छ्पी-अनछ्पी: ओवैसी की पार्टी बिहार में 11 सीटों पर लड़ेगी, कोर्ट में ट्रांसफार्मर ब्लास्ट से वकील की मौत

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गतिविधियां तेज हो गई है और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उधर चिराग पासवान ने कहा है कि भाजपा के साथ सीट शेयरिंग पर उनकी बात हो गयी है। पटना के सिविल कोर्ट में एक ट्रांसफार्मर के ब्लास्ट हो जाने से एक वकील की मौत हो गई। यह तीन खबरें आज सभी अखबारों में शामिल हैं।

हिन्दुस्तान के अनुसार असद्दुदीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी एआईएमआईएम बिहार में 11 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इनमें सीमांचल की चार सीटों किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार के अलावा बक्सर, काराकाट, उजियारपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भागलपुर एवं गया भी शामिल है। बुधवार को किशनगंज स्थित पार्टी कार्यालय में एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अमौर विधायक अख्तरुल ईमान ने प्रेसवार्ता के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमने इंडिया गठबंधन में शामिल होने की पूरी कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। निराश होकर उनकी पार्टी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी इन सभी 11 सीटों पर भारी मतों से जीत हासिल करेगी।

चिराग की पार्टी की सीटें तय

भास्कर के अनुसार लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि लोकसभा की सीटें तय हो गईं। बहुत जल्द उम्मीदवारों की घोषणा होगी। वे बुधवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के बाद मीडिया से मुखातिब थे। उनकी बातें और हाव-भाव पूर्ण संतुष्टि का था। उन्होंने अपनी सीट की संख्या तो नहीं बताई लेकिन उनकी बातें इस बात की भी गवाही दे रही थी कि भाजपा ने सीट शेयरिंग में उन्हीं को तवज्जो दी है। ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार में लोग जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और चिराग हाजीपुर से मैदान में उतरेंगे।

ट्रांसफार्मर ब्लास्ट, वकील की मौत

हिन्दुस्तान, प्रभात खबर और भास्कर की सबसे बड़ी खबर एक ही है: पटना सिविल कोर्ट परिसर में ट्रांसफार्मर में धमाका, जलने से एक वकील की जान गई, चार लोग झूलसे। पटना सिविल कोर्ट के गेट नंबर 1 से सटे ट्रांसफार्मर में बुधवार दोपहर करीब डेढ़ बजे शॉर्ट सर्किट से आग लग गई और ट्रांसफार्मर ब्लास्ट कर गया। ट्रांसफार्मर की आग और उसका तेल फुलवारी शरीफ के टहल टोला निवासी और दिव्यांग वकील देवेंद्र प्रसाद पर गिरा और वह जिंदा जल गए। इस हादसे में चार अन्य लोग झुलस गए। इस दर्दनाक घटना से आक्रोशित वकीलों ने कोर्ट के मुख्य द्वार के पास प्रदर्शन शुरू कर दिया। वकील का शव ले जाने से रोक दिया गया। वकीलों का कहना था कि सिविल कोर्ट में उनके बैठने के लिये पर्याप्त जगह नहीं है। यही कारण है कि उन्हें कोर्ट परिसर में इधर-उधर बैठना पड़ता है। कुछ अधिवक्ताओं ने ट्रांसफार्मर के मेंटेनेंस को लेकर भी सवाल खड़ा किये।

घरवालों को मुआवजा

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने मृतक के परिजन को 5 लाख और घायलों को 50 हजार जबकि राज्य बार काउंसिल ने मृतक परिजन को एक लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की। वहीं, बिजली कंपनी पेसू ने मृतक के परिजन को चार लाख का चेक सौंपा।

5 साल में खरीदे गए 22 हज़ार इलेक्टोरल बॉन्ड

जागरण की सबसे बड़ी खबर है कि चुनावी बॉन्ड को लेकर गरमाई राजनीति के बीच भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी जानकारी दे दी है कि कुल कितनी कंपनियों ने बॉन्ड खरीदे और कितने राजनीतिक दलों को लाभ मिला। चुनाव आयोग 15 मार्च को यह जानकारी सार्वजनिक भी कर देगा। चुनाव आयोग को मुहैया कराई गई जानकारी में एसबीआई ने बताया है कि 1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच कुल 22217 चुनावी बॉन्डों की खरीद हुई।

