छ्पी-अनछ्पी: चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम आबादी का शिगूफ़ा, शेयर बाज़ार में डूबा 7 लाख करोड़

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। चुनाव के बीच हिंदू और मुसलमान की आबादी पर सियासी बयान दिए जा रहे हैं। गुरुवार को शेयर बाजार में निवेशकों के 7 लाख करोड़ रुपए डूब गए। दाखिल खारिज का आवेदन रद्द करने से पहले आवेदक का पक्ष जानना जरूरी है। बिहार में अक्सर विश्वविद्यालय ऐसे हैं जिनमें कई विषयों के एक भी शिक्षक नहीं है। आज के अखबारों की यह अहम खबरें हैं।

हिन्दुस्तान की सुर्खी है: हिंदुओं की संख्या में कमी की रिपोर्ट पर सियासत तेज। अख़बार लिखता है कि भाजपा नेताओं ने देश में हिंदुओं की आबादी घटने और मुसलमान की आबादी बढ़ने वाली रिपोर्ट पर चिंता जताई है। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हिंदुओं की आबादी घटने और मुसलमानों की आबादी बढ़ने के मामले की चुनाव बाद समीक्षा होगी। इधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने हिंदू की जनसंख्या घटने और मुसलमानों की बढ़ने वाली रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जब देश में जनगणना हुई नहीं तो यह रिपोर्ट कहां से आ गई, यह सब फालतू बात है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट भटकाने का प्रयास है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि आबादी घटने-बढ़ने को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए।

7 लाख करोड़ डूबे

भास्कर के अनुसार भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को भी भारी बिकवाली हुई । सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान पर बंद हुए। सेंसेक्स 1062 अंक फिसल कर 72404 और निफ्टी 345 अंक गिरकर 21957 पर बंद हुए। यह सेंसेक्स की 23 जनवरी और निफ्टी की 17 जनवरी के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। विशेषज्ञ गिरावट की वजह को लोकसभा चुनाव से भी जोड़ रहे हैं। इस गिरावट से निवेशकों के सात लाख करोड़ रुपये से अधिक शेयर बाजार में डूब गए।

दाखिल खारिज का आवेदन रद्द करने से पहले नोटिस ज़रूरी

जागरण की पहली खबर है: दाखिल खारिज का आवेदन रद्द करने से पहले आवेदक का पक्ष सुनना होगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अंचल अधिकारियों (सीओ) को कहा है कि दाखिल खारिज का आवेदन रद्द करने से पहले आवेदक का पक्ष जरूर सुनें। यह उनके लिए बाध्यकारी है। दाखिल खारिज की प्रक्रिया एवं अधिनियम में इसका प्रावधान है लेकिन लगातार इसकी अनदेखी की शिकायत मिल रही है। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने गुरुवार को प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि यह दोनों अधिकारी देखें कि इस मामले में प्रावधान का पालन हो रहा है या नहीं। दाखिल खारिज का आवेदन रद्द करने से पहले अंचलाधिकारी या राजस्व अधिकारी संबंधित आवेदक को नोटिस दें। उन्हें आपत्तियों के बारे में बताएं और उस पर उनका पक्ष सुनें। इसके बाद भी अगर आवेदन रद्द होता है तो फाइल में कारणों का स्पष्ट उल्लेख करें।

चुनाव प्रचार मौलिक अधिकार नहीं: ईडी

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने की मांग का विरोध किया। ईडी ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि ‘चुनाव प्रचार का अधिकार, न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक। यह कानूनी अधिकार भी नहीं है।’ ईडी ने कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से गलत संदेश जाएगा। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष ईडी की ओर से उप निदेशक भानू प्रिया मीणा ने यह हलफनामा दाखिल किया। उन्होंने कहा कि ईडी की जानकारी के मुताबिक अब तक किसी भी राजनेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव क्यों न लड़ रहा हो।

विश्वविद्यालय में शिक्षकों के पद खाली

प्रभात खबर और हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालय में आधे से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। कई विषयों में एक भी नियमित शिक्षक कार्यरत नहीं है। विश्वविद्यालयों द्वारा राजभवन को इस संबंध में जानकारी दी गई है। पिछले दिनों राजभवन में हुई कुलपतियों की बैठक में यह जानकारी सभी ने दी है। कुलपतियों ने बताया कि जिन विषयों के शिक्षक नहीं है वहां गेस्ट फैकल्टी क्लास लेते हैं। उन्हें भी 11 महीने से भुगतान नहीं किया गया है। मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि उनके यहां पीजी में शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी का एक भी पद नहीं है। स्नातक के शिक्षक ही स्नातकोत्तर को पढ़ा रहे हैं। ललित नारायण विश्वविद्यालय ने बताया कि उनके यहां शिक्षकों के 117 पद रिक्त हैं। 381 अतिथि शिक्षक हैं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में शिक्षकों का स्वीकृत पद 1690 है जिनमें 637 ही नियमित शिक्षक हैं। तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में 15 ऐसे विषय हैं जिनमें एक भी नियमित शिक्षक नहीं है।

