छपी-अनछपी: बेगूसराय के मामले का होगा स्पीडी ट्रायल, बनारस में जुटे दुनियाभर के मंदिर संचालक

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मणिपुर में कूकी महिलाओं के साथ बर्बरता का वीडियो सामने आने के बाद बेगूसराय की एक घटना से जोड़ा जा रहा है हालांकि दोनों बिल्कुल अलग-अलग घटनाएं हैं और बिहार पुलिस इस मामले में स्पीडी ट्रायल की तैयारी कर रही है। इससे जुड़ी खबर सभी जगह है। इसी तरह पश्चिम बंगाल से एक वीडियो मिलने की खबर भी अखबारों में है। बनारस में शुरू हुए 32 देशों के 750 मंदिर संचालकों के कार्यक्रम की खबर को भास्कर ने प्रमुखता दी है।

हिन्दुस्तान की खबर है: दुष्कर्म और नाबालिग को निर्वस्त्र करनेे के मामले में होगा स्पीडी ट्रायल। बेगुसराय ज़िले के तेघड़ा के एक गांव में हारमोनियम मास्टर और किशोरी का वायरल आपत्तिजनक वीडियो मामले में पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है। दुष्कर्म का आरोपित किशुनदेव चौरसिया को गिरफ्तार कर लिया गया। वह पकठौल गांव निवासी स्व. रामलखन चौरसिया का पुत्र है। नाबालिग के अनुसार वह किशुनदेव चौरसिया से हारमोनियम बजाना सीखती थी। एक प्रोग्राम में शामिल होने के लिए गुरुवार की शाम किशुनदेव चौरसिया ने उसे घर पर बुलाया। उस समय उसकी पत्नी घर पर नहीं थी। उसे एक कमरे में ले जाकर बल्ब बंद कर अंधेरे में उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। उसके बाद ग्रामीण आये व उनके साथ मारपीट कर जबरन निर्वस्त्र कर दिया, जबकि वह इज्जत बचाने के लिए लोगों से गिड़गिड़ाती रही।

पुलिस कार्रवाई

आपत्तिजनक हालत में पकड़े जाने पर नाबालिग की पिटाई कर उसे जबरन निर्वस्त्र करने के मामले में अन्य तीन लोगों को नामजद आरोपित बनाया गया है। इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने छापेमारी तेज कर दी गयी है। पुलिस फरार चल रहे तीनों आरोपितों के आठ परिजनों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। चार आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर स्पीडी ट्रायल के तहत पुलिस सजा दिलाने के लिए तैयारी में जुट गयी है।

बंगाल के वीडियो पर हंगामा

मणिपुर में महिलाओं से अभद्रता की आंच पश्चिम बंगाल तक पहुंच गई है। शनिवार को सोशल मीडिया पर मालदा में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर पिटाई करने का वीडियो सामने आया। इन घटनाओं पर सियासी पारा गरमाता जा रहा है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा मालदा के बामनगोला इलाके में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर बेरहमी से पीटा गया, जबकि इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही। यह शर्मनाक घटना 19 जुलाई को हुई थी। इस पर पश्चिम बंगाल की महिला एवं बाल स्वास्थ्य मंत्री शशि पांजा ने कहा कि महिलाएं आपस में झगड़ रही थीं और पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। बाद में महिलाएं वहां से खुद चली गईं। मामला दर्ज कर अपराधियों की पहचान करने के प्रयास जारी हैं।

मणिपुर में बर्बरता की एक और खबर

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: मणिपुर में दो और के साथ हुई थी दरिंदगी। मणिपुर में 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया जाने के अलावा एक और घटना सामने आई है जिसमें दो युवतियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और फिर उनकी हत्या कर दी गई। इस मामले में भी 16 मई को पीड़िता की मां की ओर से कांगपोक्सी जिले के सैकुल थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराई गई थी लेकिन उसमें यौन हिंसा का कोई जिक्र नहीं किया गया था। पीड़िता की मां ने आरोप लगाया है कि 4 मई को बहुत संख्यक मैतेई समुदाय की भीड़ ने उनकी बेटी और उसकी सहेली के साथ दुष्कर्म किया और फिर नृशंस हत्या कर दी।

