छपी-अनछपी: बिहार टीचर बहाली में डोमिसाइल की शर्त खत्म, मोदी ने की यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति में स्थाई निवास बिहार होने की शर्त खत्म कर दी गई है। यह जानकारी सभी जगह पहले पेज की पहली खबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत की है। इससे जुड़ी खबर भी पहले पेज पर है।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: शिक्षक भर्ती: स्थाई निवास की जरूरत खत्म, दूसरे राज्यों के लोगों को भी मौका। जागरण ने लिखा है: नियम बदला, दूसरे राज्य के अभ्यर्थी भी अब बन सकेंगे बिहार में शिक्षक। हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी सुर्खी है: शिक्षक भर्ती बिहार का स्थाई निवासी होना अनिवार्य नहीं। बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति में अब पूरे देश के लोग पात्र होंगे। क्योंकि, राज्य कैबिनेट ने शिक्षक बहाली में शामिल होने के लिए बिहार के स्थायी निवासी होने की अनिवार्यता खत्म कर दी है। इसके लिए शिक्षक नियुक्ति नियमावली में बदलाव किया गया है। अब किसी भी राज्य के योग्य अभ्यर्थी बिहार में शिक्षक के लिए आवेदन कर सकेंगे। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति दी गई।

किस मजबूरी में नियम बदला?

बिहाइ से बाहर के लोगों को मौका देने के बारे में सवाल किए जाने पर शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों के जो योग्य विद्यार्थी बेरोजगार हैं, वो शिक्षक नियुक्ति में भाग ले सकेंगे। उन्होंने कहा, “हमलोगों के लिए एक समस्या है कि गणित, भौतिकी, रसायनशास्त्र और अंग्रेजी में अभ्यर्थी नहीं मिल पाते हैं और सीटें खाली रह जाती हैं। इसके लिए शिक्षक नियुक्ति नियमालवी में संशोधन किया गया है। इससे बेहतर शिक्षण कार्य हो सकेगा।”

सवाल यूनिफॉर्म सिविल कोड का

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: एक घर, एक परिवार में दो क़ानून…ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा: मोदी। हिन्दुस्तान की हेडिंग है: एक देश में दो कानून कैसे चलेंगे: प्रधानमंत्री। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि एक घर में अगर दो कानून हों तो क्या वह चल पाएगा। ऐसी ही दोहरी व्यवस्था में देश भी कैसे चल पाएगा। संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार हैं। मोदी ने भोपाल में भाजपा के मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट भी समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में है। मगर, विपक्षी दल तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर भ्रम फैला रहे।

मोदी विपक्ष पर हमलावर

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: मोदी बोले, विपक्ष की एकजुटता यानी 20 लाख करोड़ के घोटाले की गारंटी। अमेरिका और मिस्र की यात्रा से लौटने के दूसरे दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में कहा कि विपक्षी एकजुटता 20 लाख करोड़ के घोटाले की गारंटी है और अपनी ओर से उन्होंने गारंटी दी कि ऐसे किसी भी भ्रष्टाचारी को नहीं छोड़ा जाएगा।

पूर्णिया में हाई टेंशन तार गिरा, 4 की मौत

पूर्णिया के टीकापट्टी थाना क्षेत्र की गोरियर पूरब पंचायत स्थित चोरिया बहियार में मंगलवार को धान रोपनी कर रहीं महिलाओं के ऊपर बिजली का हाईटेंशन तार गिर गया। करंट लगने से चार महिला श्रमिकों की मौके पर ही मौत हो गयी। जबकि दो महिलाओं की हालत गंभीर है। घटना से आक्रोशित लोगों ने सभी शव को रूपौल में थाना चौक पर रखकर जाम कर दिया। परिजन व ग्रामीण मुवाअजे के साथ-साथ बिजली विभाग पर केस दर्ज करने की मांग कर रहे थे।