मोदी के हाथ से फिसल रहा चुनाव: राहुल

जागरण के अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ से फिसलता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब वह देश के युवाओं का ध्यान भटकाने के लिए कुछ नया नाटक करने की कोशिश करेंगे। एक वीडियो संदेश में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने युवाओं से प्रधानमंत्री के प्रचार से विचलित न होने का आग्रह किया और उन्हें आश्वासन दिया कि 4 जून को जब विपक्षी गठबंधन इंडिया सरकार बना लेगा तो वह सरकार उन्हें 15 अगस्त तक 30 लाख नौकरियां देने का काम शुरू कर देगी।

मुस्लिम कोटा खत्म करेंगे: शाह

भास्कर के अनुसार तेलंगाना के भौंगीर में गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि भाजपा सत्ता में आती है तो एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण बढ़ाएंगे और मुस्लिम का कोटा खत्म करेंगे। “कांग्रेस झूठ फैला रही है कि नरेंद्र मोदी फिर पीएम बनते हैं तो वह आरक्षण खत्म कर देंगे। प्रधानमंत्री ने 10 साल से कोई आरक्षण खत्म नहीं किया लेकिन कांग्रेस ने मुसलमान को चार प्रतिशत आरक्षण देखकर एससी, एसटी और ओबीसी के कोटे पर डाका डाला है।” उन्होंने कहा कि यह चुनाव मोदी बनाम राहुल के साथ-साथ विकास बनाम जिहाद का है।

मोदी-राहुल को खुली बहस की दावत

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं पत्रकार ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान सार्वजनिक बहस के लिए आमंत्रित किया है। पत्र लिखने वालों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी. लोकुर, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम शामिल हैं।

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अनछपी: लोकसभा चुनाव 2024 में पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बहुत हिंदू-मुसलमान कर चुके हैं। अब इस इस मुहिम में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की वह रिपोर्ट भी शामिल हो गई है जिसमें यह दावा किया गया है कि पिछले कई दशकों में हिंदुओं की संख्या कम और मुसलमान की संख्या अधिक हुई है। इस रिपोर्ट पर कई वजहों से सवाल किया जा रहे हैं। पहली वजह तो यह है कि क्या जनसंख्या घटने या बढ़ने के बारे में आर्थिक सलाहकार परिषद कोई रिपोर्ट दे सकती है? बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सही सवाल किया है कि जब जनगणना हुई नहीं तो आबादी के बढ़ने या घटने की जानकारी मिलने का आधार क्या है? और अगर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट को सही भी मान लिया जाए तो यह सवाल बचता है कि यह रिपोर्ट चुनाव के बीचो-बीच क्यों जारी हुई जबकि यह चर्चा शुरू हो गयी थी कि नरेंद्र मोदी का इस बार चुनाव जीतना मुश्किल होता जा रहा है। कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने शायद इसीलिए कहा है कि यह दरअसल असली मुद्दों से ध्यान भटकने की कोशिश है। इस बारे में वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश साहनी ने कहा कि हिंदुओं की संख्या कम हो रही है तो पीएम नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों को मिलकर जनसंख्या बढाना चाहिए, मोदी को कहिए कि जनसंख्या बढ़ाएं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का कहना है कि आबादी को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए लेकिन क्या उनकी बात को उनके सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के नेता सुनेंगे? समझने की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विशेष कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह, की शुरू से यह कोशिश है कि इस चुनाव को हिंदू बनाम मुसलमान बना दिया जाए और हिंदुओं के दिल में यह बात बैठा दी जाए कि चाहे उनके उम्मीदवार कितने भी नाकारा हैं, हिंदू होने के नाम पर उन्हें वोट दे दें। मोदी और शाह की कोशिश यह है कि भाजपा सरकार चाहे जितनी नाकाम हो इन सब बातों को भूलकर सिर्फ इस वजह से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया जाए ताकि वह हिंदुओं की बात कर सकें। भारत के लोकतंत्र के लिए यह शुभ संकेत नहीं है।

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