छपी-अनछपी: राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल, नूह में कोर्ट ने बुलडोज़र ऐक्शन रोका

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मोदी सरनेम मामले में निचली अदालत से सजा पाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा पर रोक लगाने के बाद सोमवार को उनकी सदस्यता बहाल की गई। हरियाणा के नूह में सरकार के बुलडोजर ऐक्शन पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इन दोनों महत्वपूर्ण खबरों को हिंदी अखबारों ने दबी-दबी सी जगह दी है। दिल्ली से जुड़ा सेवा बिल राज्यसभा में पास किए जाने की खबर को प्रमुखता मिली है।

लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को संसद भवन पहुंचे और सदन की कार्यवाही में शामिल हुए। 137 दिन बाद संसद भवन पहुंचने पर ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं और सांसदों ने उनका स्वागत किया। राहुल गांधी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा को नमन किया। इसके बाद सदन की कार्यवाही में शामिल हुए। लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी ने अपना ट्विटर प्रोफाइल भी बदल लिया है। इस खबर को हिंदी अखबारों ने कम महत्व दिया है जबकि टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड खबर यही है।

नूह में बुलडोज़र ऐक्शन पर रोक

भास्कर ने एक कॉलम की खबर दी है:हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले बुलडोजर ऐक्शन रोका। हरियाणा के नूह में हिंसा के बाद राज्य सरकार की बुलडोजर कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। सरकार की ओर से जारी ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया और रोक के आदेश दिए। नूह में धार्मिक यात्रा के दौरान हुई हिंसा के बाद 4 दिन से तोड़फोड़ की कार्रवाई चल रही थी।

दिल्ली सेवा बिल पास

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: दिल्ली सेवा विधेयक पर संसद की मुहर। राज्यसभा ने भी सोमवार को ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ को मंजूरी दे दी। लंबी चर्चा के बाद हुए मतदान में विधेयक के पक्ष में 131 और विरोध में 102 मत पड़े। लोकसभा इस बिल को पहले ही पारित कर चुकी है। अब यह विधेयक मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

जाति आधारित गणना पर रोक नहीं

जागरण की पहली खबर है: प्रदेश में अभी जाति आधारित गणना जारी रहेगी, 14 को अगली सुनवाई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में जातीय गणना (सर्वेक्षण) को जारी रखने के पटना हाईकोर्ट के फैसले में फिलहाल किसी तरह का दखल देने से इनकर कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हम मामले में फिलहाल न तो किसी तरह का यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित कर रहे हैं और न ही बिहार सरकार को नोटिस जारी कर रहे हैं। साथ ही मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति एसवी भट्टी की पीठ ने टिप्पणी तब की जब याचिकाकर्ताओं में एक अधिवक्ता ने मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित करने का आग्रह किया।

इक़बाल हॉस्टल के लिए प्रदर्शन

जागरण की खबर है: अल्पसंख्यक छात्रों को ही इस बार छात्रावास आवंटित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन। पटना कॉलेज के मशहूर इकबाल छात्रावास में सिर्फ अल्पसंख्यक छात्रों को आवंटन के लिए सोमवार को परिसर में जमकर प्रदर्शन किया गया। कॉलेज गेट की तालाबंदी कर कुलपति और प्राचार्य के विरुद्ध छात्रों ने नारेबाजी की और पुतला दहन किया। प्रशासनिक भवन और कक्षा में आक्रोशित छात्रों के प्रवेश करने पर पुलिस से नोकझोंक भी हुई। पुलिस ने स्थिति नियंत्रित करने के लिए छात्रों पर लाठीचार्ज किया। छात्र नेताओं ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बगैर छात्रों का पक्ष जाने हॉस्टल आवंटन में मनमानी तरीके से बदलाव किया है। साथ ही कहा कि जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रावास आवंटन नीति पहले की तरह नहीं करता है तब तक संघर्ष जारी रहेगा। छात्र नेताओं ने कहा कि सैदपुर रानी घाट सहित कई हॉस्टल में जाति आधारित आवंटन होता है।

