छ्पी-अनछ्पी: सीएए नोटिफिकेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी, हरियाणा में नए मुख्यमंत्री

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। नागरिकता संशोधन कानून ‘सीएए’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी गई है और देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। इस खबर को अखबारों ने तवज्जो नहीं दी है। हालांकि सीएए के लिए पोर्टल खुलने की खबर प्रमुखता से ली गई है। भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हरियाणा में अपने मुख्यमंत्री को बदलने को मजबूर हुई है। स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी दे दी है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की। इसमें केंद्र सरकार को सीएए 2024 को तब तक लागू नहीं करने का आदेश देने की मांग की गई, जब तक 2019 के अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती वाली याचिका पर फैसला नहीं आ जाता। याचिका में केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश देने की मांग की गई कि अर्जियां लंबित रहने तक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न हो।
असम और केरल में विरोध
सीएए से जुड़े नियमों को अधिसूचित किए जाने के विरोध में मंगलवार को असम व केरल में विपक्षी दलों और संगठनों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान कई जगहों पर कानून की प्रतियां जलाई गईं। असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद ने लखीमपुर में केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की, जबकि कांग्रेस ने सीएए के विरोध में जिले के विभिन्न हिस्सों में इस कानून की प्रतियां जलाईं। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने गुवाहाटी स्थित राजभवन के सामने प्रदर्शन किया और सीएए की प्रतियां जलाईं।
सीएए: पोर्टल खुला
भास्कर की बड़ी सुर्खी है: सीएए आवेदन के लिए पोर्टल खुला, 9 में से एक दस्तावेज लगेगा। केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का लागू करने के बाद इसके आवेदन का वेब पोर्टल www.indiancitizenshiponline.nic.in लॉन्च कर दिया। इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। पोर्टल पर कुछ सवालों के जवाब और ₹50 फीस देनी होगी। आवेदन के साथ संबंधित देश के 9 दस्तावेजों में से एक की कॉपी देनी होगी। जल्दी सीएए-2019 ऐप भी लॉन्च होगा।
पूर्वोत्तर के आदिवासी क्षेत्रों में नहीं लागू होगा सीएए
हिन्दुस्तान के अनुसार संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्रों समेत पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों को सोमवार को लागू हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के दायरे से बाहर रखा गया है। कानून के मुताबिक, इसे पूर्वोत्तर के उन राज्यों में भी लागू नहीं किया जाएगा, जहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) व्यवस्था लागू है। आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम व मणिपुर में लागू है।
भाजपा हरियाणा में सीएम बदलने को मजबूर हुई
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: भाजपा का नायाब फ़ॉर्मूला। लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। मंगलवार को महज़ 5 घंटे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दिया और नायब सिंह सैनी नए मुख्यमंत्री बना दिए गए। पूरा घटनाक्रम मंगलवार को सुबह तब शुरू हुआ जब साढ़े चार साल सत्ता में साथ रही भाजपा और जननायक जनता पार्टी का गठबंधन टूट गया। इसके बाद भाजपा हाई कमान ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया। नए मुख्यमंत्री नायक सिंह सैनी ओबीसी समुदाय से हैं। इसलिए भाजपा के इस कदम को ओबीसी समुदाय पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। गठबंधन टूटने के बावजूद भाजपा सरकार पर खतरा नहीं है। 90 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायक चाहिए। भाजपा के 41 विधायक हैं। उसे छह निर्दलीय व हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक का भी समर्थन है।
एसबीआई ने दी इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी
भास्कर की सुर्खी है: बैंक ने 111 दिन मांगे थे, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 24 घंटे में ही दे दी चुनावी चंदे की कुंडली। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने मंगलवार शाम को चुनावी चंदे से जुड़ी जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंप दी। बैंक ने यह जानकारी देने के लिए कोर्ट से 30 जून तक 111 दिन का समय मांगा था। इस जानकारी में बैंक से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले और उसे बॉन्ड को भुनाने वाले सियासी दलों का पूरा ब्योरा है। अब आयोग इस डेटा को 15 मार्च शाम 5:00 बजे तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना को असंवैधानिक बताते हुए बंद करने का आदेश दिया था।
कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर की वैकेंसी रद्द क्योंकि…
हिन्दुस्तान के अनुसार हेल्थ सब सेंटर और हेल्थ वेलनेस सेंटर में 4500 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की जारी की गई वैंकेसी रद्द कर दी गई है। इस बाबत राज्य स्वास्थ्य समिति ने मंगलवार को सूचना जारी की। वैंकेसी संबंधी विज्ञापन रद्द करने का कारण अपरिहार्य बताया गया है। इसके पहले समिति ने 9 मार्च को वैंकेसी जारी की थी। बीएससी नर्सिंग पास अभ्यर्थियों से 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक आवेदन मांगा गया था। संविदा पर नियुक्ति होनी थी। 4500 की वैंकेसी में अनारक्षित कोटि में एक भी रिक्ति नहीं थी। इस मामले ने तूल पकड़ लिया था। चौतरफा आलोचना होने लगी थी। माना जा रहा है कि इस कारण से ही वैंकेसी रद्द की गई होगी।
पारस-चिराग का झगड़ा सुलझाने में हांफ रही भाजपा
भास्कर ने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी चाचा (पशुपति कुमार पारस) और भतीजा (चिराग पासवान) की लड़ाई को खत्म करने में हांफ रही है। दरअसल दोनों को बिहार में लोकसभा की कुल 11 सीटें चाहिए। चिराग के लोग कह रहे हैं कि उनको 6 सीटों से कम मंजूर नहीं होगा। इधर पारस के लोग 5 सीटों पर अड़े हुए हैं। दोनों अधिक से अधिक सीटें पाने के लिए खूब बारगेन कर रहे हैं। दोनों ने भाजपा के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि लोजपा एक हो जाए। चाचा-भतीजे का यह झगड़ा एनडीए की सीट शेयरिंग में लग रहे समय की खास वजह है।
कुछ और सुर्खियां
● लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की दूसरी सूची जारी, अशोक गहलोत और कमलनाथ के बेटे को भी मिला टिकट
● बिहार को तीन समेत देश को 10 वंदे भारत ट्रेन मिली
● पटना न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत में ₹ 2247 में एग्जक्यूटिव, 1180 रुपए में चेयर कार
● हिमाचल प्रदेश के अयोग्य घोषित कांग्रेस विधायकों से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, बताएं किस मौलिक अधिकार का हनन किया गया
● मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने लालू प्रसाद के करीबी अमित कात्याल के 27 ठिकानों पर छापेमारी की
● बिहार में 2700 किलोमीटर नई ग्रामीण सड़कें बनेंगी, इन सड़कों से जुड़े हुए 500 नए पुल भी बनेंगे

