छ्पी-अनछ्पी: बेतिया में मोदी ने जंगलराज का आरोप दोहराया, यूनिवर्सिटियों के खाते से रोक हटी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। योजनाओं की सौगात देने के नाम पर बुधवार को बेतिया पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालू प्रसाद का नाम लिए बिना परिवारवाद और जंगल राज का आरोप दोहराया। इधर लालू प्रसाद ने जवाबी हमला करते हुए कहा है कि जो लोग मोदी को अपना परिवार मानते हैं पहले अपने बाल-मूंछ छिलवाएं। शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के खातों से निकासी पर लगी रोक को हटा लिया है लेकिन कुलपतियों को बुलाने के मसले पर राजभवन के साथ फिर टकराव पैदा हो गया है।

भास्कर की पहली खबर है: इंडी गठबंधन अभी भी लालटेन की लौ के भरोसे: प्रधानमंत्री। प्रभात खबर ने सुर्खी लगाई है: लालटेन राज बिहार का गुनहगार। जागरण की मेन हेडलाइन है: जंगलराज लाने वाला परिवार गुनहगार। हिन्दुस्तान ने लिखा है: जंगल राज वाले युवाओं के गुनहगार: मोदी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की तेज तरक्की की जरूरत बताते हुए कहा कि सूबे में जंगलराज लाने वाला परिवार यहां के युवाओं का सबसे बड़ा गुनहगार है। पांच दिन में दूसरी बार बिहार दौरे पर आए प्रधानमंत्री ने बुधवार को बेतिया में विकसित भारत-विकसित बिहार संकल्प कार्यक्रम में लालू परिवार का नाम लिए बगैर राजद, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर तीखे हमले किए। पीएम ने कहा, चुनाव में हार तय देख इंडिया गठबंधन वाले भगवान राम को भी निशाने पर लेने लगे हैं। इन्होंने भगवान राम को दशकों टेंट में रखा और मंदिर नहीं बनने देने की कोशिश करते रहे।

मोदी को परिवार मानने वाले बाल छिलवाएं: लालू

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने परिवारवाद के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार किया है। उन्होंने अपने को मोदी का परिवार बताने वालों को निशाने पर लिया। राजद सुप्रीमो ने अपने निराले अंदाज में कहा-जो लोग अपने को मोदी का परिवार कहते हैं वो पहले मूंछ-बाल छिलवाएं। उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्य के निधन होने के बाद मूंछ-बाल छिलवाया जाता है, नाखून कटवाया जाता है, तो वे सब छिलवा लें, तब हम मानेंगे कि सभी लोग परिवार हैं।

खाते पर रोक हटी, तनाव जारी

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: विश्वविद्यालयों के खातों पर लगी रोक हटाई, वीसी 9 को फिर तलब। विश्वविद्यालयों के बैंक खातों पर लगी रोग को शिक्षा विभाग ने हटा लिया है। इसके बावजूद राजभवन और शिक्षा विभाग के साथ टकराव खत्म होता नहीं दिख रहा है। शिक्षा विभाग ने परीक्षाओं की स्थिति की समीक्षा के लिए कुलपतियों और परीक्षा नियंत्रकों को फिर से 9 मार्च को तलब किया है। उन्हें उसी एजेंडे पर तैयार होकर आने को कहा गया है जिस पर 28 फरवरी को बैठक बुलाई गई थी। इधर शिक्षा विभाग की ओर से 9 मार्च की बैठक का पत्र जारी होने के बाद राजभवन का भी पत्र कुलपतियों के नाम जारी हो गया जिसमें कहा गया है कि मुख्यालय छोड़ने के लिए चांसलर की अनुमति जरूरी होगी।

मोदी को पनौती न बोलें राहुल: एडवाइजरी

जागरण की खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पनौती और जेबकतरा जैसे तंज़ कसने के मद्देनजर चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपने सार्वजनिक बयानों के प्रति अधिक सावधान और सतर्क रहने की सलाह दी है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट के पिछले वर्ष दिसंबर के निर्देश के मुताबिक चुनाव आयोग में राहुल गांधी से चुनाव अभियान के दौरान स्टार प्रचारकों एवं राजनीतिक नेताओं के लिए हाल में जारी एडवाइजरी का गंभीरता से अनुपालन करने के लिए कहा है। प्रधानमंत्री के लिए पनौती एवं जेबकतरा जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने पर चुनाव आयोग ने पिछले वर्ष राहुल गांधी को नोटिस जारी किया था।

सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों के कागजात की जांच होगी

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है कि सक्षमता परीक्षा में सफलता के बाद भी नियोजित शिक्षकों की कई स्तरों पर जांच होगी। परीक्षा के दरम्यान थंब इंप्रेशन (अंगूठे का निशान) लिया गया था। बायोमेट्रिक उपस्थिति के मिलान के अलावा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की दोबारा जांच की जाएगी। इसके बाद ही सफल नियोजित शिक्षकों को जिला आवंटित किया जाएगा।

बागी विधायकों पर कार्रवाई के लिए कोर्ट जाएगा आरजेडी

जागरण ने जानकारी दी है कि बिहार में सत्ता परिवर्तन के बीच दल को धोखे में रखकर पार्टी का साथ छोड़ कर सत्ता पक्ष में शामिल होने वाले राजद के पांच विधायकों की मुश्किलें बढ़ेंगी। राष्ट्रीय जनता दल ने इन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। जिस दिन बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार का परीक्षण था उस दौरान सूर्यगढ़ा विधायक प्रह्लाद यादव, शिवहर विधायक चेतन आनंद और मोकामा विधायक नीलम देवी मतदान के पहले पाला बदलते हुए सत्ता पक्ष के साथ हो गईं। इन तीन विधायकों के बाद मोहनिया विधायक संगीता देवी और भभुआ विधायक भरत बिंद भी राजद से निकाल कर सत्ता पक्ष में शामिल हो गए। पार्टी को धोखा देने वाले विधायकों के खिलाफ राजद ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखित शिकायत दर्ज कराई लेकिन अब तक इन विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब पार्टी ने संकेत दिए हैं कि अगर उन विधायकों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई और उनकी सदस्यता रद्द नहीं की गई तो पार्टी कोर्ट की शरण में जाएगी।

कुछ और सुर्खियां

  • आनंद किशोर नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव बने, सीतामढ़ी, कटिहार और जहानाबाद के डीएम बदले
  • खगड़िया वैशाली अरवल और किशनगंज के एसपी बदले गए
  • सेंसेक्स पहली बार 74000 के पार
  • शिक्षक भर्ती की 16 मार्च को होने वाली परीक्षा स्थगित
  • कोलकाता में नदी के नीचे चलने वाली पहली मेट्रो रेल का उद्घाटन
  • कटिहार के कोढ़ा की भाजपा विधायक कविता पासवान के भतीजे की हत्या
  • भाकपा माले की शशि यादव जाएंगी विधान परिषद

अनछपी: पनौती और जेबकतरा जैसे शब्द क्या अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए नहीं इस्तेमाल किए जा सकते? भारत के चुनाव आयोग को ऐसा ही लगता है। चुनाव आयोग पर पहले ही यह आरोप लगाता रहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में काम करता है और वह पक्षी नेताओं को बेमतलब निशाना बनाता है। चुनाव आयोग ने अपनी एडवाइजरी में राहुल गांधी को विशेष तौर पर क्यों सलाह दी है? ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग राहुल गांधी द्वारा दोबारा उन शब्दों या उन जैसे दूसरे शब्दों के इस्तेमाल का अंदाजा लगा रहा है। ऐसे में यह शक पैदा हो सकता है कि क्या चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर यह एडवाइजरी जारी की है। राजनीति में तंज़ की अपनी जगह होती है हालांकि यह बात भी सही है कि इसके लिए आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल से बचा जाए तो बेहतर है। चुनाव आयोग से यह सवाल किया जा सकता है कि वह कुछ शब्दों के बदले शब्दों की एक सूची क्यों नहीं जारी करता जिसके इस्तेमाल से बचने की सलाह दी जा सकती है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जो सही नहीं थे। बात सिर्फ शब्दों की नहीं बल्कि उनके कहने की अंदाज़ की भी है। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के दौरान जिस अंदाज में ममता बनर्जी को दीदी ओ दीदी कहा था उस पर कई लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई थी लेकिन चुनाव आयोग ने इसका नोटिस नहीं लिया। इसी तरह किसी के लिए शूर्पणखा, किसी के लिए पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड और किसी के लिए जर्सी गाय जैसे शब्दों के इस्तेमाल के लिए भी नरेंद्र मोदी की आलोचना हुई है। बहुत से लोगों को चुनाव आयोग से अपनी स्वतंत्रता का लाभ लेते हुए नरेंद्र मोदी के बारे में भी इसी तरह की एडवाइजरी जारी करने की उम्मीद रही होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजकल विभिन्न राज्यों में चुनाव के मद्देनजर योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर रहे हैं लेकिन इस दौरान वह सरकारी खर्चे पर अपने दौरे में राजनीतिक विरोधियों को निशाना बना रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 की तारीख घोषित होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगा सकता है लेकिन क्या चुनाव आयोग उन्हें कोई एडवाइजरी जारी करेगा?

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