दूसरे राज्यों में डोमिसाइल की शर्त है तो बिहार के उम्मीदवारों को यहां से डोमिसाइल किस हटाने से काफी नुकसान होगा। इसलिए बिहार सरकार को चाहिए कि वह डोमिसाइल के बारे में सभी राज्यों की स्थिति से लोगों को अवगत कराए।

 

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