छपी-अनछपी: शरद पवार की पार्टी को ले उड़े भतीजा अजित, फुलवारी-दरभंगा में एनआईए की छापेमारी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट। महाराष्ट्र में शरद पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार 2 दिन पहले तक लीडर आफ अपोजिशन थे लेकिन रविवार को उन्होंने पार्टी तोड़कर सरकार के समर्थन का ऐलान किया और खुद उप मुख्यमंत्री बन गए। यह खबर सभी अखबारों में छाई हुई है। एनआईए ने फुलवारी शरीफ और दरभंगा में छापेमारी की है जिसकी सूचना अलग-अलग अखबारों में अलग-अलग तरीके से दी गई है। अपने सांसदों से मिल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि भाजपा समाज का माहौल बिगाड़ रही है, इसे रोकें। यह खबर भी सभी जगह है।

भास्कर की पहली खबर है: अजित का पावर प्ले। जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: पवार के भतीजे का विद्रोह, राकांपा टूटी। हिन्दुस्तान की मेन हेडलाइन है: एनसीपी भी टूटी, अजित पवार उप मुख्यमंत्री बने। महाराष्ट्र में रविवार को बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ। राजभवन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता अजीत पवार ने चाचा शरद पवार को झटका देते हुए एकनाथ शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। एनसीपी के आठ नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवसेना दो धड़ों में बंट गई थी।

चार साल, तीन सरकार और अजित पवार

भास्कर अखबार लिखता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता, यह कहावत रविवार को महाराष्ट्र में सही साबित हो गई। तीसरा मोर्चा बनाने में आगे रहे एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे और विपक्ष के नेता अजित पवार 35 विधायकों के साथ-साथ भाजपा शिवसेना सरकार में शामिल हो गए। यह बगावत शरद पवार के लिए बड़ा झटका है क्योंकि प्रफुल्ल पटेल छगन भुजबल दिलीप वलसेपाटील जैसे बड़े नाम भी अजीत के साथ हैं। प्रफुल्ल पटेल को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। ऐसी चर्चा है कि शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रियसुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया तो उनके भतीजा अजित पवार इससे नाराज हो गए। 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद 4 साल में अजीत तीसरी बार डिप्टी सीएम बने हैं।

एनसीपी में टूट पर कौन क्या बोला

  • बगावत से फर्क नहीं, नई टीम बनेगी: शरद पवार
  • भारतीय जनता पार्टी को जनता की ताकत पर भरोसा नहीं: ललन सिंह
  • बिहार में महागठबंधन के दल एकजुट: मदन सहनी
  • प्रधानमंत्री मोदी को विपक्ष विहीन लोकतंत्र चाहिए: मनोज झा
  • विपक्षी एकता बैठक के कारण एनसीपी में हुआ विद्रोह: सुशील मोदी
  • महाराष्ट्र की घटना नरेंद्र मोदी और भाजपा की बेचैनी का इजहार: शिवानंद तिवारी

एनआईए के छापे

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: तमिलनाडु में मिली धार्मिक पुस्तक के आधार पर फुलवारी में छापेमारी। एनआईए और बिहार एटीएस की टीमों ने पीएफआई मामले में पटना और दरभंगा में संयुक्त रूप से छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार पटना में फुलवारी शरीफ में इमारत शरिया के सामने बुक स्टॉल पर एनआईए की टीम ने धावा बोला। पिछले दिनों बिहार एटीएस ने फुलवारीशरीफ मामले में मुमताज अंसारी को तमिलनाडु से गिरफ्तार किया था। एटीएस को मुमताज के ठिकाने से धार्मिक पुस्तक मिली थी जिसके बारे में उसने बताया था कि यह पुस्तक फुलवारीशरीफ से खरीदी है। इसी पुस्तक के आधार पर रविवार को छापेमारी हुई। फुलवारी शरीफ में एनआईए की टीम ने बुक स्टॉल के मालिक रियाजुद्दीन के घर से दो मोबाइल फोन भी जब किया है। रियाजुद्दीन के फ्लैट पर भी छापेमारी की गई। दरभंगा के बहेड़ा थाना इलाके में भी छापेमारी की है।

भजपा माहौल बिगाड़ रही: नीतीश

अपने सांसदों से मिल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के हर कारनामे का माकूल जवाब देने को कहा है। भास्कर के अनुसार उन्होंने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए समाज का माहौल बिगाड़ रही है। तनाव पैदा कर रही है। दुष्प्रचार कर रही है। इसे अपने स्तर से रोकें। नीतीश कुमार ने अपने विधायक विधान पार्षदों से मिलने के बाद अपने सांसदों से 121 बातचीत शुरू की है। रविवार को उन्होंने साथ लोकसभा सदस्यों और दो राज सभा सदस्यों से से बात की। मुख्यमंत्री ने सांसदों से उनके इलाके का हालचाल जाना और कहा कि जनता की समस्याओं को निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ें।

