छ्पी-अनछ्पी: अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन, ममता ने निकाली सर्वधर्म सद्भावना यात्रा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन पर सभी अखबारों ने विशेष पेज निकाला है और काफी विस्तार से खबरें और तस्वीरें दी हैं। उधर कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सर्वधर्म सद्भावना रैली निकाली जिसे सभी अख़बारों ने नज़रअंदाज़ किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को असम में मंदिर जाने से रोके जाने की छोटी सी खबर दी गई है।

हिन्दुस्तान की पहली सुर्खी है: कौशल्यानंदन भवन में विराजे। जागरण ने लिखा है: विराजे रामलला। प्रभात खबर ने हेडिंग लगाई है: रोम रोम में रमे राम। भास्कर ने अपने नाम पर लिखा है: रामचरित भास्कर/ राष्ट्र की आस्था का नया सूर्योदय।

हिन्दुस्तान ने लिखा है कि अद्भुत उल्लास और उमंग के बीच पांच सदियों की प्रतीक्षा 84 सेकंड की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में समाप्त हो गई। सक्षम, दिव्य भारत के नए संकल्प के साथ रामलला और उनके नवीन विग्रह मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित हो गए। वेदमंत्रों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुष्ठान संपन्न किए। सोमवार सुबह मंगल गान से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 10:25 बजे अयोध्या पहुंचे और राम नाम की प्रतिध्वनियों के बीच दिव्य नव्य गर्भगृह में प्रवेश किया। सर्वप्रथम आचार्यों ने संकल्प, आह्वान, नवग्रह पूजा और षोडशोपचार पूजा संपन्न कराई।

विजय नहीं, विनय: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कार्यक्रम में आए लोगों को मंच से संबोधित किया। उन्होंने कहा सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विजय का नहीं, विनय का अवसर है। मोदी ने कहा कि आज अयोध्या कुछ सवाल कर रही है। मंदिर तो बन गया, अब आगे क्या? कालचक्र बदल रहा है। यह सुखद संयोग है कि हमारी पीढ़ी को कालजयी पथ के शिल्पकार के रूप में चुना गया। हजार वर्ष के बाद की पीढ़ी राष्ट्र निर्माण के आज के कार्यों को याद करेगी। यही समय है, सही समय है। हमें एक हजार साल के भारत की नींव रखनी है।

किसने क्या कहा

  • कलह भुलाकर विश्वगुरु बनेंगे: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
  • भारत के स्वाभिमान की प्राण प्रतिष्ठा: श्री राम जन्म तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद देवगिरी
  • अयोध्या पहुंचे 150 देशों के मतावलंबी: श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय
  • मुझे लगता है इस धरती पर सबसे भाग्यशाली हूं: अरुण योगीराज, रामलला की मूर्ति बनाने वाले
  • जहां संकल्प था मंदिर वहीं बना: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
  • करोड़ों भक्तों के लिए अविस्मरणीय दिन: अमित शाह

ममता की सद्भावना

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एकता व सद्भावना रैली की खबर पटना के किसी अखबार में नहीं है। कुछ अखबारों में उनके काली पूजा करने की छोटी सी खबर दी गई है। प्रभात खबर के कोलकाता संस्करण की खबर है: भाजपा महिला विरोधी, देवी सीता पर साध लेती है चुप्पी: ममता बनर्जी। अखबार लिखता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से पहले धर्म के राजनीतिकरण का प्रयास करने को लेकर सोमवार को भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की और भगवान राम के बारे में विमर्श से देवी सीता को हटा देने के लिए उसे महिला विरोधी करार दिया। तृणमूल कांग्रेस की ओर से आयोजित सर्वधर्म यात्रा का नेतृत्व करते हुए सुश्री बनर्जी ने देश में धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों को संरक्षित करने में बंगाल की अहम भूमिका को रेखांकित किया। पार्क सर्कस मैदान में रैली के समापन पर सुश्री बनर्जी ने कहा मैं चुनाव से पहले धर्म का राजनीतिकरण करने में विश्वास नहीं रखती। मैं ऐसी परिपाटी के खिलाफ हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा भगवान राम के बारे में बात करती है लेकिन देवी सीता का क्या? वह वनवास के दौरान हमेशा भगवान राम के साथ रहीं, वह उनके बारे में नहीं बोलते क्योंकि वह महिला विरोधी हैं। मार्च के दौरान ममता बनर्जी ने गुरुद्वारे, गिरजाघर और पार्क सर्कस मैदान के पास एक मस्जिद में सिर झुकाकर अपने समावेशी दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया।

राहुल गांधी को मंदिर जाने से रोका

जागरण की सुर्खी है: क्या अब मोदी तय करेंगे कि कौन मंदिर जाएगा: राहुल। असम के नौगांव जिले में वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान जाने की अनुमति मिलने से इनकार के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को सवाल किया कि क्या अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय करेंगे कि भारत में कौन मंदिर जाएगा। कानून व्यवस्था की स्थिति में संभावित अड़चन का हवाला देकर सरकार ने राहुल को मंदिर जाने की अनुमति नहीं दी। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा, “यह आश्चर्जनक है क्योंकि राहुल गांधी वहां नहीं जा सकता जबकि बाकी सभी श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान जा सकते हैं। क्या प्रधानमंत्री फैसला करेंगे कि कौन मंदिर जाएगा और कब?” राहुल ने पत्रकारों से कहा कि शंकर देव की तरह कांग्रेस कार्यकर्ता नेता भी लोगों को साथ लाने और नफरत नहीं फैलाने में यकीन करते हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को राहुल गांधी से कहा था कि वह अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा से पहले बताद्रबा मंदिर ना जाएं।