बीजेपी की दूसरी लिस्ट में 30 सांसदों के टिकट कटे

भास्कर की बड़ी खबर है कि भाजपा ने आम चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले बुधवार को उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी। इसमें नौ राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 72 लोकसभा उम्मीदवारों के नाम हैं। इसमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री को टिकट दिया गया है। पूर्व भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र की नागपुर सीट से फिर चुनाव लड़ेंगे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल मुंबई नॉर्थ और अनुराग ठाकुर हिमाचल के हमीरपुर से चुनाव लड़ेंगे। इस सूची में 15 महिलाओं के नाम है। भाजपा दोनों सूची मिलकर 267 नाम घोषित कर चुकी है। पहली सूची में 34 सांसदों के टिकट कटे थे जबकि दूसरी सूची में 30 सांसदों के टिकट काटे गए हैं।

कांग्रेस का ‘नारी न्याय’ का वादा

जागरण की खबर है कि आगामी लोकसभा चुनाव को भावनात्मक राजनीति के मुद्दों की परिधि से बाहर निकालने की कोशिश में जुटी कांग्रेस ने बुधवार को आधी आबादी को साधने के उद्देश्य से महिलाओं के लिए नारी न्याय के तहत पांच वादों की गारंटी की घोषणा की। केंद्र में सत्ता में आने पर पार्टी देश के हर गरीब परिवार की एक महिला को महालक्ष्मी गारंटी के तहत सालाना ₹100000 देगी। साथ ही महिलाओं को केंद्र सरकार की नौकरियों में 50% भारती आरक्षण देने की बात कही गई है।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार आज संभव, 18 और बनाए जा सकते हैं मंत्री
  • रोहतास में खाई में गिरी 30 लोगों से भरी पिकअप वैन, चार महिलाओं की मौत
  • मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड में बारातियों को लेकर लौट रही सुमो ट्रक से टकराई, 5 की मौत
  • उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर राष्ट्रपति की मुहर
  • दरभंगा में डायरेक्टरेट आफ रिवेन्यू इंटेलिजेंस ने 13.27 किलो सोना पड़ा
  • सेंसेक्स ने लगाया 900 अंकों से ज्यादा का गोता डूबे 13.4 लाख करोड रुपए
  • पिटबुल समय 23 खूंखार नस्ल के कुत्तों की बिक्री पर पाबंदी

अनछपी: बिहार की विपक्षी पार्टियों और सेक्यूलर राजनीति के लिए चिंतित रहने वाले लोगों के लिए यह खबर अच्छी नहीं मानी जाएगी कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम बिहार में 11 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे लोग एआईएमआईएम को भारतीय जनता पार्टी की बी टीम भी कहते हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं जो घोषित रूप से भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनाव लड़ते हैं और सरकार चलाते हैं। बिहार की विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और आरजेडी के साथ-साथ बहुत से लोग ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार खड़े होने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो जाएगा और इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को होगा। दूसरी और ओवैसी की पार्टी सेक्यूलर होने का दावा करने वाली पार्टियों पर इस बात के लिए हमलावर रहती है कि वह ना तो मुसलमानों की समस्याएं उठाती हैं और ना ही उन्हें सही प्रतिनिधित्व देती हैं। ओवैसी की पार्टी पर यह आरोप भी लगता है कि हैदराबाद की यह पार्टी आंध्र प्रदेश में तो बहुत कम सीटों पर चुनाव लड़ती है लेकिन दूसरे राज्यों में बहुत सीटों पर चुनाव लड़ती है जिससे भाजपा को फायदा होता है। ध्यान रहे कि तेलंगाना में एआईएमआईएम भारत राष्ट्र समिति या बीआरएस के साथ चुनाव लड़ती है। एआईएमआईएम के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल इमान का कहना है कि उनकी पार्टी ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने की बहुत कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। असदुद्दीन ओवैसी से जब यह कहा जाता है कि उनकी वजह से मुस्लिम वोटों में बंटवारा होता है और भारतीय जनता पार्टी को फायदा होता है तो वह उन राज्यों का उदाहरण देते हैं जहां एआईएमआईएम चुनाव नहीं लड़ती फिर भी भारतीय जनता पार्टी को हराने में कांग्रेस और दूसरी पार्टी कामयाब नहीं हो पाती है। ऐसे में यह सवाल भी अहम है कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे की चिंता करने वाली पार्टियां अपने हिंदू वोटरों के बंटवारे के बारे में क्यों नहीं सोचतीं? लोकतंत्र में चुनाव लड़ना सभी पार्टियों का अधिकार है और किसी को यह नहीं कहा जा सकता कि क्योंकि उसके उम्मीदवारों से वोट का बंटवारा होगा इसलिए वह चुनाव नहीं लड़े। कई पार्टियों चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि इसलिए भी लड़ती हैं कि उसका विस्तार हो। उदाहरण के लिए मायावती की बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। ऐसे में वोटरों की समझदारी पर भरोसा करना ही एक उपाय है।

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