अनछपी: अखबारों ने लगातार दूसरे दिन सीएए पर वही बातें छापी हैं जो सरकार इसके बचाव में कह रही है। केरल और पश्चिम बंगाल के बाद तमिलनाडु ने भी सीएए का विरोध किया है मगर इसकी कवरेज कोई खास नहीं है। सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले से केस दर्ज है और ताजा नोटिफिकेशन के खिलाफ भी अर्जी दी गई है मगर इसके बारे में भी आज के अखबारों में जानकारी नहीं के बराबर है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इसके विरोध में बयान जारी किए हैं। अखबारों के संपादकीय टिप्पणियों में इस बात का जवाब नहीं दिया जा रहा है कि भारत का संविधान जब धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात नहीं करता तो नया कानून ऐसा क्यों कर रहा है। एक और अहम बात यह है कि सीएए को पूर्वोत्तर के आदिवासी क्षेत्रों में लागू नहीं किया जाएगा। इससे इस आरोप को बल मिलता है कि यह कानून दरअसल मुसलमानों को नागरिकता के अधिकार से वंचित करने के लिए ही बनाया गया है। यह बात बार-बार दोहराने की है कि सीएए अपने आप में अलग कानून नहीं है बल्कि इसके बाद एनआरसी आएगा और दोनों को एक दूसरे से जोड़ा जाएगा। एनआरसी आने के बाद सीएए मुसलमानों से नागरिकता छीनने का कानून बन जाएगा। इस आरोप के पीछे भारतीय जनता पार्टी का वह एजेंडा है जिससे यह साफ लगता है कि वह मुसलमानों को उनके अधिकारों से वंचित करने को ही अपनी चुनावी रणनीति मानती है। इसे यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात से भी समझा जा सकता है। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कही गई है लेकिन वहां भी आदिवासियों को इससे छूट दी गई है। यानी उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी सरकार आदिवासियों के अधिकार तो देना चाहती है लेकिन मुसलमानों को इससे वंचित रख रही है। यूनिफॉर्म सिविल कोड और सीएए का संवैधानिक कारणों से विरोध करना जरूरी है क्योंकि यह दोनों कानून धार्मिक आधार पर भेदभाव करते हैं।

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