स्मार्ट टेंपल मिशन

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है अब स्मार्ट टेंपल मिशन की तैयारी सभी छोटे मंदिरों का भी उद्धार होगा। अखबार लिखता है कि दुनिया भर में मंदिरों का प्रबंधन व्यवस्थित करने पर मंथन के लिए काशी यानी बनारस में शनिवार से तीन दिवसीय इंटरनेशनल टेंपल कन्वेंशन शुरू हुआ। टेंपल कनेक्ट और अंत्योदय प्रतिष्ठान के इस कार्यक्रम में अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया और कनाडा सहित 32 देशों के मंदिरों के न्यास के व्यवस्थापक शामिल हैं। आयोजन में मंदिरों के लिए स्मार्ट सिटी की तर्ज पर स्मार्ट टेंपल मिशन लांच किया जाएगा। इसका मकसद मंदिरों को नई तकनीक से सुसज्जित करना उनकी नेटवर्किंग और कोऑपरेशन बढ़ाना है। ऐसे छोटे-छोटे सभी मंदिर जो आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं है, उनका उद्धार उसी क्षेत्र के बड़े मंदिरों के माध्यम से किया जाएगा। मंदिरों की व्यवस्था से जुड़ा एक श्वेत पत्र तैयार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा जाएगा। सम्मेलन का उद्घाटन आर एस एस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने किया।

प्राइमरी शिक्षक के 1 पद पर नौ उम्मीदवार

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है प्राथमिक के लिए 9 दावेदार माध्यमिक में दो और 12वीं में सीट से कम आवेदन। राज्य के प्राथमिक माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 170461 पदों पर नियुक्ति के लिए विलंब शुल्क के साथ आवेदन की प्रक्रिया शनिवार को समाप्त हो गई। बिहार लोक सेवा आयोग के अनुसार शाम 6:00 बजे तक प्राथमिक शिक्षकों के 79 हज़ार 943 पदों के लिए 7 लाख 48 हज़ार 89 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। माध्यमिक के 32916 पदों के लिए 65500 तथा उच्च माध्यमिक के 57 हज़ार 602 पदों के लिए 40 हज़ार आवेदन प्राप्त हुए हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से हाईवे बंद
  • गायक खेसारी लाल पर चेक बाउंस होने के मामले में गैर जमानती वारंट का आदेश
  • बिहार को उत्तर प्रदेश झारखंड व बंगाल से जोड़ने वाला वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेस वे को एनएच का दर्जा
  • ट्विटर पर डायरेक्ट मैसेज भेजने के लिए पैसे लेने की तैयारी
  • अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट में बिना आदेश पेश करने पर चार अफसर निलंबित
  • हाजीपुर से चुनाव लड़ने पर अड़े पशुपति पारस, बोले- दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती

अनछपी: बेगूसराय में नाबालिग लड़की के साथ जो अमानवीय हरकत की गई उसकी जितनी निंदा की जाए कम है लेकिन उसे मणिपुर की घटना से जोड़ना भी कहीं से उचित नहीं है। बेगूसराय के मामले का दो पहलू है। पहला मामला तो यह है कि उस लड़की के शिक्षक ने उसके साथ दुष्कर्म किया। दूसरा पहलू यह है कि दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में होने की खबर मिलने पर लोगों ने दोनों के साथ जो व्यवहार किया वह कहीं से सभ्य समाज की निशानी नहीं मानी जा सकती। जिन लोगों ने यह हरकत कि अगर उन्हें इस बात पर आपत्ति थी कि एक नाबालिग़ के साथ गुरु होने का दम भरने वाले व्यक्ति ने गलत हरकत की है तो उसे कायदे से पुलिस के हवाले करना चाहिए था। इसके बजाय दोनों को निर्वस्त्र करने और वीडियो बनाने की जो हरकत की गई पुलिस ने इस बारे में स्पीडी ट्रायल कहने की बात की है जो सराहनीय है। बिहार पुलिस जितनी जल्द इस मामले में दोनों तरह के दोषियों को यानी उस दुष्कर्मी हारमोनियम गुरु को और दोनों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले लोगों को सजा दिलाती है उतना ही अच्छा होगा। अब इस बात की चर्चा करते हैं कि मणिपुर से इस घटना को जोड़ना कैसे गलत है। मणिपुर में लंबे समय से हिंसा चली आ रही है और एक घटना हुई जिसे पुलिस ने दबाने की कोशिश की गई और वीडियो वायरल होने तक उसमें उसने कोई कार्रवाई नहीं की। मणिपुर में एक समुदाय विशेष की महिलाएं टारगेट पर थी जबकि बेगूसराय में ऐसा कोई मामला नहीं है। इसलिए बेगूसराय की घटना को मणिपुर की तरह का बताना वास्तव में मणिपुर की अमानवीय घटना को कम करके दिखाने जैसा है। वास्तविकता यह है कि मणिपुर की घटना एक समुदाय पर हो रहे लगातार अत्याचार को रोकने में सरकार की विफलता है जबकि वहां कथित डबल इंजन की सरकार है।

 

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