छपी-अनछपीः नीतीश बोले- ईडी व सीबीआई पर जनता जवाब देगी, सारण में जहरीली शराब से फिर मौतें

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। राखी के मौके पर पेड़ को रक्षा सूत्र बांधने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भविष्य की राजनीति के संकेत दिये हैं और यह अक्सर अखबारों की सबसे बड़ी खबर है। सारण में जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत, कश्मीर में बिहार के मजदूर की आतंकी हत्या और सलमान रुश्दी पर चाकू से हमले की खबर भी पहले पेज पर है।
हिन्दुस्तान की हेडलाइन हैः देश में विपक्ष को एकजुट करेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि ईडी व सीबीआई का दुरुपयोग हुआ तो जनता जवाब देगी। इसके अलावा 10 लाख नौकरी देने के सवाल में कहा कि अधिक से अधिक रोजगार देने का प्रयास करेंगे। जहरीली शराब से होने वाली मौतों के जवाब में उन्होंने कहा कि शराब पियोगे तो मरोगे। उन्होंने शराबबंदी को सबके हित में बताया।
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी हैः नीतीश बोले- आरसीपी बहुत गड़बड़ किया, हमने नहीं कहा था उसको मंत्री बनने को। हिन्दुस्तान में इसकी सुर्खी हैः आरसीपी सिंह अपनी मर्जी से मंत्री बने थेः नीतीश।
जागरण की सबसे बड़ी खबर भी यही हैः हम राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करेंगेः मुख्यमंत्री।
भास्कर ने पटना से एक खबर बनायी हैः पसमांदा मुस्लिम को साधने मंे जुटी भाजपा, 13 लोकसभा क्षेत्रों में ये निर्णायक। इसके तहत उज्ज्वला, प्रधानमंत्री अन्न और दूसरी कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर पैठ बनाने की कोशिश होगी। इसके लिए स्नेह यात्रा भी निकाली जाएगी।
राहुल गांधी जिसे गब्बर सिंह टैक्स कहते हैं, उसका हमला अब आपके घरों पर भी हुआ है। हिन्दुस्तान अखबार में पहले पेज पर खबर हैः घर में व्यावसायिक गतिविधि तो किराये पर 18 प्रतिशत जीएसटी।
मधेपुरा के रहने वाले मोहम्मद अमरेज की कश्मीर के बांदीपोरा में आधी रात मंे गोलियों से भूनकर की गयी हत्या की खबर सभी अखबारों में पहले पेज पर हैै। हिन्दुस्तान के मुताबिक इस साल 10 माह में 7 बिहारियों की कश्मीर में हत्या हो चुकी है।
विवादास्पद लेखक सलमान रुश्दी पर न्यूयाॅर्क में एक कार्यक्रम के दौरान चाकू से हमले की खबर प्रमुखता से छपी है।
अनछपीः सारण जिले में नकली शराब से हाल के दिनों में दो बार हुई मौतों के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बार फिर उनकी शराबबंदी नीति पर सवालों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि शराब पियोगे तो मरोगे, यह बात भारतीय जनता पार्टी जैसी हाल तक सहयोगी रही पार्टी को बुरी लगी है। उसके सदस्य तो सरकार में रहते हुए शराबबंदी हटाने की मांग करते रहे हैं। मीडिया भी हर ऐसी मौत के बाद शराबबंदी को फेल करार देता है। मगर समझने की बात यह है कि शराबबंदी हो या न हो, जहरीली शराब से मौतें होती हैं। इसलिए यह तर्क शराबबंदी पर सिरे से लागू ही नहीं होती है। शराबबंदी की शराब और जहरीली शराब दोनों बिल्कुल अलग समस्याएं हैं। जिस शराब की इजाजत थी, वह जहरीली नहीं मानी जाती यानी उससे तुरंत मौत नहीं होती लेकिन लंबे समय में वह भी जानलेवा ही होती है। शराबबंदी से जो लाभ है, उसे जानने के लिए मुहल्ले की औरतों से बात करनी चाहिए। कैसे हर नुक्कड़ पर खुली शराब की दुकानों ने उनका जीवन दूभर कर दिया था। अब रही जहरीली शराब की बात तो यह विशुद्ध रूप से पुलिसिंग की नाकामी है। शासन-प्रशासन का निकम्मापन है या उसकी ऐसे तत्वों से मिलीभगत है जो अवैध शराब भट्टी से मालामाल होते हैं। शराबबंदी के विरोधी भी तो यही चाहते हैं कि जहरीली शराब की मौत का बहाना बनाकर राज्य में शराब को आम कर दिया जाए। इसलिए नीतीश कुमार को चाहिए कि शराबबंदी पर कायम रहते हुए ऐसे भट्ठी संचालकों पर कड़ी कार्रवाई करने की व्यवस्था करें।

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