पत्रकार पर व्हाइट हाउस की बात

पीएम मोदी से सवाल पूछने के बाद ऑनलाइन उत्पीड़न झेलने वाली सबरीना सिद्दीक़ी पर व्हाइट हाउस का बयान हिन्दी अखबारों में नज़रअंदाज़ कर दिया गया। बीबीसी के अनुसार अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्टर सबरीना सिद्दीक़ी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछने के बाद ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। सोमवार को व्हाइट हाउस ने घटना की निंदा की है। सबरीना ने पीएम मोदी से उनकी सरकार में अल्पसंख्यकों के साथ कथित भेदभाव और मानवाधिकार से जुड़े रिकॉर्ड पर सवाल पूछा था। पिछले हफ़्ते जब मोदी व्हाइट हाउस स्टेट विजिट पर पहुँचे थे तब संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सबरीना सिद्दीक़ी ने मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दे पर पीएम मोदी से सवाल पूछा था।

कुछ और सुर्खियां

  • बीपीएससी एकीकृत 69वीं पीटी के लिए 15 जुलाई से आवेदन
  • बिहार बोर्ड में इंटर में नामांकन की सूची जारी की, 12 लाख का चयन
  • श्रावणी मेला में 2 माह तक भागलपुर और सुल्तानगंज स्टेशन पर नॉनवेज बंद रहेगा, लोगों को सिर्फ सात्विक भोजन मिलेगा
  • बकरीद के अवसर पर सरकारी कर्मियों को 28 जून से वेतन मिलना शुरू
  • एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक का विलय 1 जुलाई से प्रभावी होगा
  • सिलीगुड़ी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग, ममता को चोट लगी
  • विश्व कप के लिए आईसीसी ने नहीं मानी पाकिस्तान की शर्त, भारत से अहमदाबाद में होगी भिड़ंत

अनछपी: ऐसा लगता है कि पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले चुनाव की चिंता में डाल दिया है। वैसे तो यूनिफॉर्म सिविल कोड भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में रहा है लेकिन 9 साल सरकार में रहने के बाद उसकी बात अब करना चुनावी राजनीति और रणनीति का ही हिस्सा है। श्री मोदी किसी बात को इस अंदाज में कहने के माहिर माने जाते हैं जिससे लोगों को कन्फ्यूजन हो। एक देश और एक कानून का नारा सुनने में जितना अच्छा लगता है, हकीकत में उतना ही परेशानी में डालने वाला है। मोदी का यह कहना कि देश कैसे चलेगा दरअसल इस बात को नकारने जैसा है कि देश 75 साल से कैसे चलता आ रहा है। इससे पहले के लॉ कमीशन द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को खारिज किए जाने के बावजूद इसकी बात को दोहराना दरअसल ध्रुवीकरण का बड़ा प्रयास है। उन्हें मालूम है कि इसका धार्मिक अल्पसंख्यक विरोध करेंगे और इससे उन्हें हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने में मदद मिलेगी। भारत अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों के अनुसार चलने वाला देश रहा है और हर बात में एक देश की बात करना दरअसल उस विविधता को खत्म करने की साजिश है। एक देश के साथ क्या सारी चीजें एक हो सकती हैं? क्या एक देश में एक खानपान, एक परिधान हो सकता है? क्या एक देश में एक ही तरह का धर्म और त्यौहार हो सकता है? क्या एक देश में एक ही भाषा हो सकती है? क्या एक देश में एक ही राज्य और एक ही मुख्यमंत्री हो सकता है? क्या एक देश में एक ही खेल हो सकता है? ऐसे अनगिनत सवाल किए जा सकते हैं। ध्यान रखने की बात यह है कि जिस समानता की प्रधानमंत्री मोदी बात कर रहे हैं वह फौजदारी कानून में पहले से मौजूद है। क्या भारत के कानून में आम अपराध के लिए अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग कानून है? श्री मोदी इससे अनजान नहीं हैं। इसलिए यह कहना कि एक घर में दो कानून है, दरअसल आधा सच और आधा झूठ है। श्री मोदी कल होकर यह भी कह सकते हैं कि एक ही जगह दो तरह के धर्म क्यों हैं? भारत में अलग-अलग धर्मों के अनुसार शादी विवाह और संपत्ति बंटवारे का अलग-अलग कानून है। यह वास्तव में संविधान में दिए गए धर्म की स्वतंत्रता के अंतर्गत ही हुआ है। इसकी जगह कॉमन सिविल कोड लागू करने का मतलब होगा धर्म की स्वतंत्रता को पूरी तरह समाप्त कर देना।

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