औरंगाबाद व दरभंगा में माहौल बिगाड़ने की साजिश

हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि औरंगाबाद और दरभंगा में रविवार असमाजिक तत्वों द्वारा माहौल बिगाड़ने की साजिश को प्रशासन ने मुस्तैदी से नाकाम कर दिया। रविवार को ओरंगाबाद के हसपुरा बाजार और अमझर शरीफ गांव में धार्मिक स्थल पर असमाजिक तत्वों द्वारा अप्रिय वस्तु रखे जाने की सूचना मिलते ही लोग भड़क उठे। इसके बाद सड़क जाम कर जमकर हंगामा हुआ। दूसरी ओर दरभंगा के सिमरी थाना क्षेत्र की माधोपुर बसतवाड़ा पंचायत के एक धार्मिक स्थल पर रविवार को अवांछित वस्तु फेंकने की जानकारी मिलते ही सनसनी फैल गई। बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं आसपास के लोग मौके पर जमा हो गए। जानकारी मिलते ही पहुंची सिमरी पुलिस ने वहां से अवांछित वस्तु को हटाया।

फ्रांस में हालात नहीं सुधरे

फ्रांस में 17 वर्षीय लड़के की मौत के बाद भड़की हिंसा पांचवें दिन भी जारी रही। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मेयर के घर पर हमला बोल दिया। इसमें उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गईं। सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम के बाद भी हालात बेकाबू हो गए हैं। पुलिस ने शनिवार की रात सर्च ऑपरेशन में 719 लोगों को गिरफ्तार किया। इन पर हिंसा में शामिल होने का आरोप है। अब तक 2800 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पेरिस के उपनगरीय इलाके लयले होज में हमलावरों ने मेयर के घर से कार टकरा दी। जब प्रदर्शनकारियों ने उनके घर पर कार से टक्कर मारी उस वक्त घर में उनकी पत्नी और दो बच्चे सो रहे थे।

कुछ और सुर्खियां

  • कर्नाटक में होने वाली विपक्ष की महा बैठक अब 17-18 जुलाई को होगी
  • बहुजन समाज पार्टी ने समान नागरिक संहिता का किया समर्थन
  • हाजीपुर मुजफ्फरपुर रेल खंड में पवन एक्सप्रेस का चक्का टूटा, 35 किलोमीटर उसी तरह चली
  • सुल्तानगंज से देवघर सज-धज कर तैयार, श्रावणी मेला आज से
  • मणिपुर में उग्रवादी संगठनों ने हटाई दो राजमार्गों से नाकाबंदी
  • अमेरिका में दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी हिंदी
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक

अनछपी: शरद पवार के नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी में भतीजे अजित पवार के विद्रोह के लिए भारतीय जनता पार्टी पर नैतिकता के चाहे जितने आरोप लगाए जाएं यह बात अपनी जगह है कि इस मामले से शरद पवार की शक्तिशाली नेता की छवि को धक्का लगा है। शरद पवार चाहे जो आरोप लगाए लेकिन उनके भतीजे ने उनसे बगावत कर दी और वह कुछ नहीं कर सके। उनकी इस बेबसी पर कई लोग कह रहे हैं कि अजित को कहीं शरद पवार का समर्थन तो नहीं है। राजनीतिक दांवपेच ऐसी चीज है कि कोई बयान कितना सही है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल काम है। हो सकता है शरद पवार का कोई समर्थन अजीत पवार को नहीं हो लेकिन ऐसी बात फैला कर शरद पवार की स्थिति को और कमजोर किया जा सकता है। शरद पवार की इस बेबसी में जो बात ज्यादा चर्चित है वह है प्रफुल्ल पटेल की बगावत क्योंकि उन्हें शरद का बहुत करीबी नेता माना जाता था और वह पार्टी में भी महत्वपूर्ण पद पर थे। खुद शरद पवार ने एक जमाने में कांग्रेस पार्टी को तोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी। इसलिए वह यह शिकायत नहीं कर सकते कि उनके भतीजे ने कोई गलत काम किया है। राजनीति में साम-दाम-दंड-भेद चलता है और इसके बारे में शिकायत करने वाले लोग हारे हुए होते हैं। यह जरूर है कि जनता को यह सवाल करना चाहिए और वोट देने से पहले सोचना चाहिए कि अजित पवार जैसे नेता जब कभी भी दल बदल सकते हैं तो उन्हें किस आधार पर वोट दिया जाए। फिलहाल ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी अपनी सभी चालों में कामयाब है और वह वहां लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी स्थिति को मजबूत बता सकती है। इसके साथ ही विपक्षी एकता की कोशिशों के लिए भी यह घटनाक्रम एक धक्का माना जा सकता है। कई लोग यह याद दिला रहे हैं कि जो प्रफुल्ल पटेल आज अजित पवार के साथ भाजपा को समर्थन दे रहे हैं वही 23 जून को पटना में विपक्षी पार्टी की एकता की बैठक में भी शामिल थे। तो क्या विपक्षी एकता की बातें प्रफुल्ल पटेल ने भाजपा को नहीं बताई होगी? बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कांग्रेस पार्टी को भी इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा।

 

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