जादूगर

21वीं सदी की लोककथाएं-8

…….
सैयद जावेद हसन
शहर के सबसे बड़े मैदान में दो जादूगरों का खेल चल रहा था।
एक ‘जादूगर सम्राट’ के नाम से मशहूर था। दूसरा ‘विश्वगुरु’ के नाम से जाना जाता था।
दोनों का खेल देखने के लिए भीड़ मैदान में उमड़ पड़ी थी।
दोनों के लिए बड़े-बड़े तंबू लगाए और सजाए गए थे। टिकट काउंटर खोले गए थे।

1
मैदान के बाईं तरफ लगे तंबू में ‘जादूगर सम्राट’ अपना खेल दिखा रहा था।
हॉल में फिल्मी संगीत की धुनें बज रही थीं। स्टेज पर रौशनियां तरह-तरह की आकृतियां बना रही थीं।

समय होते ही, पर्दा हटा। जादूगर आया। उसने मुस्कुराते हुए कुछ इशारा किया।
पर्दे के पीछे से निकल कर उसके साथी स्टेज पर ट्रॉली लेकर आए।
फिर एक जवान लड़की आकर ट्रॉली पर खड़ी हो गई।
जादूगर के साथियों ने लड़की की लंबाई तक ट्रॉली पर फटाफट तीन फ्रेम लगाए। फिर फ्रेम को कपड़े से कवर कर दिया। अब लड़की का सिर्फ चेहरा नजर आ रहा था।

जादूगर ने मुस्कुराते हुए फिर कुछ इशारा किया।
उसके साथी बड़ा-सा धारदार तलवार ले आए।
जादूगर ने तलवार से निचले फ्रेम को काटना शुरू किया।
दर्शकों की सांसें थम गईं।

तलवार कवर को चीरता हुआ फ्रेम से बाहर हो गया।
दर्शकों की आंखें फैल गईं।

जादूगर ने अब बीच वाले फ्रेम को काटना शुरू किया।
दर्शकों की सांसें फिर थम गईं।
तलवार फिर फ्रेम के आर-पार हो गया।

इसी तरह लड़की के गले के पास वाले फ्रेम पर चलाया गया तलवार भी आर-पार हो गया।
दर्शकों की सांसें थमी की थमी रहीं।
लड़की का चेहरा भावशून्य रहा।

जादूगर ने फिर कुछ इशारा कियाा।
उसके साथियों ने पहले तीनों फ्रेम का कवर हटाया। फिर फ्रेम हटा दिया।
लड़की सही सलामत थी। मुस्कुरा रही थी।
जादूगर ने पलट कर दर्शकों के सामने अपनी दोनों बाहें फैला दीं।
दर्शक देर तक ताली बताजे रहे।
…….

जादूगर एक पर एक जादू दिखाता रहा।
दर्शक खुश होते रहे। तालियां बजाते रहे।

2
मैदान के दाईं तरफ लगा जादूगर ‘विश्वगुरु’ का तंबू कुछ ज्यादा ही बड़ा था।
हॉल के अंदर की सजावट भी आकर्षक और भव्य थी।
चारों तरफ धूपबत्ती का धुआं और उसकी गंध थी।
मद्धिम-मद्धिम सा धार्मिक संगीत बज रहा था।

अचानक एक धमाके से स्टेज का पर्दा हटा।
तरह-तरह की रौशनियों के बीच स्टेज पर जादूगर विश्वगुरु नमूदार हुआ।
बड़ी संख्या में दर्शकों ने धार्मिक नारे लगाए।
जादूगर ने मुस्कुराकर उनका अभिवादन किया।

जादूगर ने खेल शुरू करते हुए कुछ इशारा किया।
उसके दो साथी झटपट स्टेज पर एक टेबल ले आए।
तीसरा साथी पुरानी सी एक मस्जिद का नमूना लाया और टेबल पर रख गया।

जादूगर ने मुस्कुराकर दर्शकों की तरफ देखा। फिर गेरुआ रंग की एक चादर से मस्जिद को ढक दिया।
हाथ से कुछ इशारा किया और धीरे-धीरे चादर हटा दिया।

चादर हटते ही भीड़ ने जोरदारी तालियां बजाईं। धार्मिक नारे लगाए।
मस्जिद की जगह भव्य मंदिर का नमूना रखा हुआ था।

दर्शकों में से कुछ ने खुद को असहज महसूस किया।
उन्होंने चारों तरफ देखा। हॉल में दूर एक कोने में कुछ सीटें खाली थीं।
असहज महसूस कर रहे दर्शक भीड़ में से उठकर कोने में जाकर बैठ गए।
…….

जादूगर ने एक दूसरा खेल पेश करने के लिए कुछ इशारा किया।
उसके साथी झटपट एक बड़ी सी पत्थर की तख्ती ले आए।
तख्ती पर उर्दू में लिखा था-
मुगलसराय
इलाहाबाद
फीरोजाबाद

जादूगर ने मुस्कुराकर दर्शकों की तरफ देखा।
दर्शकों ने धार्मिक नारे लगाए।

जादूगर ने अपनी जेब से फिर वही गेरुआ रंग की चादर निकाली। चादर से तख्ती को ढक दिया।
फिर धीरे-धीरे तख्ती पर से चादर हटाई।

दर्शकों ने जोरदार तालियां बजाईं।
तख्ती पर अब हिन्दी में लिखा था-
दीनदयाल उपाध्याय नगर
प्रयागराज
चंद्रनगर
……..

भीड़ में से फिर कुछ दर्शक खुद को असहज मसहूस करने लगे।
वे उठकर कोने में अपने जैसे असहज लोगों के साथ बैठ गए।

जादूगर हर बार गेरुआ चादर लहराता रहा।
एक पर एक खेल दिखाता रहा।
दर्शक उत्साह से तालियां बजाते रहे।
…….

हर खेल के बाद कुछ दर्शक खुद को असहज महसूस करते रहे।
हॉल के कोने में असहज दर्शकों की भीड़ बढ़ती गई।

3

जादूगर विश्वगुरु का खेल खत्म हुआ।
दर्शक एक-एक कर तंबू से बाहर निकलने लगे।
उनके चेहरे खुशी से चमक रहे थे।
हर खेल के बाद उन्होंने धार्मिक नारे लगाए थे। जादूगर का उत्साह बढ़ाया था।

चलते-चलते कुछ लोगों के चेहरे अचानक बुझ-से गए। फिर धीरे-धीरे सभी के चेहरे बुझते चले गए।

उनकी जेबों से पैसे गायब हो गए थे।
वे आगे बढ़ते हुए बार-बार अपनी जेबें टटोल रहे थे।

थोड़ा और आगे बढ़े तो उन्हें अपने कपड़े नदारद होने का एहसास हुए।
एक ने दूसरे की तरफ देखा। दूसरे ने तीसरे की तरफ।
फिर सबने एक-दूसरे को देखा।
सभी नंगे, कंगाल हो चुके थे।

अचानक एक आदमी जोर से चीखा।
‘जादूगर ने हमारे साथ भी खेला कर दिया!’
…….

सबका चेहरा आक्रोश से भर गया।
उनकी मुटिठयां भिंच गईं।
आगे बढ़ते हुए उनके कदम ठिठक गए।
फिर वे पीछे पलटे और पागलों की तरह जादूगर के तंबू की तरफ दौड़ पड़े।
……..
13 जनवरी, 2024
syedjawaidhasan8@gmail.com/9931098525

 

 

 

 

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