छ्पी-अनछ्पी: सीएए लागू करने का नोटिफिकेशन, इलेक्टोरल बॉन्ड पर एसबीआई को मोहलत नहीं

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। भारत में नागरिकता संशोधन कानून ‘सीएए’ लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। क्रोनोलॉजी का अजीब इत्तेफाक है कि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड पर स्टेट बैंक आफ इंडिया को मोहलत देने से इनकार कर दिया उसी दिन सीएए का नोटिफिकेशन जारी हुआ। नतीजा यह है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की खबर सीएए की खबर से दब गई।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी सुर्खी है: समूचे देश में सीएए लागू। जागरण की पहली खबर है: नागरिकता संशोधन कानून लागू। भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: देश में सीएए लागू; गैर मुस्लिम शरणार्थी बनेंगे भारतीय। भास्कर ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले केंद्र सरकार ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) नियम की अधिसूचना जारी कर दी। इसके तहत तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसके लिए फॉर्म भी जारी कर दिया है। इसमें सभी जरूरी दस्तावेजों और नियमों की जानकारी दी गई है। 31 दिसंबर 2014 तक जो लोग भारत आ गए थे, केवल उन्हें नागरिकता दी जाएगी। गृह मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं।

विपक्ष ने क्या कहा

  • सीएए को अधिसूचित करने का समय लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विभाजनकारी राजनीति का प्रयास है: मल्लिकार्जुन खड़गे
  • ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रपंच रचा जा रहा है। धर्म की राजनीति के बाहर देश की बहुतसंख्यक आबादी है जो नौकरी रोजगार मांगती है: तेजस्वी यादव
  • धर्म के आधार पर नागरिकता संविधान के खिलाफ: दीपंकर
  • समाज को लड़ाने की कोशिश है सीएए: शकील अहमद खान, कांग्रेस

इलेक्टोरल बॉन्ड पर एसबीआई को मोहलत नहीं

भास्कर की सुर्खी है: एसबीआई शाम 5 बजे तक चुनावी चंदा देने-लेने वालों का नाम बताए, वर्ना एक्शन लेगा सुप्रीम कोर्ट। हिन्दुस्तान ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 12 मार्च तक चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले चंदे का ब्योरा निर्वाचन आयोग को मुहैया कराने का आदेश दिया। एसबीआई को मंगलवार को बैंक बंद होने से पहले यह ब्योरा देना होगा। कोर्ट ने एसबीआई द्वारा 30 जून तक समय देने की मांग वाली अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनावी बांड से जुड़ी सारी जानकारी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान पीठ ने एसबीआई से सवाल किया कि आप पिछले 26 दिनों से क्या कर रहे थे?

एक और मस्जिद के सर्वे का आदेश

जागरण की खबर है कि ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला सरस्वती मंदिर का सर्वे करने का निर्देश मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने दिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के 5 वरिष्ठ अधिकारी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर यह पता लगाएंगे की क्या भोजशाला परिसर स्थित कमाल मौला मस्जिद को सरस्वती मंदिर में तोड़फोड़ कर बनाया गया था। सर्वेक्षण की रिपोर्ट 6 सप्ताह में हाई कोर्ट को पेश करनी होगी।

बिहार में 6 लेन का होगा एक्सप्रेस-वे

हिन्दुस्तान की खबर है कि बिहार में बनने वाले सभी एक्सप्रेसवे अब छह लेन के होंगे। अब तक यह चार लेन ही बनने वाले थे। राज्य सरकार ने इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया है। इसके आधार पर डीपीआर बनाने की कार्रवाई जल्द ही शुरू की जाएगी। बिहार में बनने वाले एक्सप्रेसवे में गोरखपुर-सिल्लीगुड़ी, रक्सौल-पटना-हल्दिया, बक्सर-पटना-भागलपुर आदि प्रमुख हैं। ये सभी परियोजनाएं निर्माण के विभिन्न चरणों में है।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति में सरकार का दखल रोकने का अनुरोध करने वाली यचिका तत्काल सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। यह याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दायर की है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ मामले पर सुनवाई कर रही थी।

कुछ और सुर्खियां

  • पटना-गया हाईवे पर बेलागंज के पास हादसा, एक बाइक पर जा रहे थे चार सवार, ट्रक ने रौंदा, चारों की मौत
  • दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर जेएन साईबाबा की रिहाई पर रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट बोला- मुश्किल से मिली आजादी
  • बिहार में 65% आरक्षण के विरुद्ध दायर मामलों पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित
  • कार में पीछे बैठने वाले लोगों के लिए भी सीट बेल्ट अलार्म होगा अनिवार्य
  • भारत में भी रमजान का चांद दिखा, आज पहला रोजा
  • पटना में सोना 66000 प्रति 10 ग्राम के पार
  • हिना शहाब सीवान लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ सकती हैं
  • उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बारातियों की बस हाईटेंशन तार की चपेट में आई, 6 लोगों की मौत
  • जेएनयू छात्र संघ चुनाव 4 साल बाद 22 मार्च को

अनछ्पी: 2019 में पास सीएए को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू करने की अधिसूचना जारी करने का मकसद यह है कि इसका विरोध हो और इससे होने वाले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से चुनावी फायदा लिया जा सके। भारतीय जनता पार्टी कह सकती है कि सीएए लागू करना उसकी घोषणाओं के अनुसार है लेकिन इसके जवाब में यह भी कहा जा सकता है कि इसका विरोध भी पहले दिन से हो रहा है। अखबारों ने इसकी कवरेज में बौद्धिक बेईमानी की है। अखबारों ने सरकार की मंशा के अनुरूप इस बात को खूब लिखा है कि यह कानून नागरिकता देने वाला है, नागरिकता लेने वाला नहीं। लेकिन अखबारों ने यह नहीं बताया कि नागरिकता तो पहले भी दी जाती थी तो सीएए की जरूरत क्यों आई? अखबारों ने यह नहीं लिखा कि सीएए को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू करने का मकसद सांप्रदायिक ध्रुवीकरण है। अखबार के संपादकों ने अपने पाठकों को जिस बात पर अंधेरे में रखा है, वह अमित शाह के शब्दों में इसकी क्रोनोलॉजी है। क्रोनोलॉजी यह है कि पहले सीएए आएगा और उसके बाद एनआरसी आएगा। सीधी सी बात यह है कि जो लोग एनआरसी में अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे वह अगर गैर मुस्लिम हुए तो उन्हें सीएए के तहत नागरिकता दी जाएगी और मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर दिया जाएगा। अखबारों ने जानबूझकर इस बात को छिपा लिया और यह नहीं बताया कि असम में कितने मुसलमानों की नागरिकता इसी आधार पर चली गई है और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जा रहा है। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के अलावा दूसरे कई विपक्षी दलों ने भी सीएए लागू करने का विरोध किया है। इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल के मुख्यमंत्री विजयन प्रमुख हैं। अफसोस की बात यह है कि कम्यूनलिज्म से समझौता न करने का दावा करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने सीएए का समर्थन किया है। आम मुसलमानों के अलावा त्रिपुरा, मेघालय और असम के जनजाति लोग भी सीएए का विरोध कर रहे हैं। देखना यह है कि अगले कुछ दिनों में इस कानून के विरोध के लिए क्या रास्ता अपनाया जाता है और भारतीय जनता पार्टी कैसे इसका चुनावी फायदा के लिए इस्तेमाल करती है। फिलहाल सीएए का लागू होना भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र पर बहुत बड़ा सवाल है।

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