क़र्ज़ के पैसे न लौटाने पर ज़िंदा जलाया

सूद पर लिए गए रुपये न लौटाने पर एक महाजन ने कर्जदार को जिंदा जलाकर मार दिया। घटना कटिहार ज़िले के बारसोई अनुमंडल के बलिया बेलौन थाना क्षेत्र के बघवा गांव की है। हिन्दुस्तान के अनुसार 80 लाख रुपये के लेनदेन का मामला था। इसी विवाद में रविवार की रात हाफिज मोहम्मद गालिब उर्फ मोहम्मद जलील को पहले बुरी तरह पीटा गया। फिर केरोसिन छिड़क जिंदा जला दिया गया। सोमवार शाम मो. जलील ने दम तोड़ दिया। एसपी ने एसडीपीओ प्रेमनाथ राम के नेतृत्व में विशेष टीम बनाकर इसकी जांच शुरू करवा दी है। मृतक की पत्नी पाकीजा खातून ने बताया कि सिंधिया गांव का एक लड़का सूद पर पैसे लगाता है। उसी से उनके पति ने भी करीब 80 लाख रुपए सूद पर लेकर दूसरे को दिया था। लेनदेन का कोई कागज या दस्तावेज नहीं रहने के कारण ये कुछ कर नहीं पा रहे थे। उधर, जिस लड़के से रुपये लिए थे वह लगातार तगादा कर रहा था। रुपए देने में लेट होने पर कई बार धमकी भी दी थी।

कुछ और सुर्खियां

  • लोकसभा में आज से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा
  • बिहार संग्रहालय में गांधी जयंती पर निशुल्क प्रवेश
  • मुखिया की ओर से कराए जा रहे कार्यों की सरपंच समीक्षा करेंगे
  • नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए जल्द बनेगी समिति
  • छपरा में बालू लदे ट्रैक्टर से अवैध वसूली के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को जेल
  • कई मामलों में जेल में बंद मनीष कश्यप को बेतिया में रंगदारी मामले में पेश किया गया

अनछपी: हरियाणा के नूह में एक समुदाय विशेष के मकानों और संपत्तियों को बुलडोजर से तोड़ने की सरकारी कार्रवाई पर हाई कोर्ट की रोक स्वागत योग्य बात है हालांकि पिछले 4 दिनों में सरकार ने सैकड़ों लोगों को बिना नोटिस दिए उनके घरों को और उनकी संपत्तियों को बुलडोजर से ढाह दिया। हिंदी अखबारों में इस खबर को कोई खास कवरेज नहीं मिली है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि बिना किसी डिमोलिशन आर्डर और नोटिस के कानून व्यवस्था के नाम पर लोगों के घरों को ढाया जा रहा था जिसमें विहित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। हाई कोर्ट ने कहा कि मुद्दा यह भी है कि क्या समुदाय विशेष के लोगों की बिल्डिंग ढाई जा रही हैं, जो विधि व्यवस्था के नाम पर की गई कार्रवाई और एथनिंग क्लींजिंग (नस्लीय सफाया) जैसा है। उन्होंने कहा कि उनकी समझ से भारत का संविधान नागरिकों की सुरक्षा करता है और इस तरह बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किया डिमोलिशन नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने हरियाणा के गृह मंत्री के उस बयान का भी नोटिस लिया जिसमें उन्होंने इलाज जैसी बात कही थी। कोर्ट ने इतिहासकार लॉर्ड एक्टन का वह बयान भी दोहराया जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्ता भ्रष्ट बनाती है और संपूर्ण सत्ता संपूर्ण तरीके से भ्रष्ट करती है। कोर्ट की यह टिप्पणियां उसे समय ज्यादा मददगार होती जब यह डिमोलिशन ऐक्शन शुरू हुआ था। चार दिनों में डिमोलिशन के शिकार लोगों का काफी नुकसान हो चुका है। ऐसे में यह मांग की जा सकती है के हाई कोर्ट उन लोगों को हर्जाना देने का आदेश दे जिनके घरों या दूसरी बिल्डिंगों को बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए ढाह दिया गया है। भारत की लोकतांत्रिक और संवैधानिक इतिहास के लिए यह शर्म की बात है कि सरकार कानून का उल्लंघन करती है और लोग उसकी वाहवाही करने में लग जाते हैं। हाई कोर्ट का यह आदेश ऐसे लोगों को कुछ विचार करने पर मजबूर करें तो लोकतंत्र का भला होगा।

 

 

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