दरभंगा में शोभा यात्रा की जबर्दस्ती

जागरण की खबर है कि अयोध्या में श्री राम लाल के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर दरभंगा के सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के भोपुरा गांव में सोमवार को शोभा यात्रा निकाली गई थी। बताया जाता है कि कलवाड़ा से डीजे वहां और बाइक के साथ शोभा यात्रा भोपुरा पहुंची। इस बीच दर्जनों लोगों ने विरोध करते हुए रास्ता रोक दिया। विरोध करने वालों का कहना था कि इस मार्ग से शोभा यात्रा नहीं जाने देंगे। सभी प्रशासनिक अनुमति पत्र दिखाने की मांग कर रहे थे। इसके बाद दोनों पक्षों में बहस होने लगी। एक पक्ष रोकने में लगा था तो दूसरा पक्ष हर हाल में उसी रास्ते से जाने के लिए बेताब था। इस बीच पहुंची पुलिस ने कलवाड़ा जाकर शोभा यात्रा में शामिल लोगों को बिना प्रशासनिक अनुमति के दूसरी पंचायत में जाने से मना कर दिया।

बिहार में 12 लाख मतदाता बढ़े

प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: राज्य में बढ़े 12 लाख मतदाता, वोटरों की संख्या होगी 7.64 करोड़। चुनाव आयोग द्वारा तैयार बिहार की नई मतदाता सूची में 12 लाख मतदाताओं की संख्या बढ़ गई है। राज्य में कुल मतदाता 7 करोड़ 64 लाख हो गए हैं। महिला मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। मतदाताओं के सेक्स रेश्यो में भी बढ़ोतरी हुई है अब सेक्स रेश्यो 907 से बढ़कर 909 हो गया है। मतदाता सूची के अनुसार राज्य में 4 करोड़ 29136 पुरुष मतदाता 3 करोड़ 64 लाख 1903 महिला मतदाता और थर्ड जेंडर की संख्या 2290 हो गई है।

कुछ और सुर्खियां

  • 30 जनवरी को राहुल की पूर्णिया में सभा मौजूद रहेंगे लाल और नीतीश
  • 4 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेतिया में करेंगे आम सभा
  • सर्दी के कारण छुट्टी को लेकर शिक्षा विभाग और पटना डीएम में ठनी
  • दिल्ली, एनसीआर में भूकंप के तेज झटके
  • शिक्षकों की साक्षमता परीक्षा 26 फरवरी से 13 मार्च तक
  • उद्धव ठाकरे की अर्जी पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

अनछपी: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन पर इसकी विस्तृत कवरेज स्वाभाविक बात है लेकिन ऐसा लगता है कि हिंदी पत्रकारिता एक बार फिर हिंदू पत्रकारिता में बदल गई है। सबको पता है कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या के धार्मिक उत्सव को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन किसी भी हिंदी अखबार ने इस ओर पिछले कई दिनों से कोई ध्यान नहीं दिया है। हद तो यह है कि कोलकाता में जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सद्भावना रैली निकाली तो उसका भी एक तरह से हिंदी मीडिया ने बायकाट किया। इसका नमूना आज के अखबार भी हैं। हिंदी मीडिया का असर अंग्रेजी अखबारों पर भी है और आज के टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी उस खबर को अंदर धकेल दिया है। इसी तरह राहुल गांधी के साथ असम में जो धक्का मुक्की की गई और उन्हें जिस तरह मंदिर में जाने से रोका गया इसकी कवरेज भी हिंदी अखबारों के पक्षपातपूर्ण रवैए का उदाहरण है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ठीक बगल में थे और इससे समझा जा सकता है कि यह पूरा कार्यक्रम किस तरह संचालित किया गया। अखबारों की कवरेज से ऐसा एहसास होता है कि भारत में हिंदू आबादी के अलावा बाकी कोई नहीं रहता। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भारत किसी एक आराध्य का राष्ट्र बनने जा रहा है या बन चुका है? हिंदूत्ववादी संगठनों द्वारा राम मंदिर उद्घाटन को एक राष्ट्र उत्सव के रूप में पेश किया गया जिसे अखबारों ने भी हूबहू उतार लिया। इसे 140 करोड़ लोगों का समारोह बताना वास्तव में भारत के उन गैर हिंदू लोगों के साथ अत्याचार है जिनकी आस्था अलग है। यह पूरी कोशिश वास्तव में एक विशेष आस्था को पूरे राष्ट्र पर थोपने की बेहद दुखदायी चाल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर को विजय के साथ विनय का अवसर बताया लेकिन यह समझ में आने वाली बात नहीं है कि आखिर यह किससे विजय की बात है और किसके साथ विनय का रवैया अपनाया जाएगा। एक संपादक ने लिखा है कि अब इतिहास को चाहे अनचाहे अपने बही खाते में दर्ज करना ही होगा कि दुनिया के सिर्फ एक देश में पाए जाने वाले हिंदुओं में इतना धैर्य और दमखम था कि वह अपनी भाव सत्ता के सर्वोच्च प्रतीक के लिए 500 साल तक बिना रुके जीते रहे। संपादक महोदय भूल गए कि यहां तक पहुंचाने के लिए इंसाफ का और इंसान का कितना खून किया गया है। इस पत्रकारिता को हिंदू पत्रकारिता से आगे बढ़कर हिंदुत्व की पत्रकारिता कहने में कोई हर्ज है?

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