शिक्षक नियुक्ति से नीतीश ने शुरू कर दिया बिहार में चुनाव प्रचार अभियान

बिहार लोक संवाद

2 नवंबर को पटना का गांधी जहां एक तरफ किसी महाराजा का मजबूत किला नजर आ रहा था, वहीं चुनावी रैली जैसा मंजर भी था। पूरे गांधी मैदान में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी तैनात थे। किसी आम आदमी को मैदान में प्रवेश की इजाजत नहीं थी। दूसरी तरफ बसों में भर-भर प्रदेश के विभिन्न जिलों से नवनियुक्त शिक्षक लाए गए थे। ठीक वैसे ही, जैसे चुनावी सभा में किसी पार्टी के समर्थक लाए जाते हैं। मौका था बीपीएससी से पास शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटने का। समारोह में मुख्य मंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वीय प्रसाद यादव समेत कई मंत्रियों ने शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है।

2 नवंबर को अखबारों में फुल पेज का विज्ञापन छपा है। इसमें बताया गया है कि कुल 1 लाख 20 हजार, 336 शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। इनमें प्राथमिक शिक्षकों की संख्या 70 हजार, 545 है, माध्यमिक शिक्षकों की संख्या 26 हजार, 89 और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की संख्या 23 हजार 702 है। विज्ञापन में यह भी बताया गया है कि 88 फीसद बिहारी और 12 फीसद बाहरी शिक्षक नियुक्त हुए हैं। इस शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया का दूसरा पहलू यह है कि देशभर के लिए ओपेन कर देने के बावजूद 50 हजार, 125 पद खाली रह गए क्योंकि बीपीएससी ने जो वैकेंसी निकाली थी उसके पदों की कुल संख्या 1 लाख, 70 हजार, 461 थी। वहीं, प्राथमिक शिक्षक पदों की संख्या 79 हजार, 943, माध्यमिक शिक्षक पदों की संख्या 32, 916 और उच्च माध्यमिक शिक्षक पदों की संख्या 57 हजार, 602 थी। इन आंकड़ों से कुछ सवाल पैदा होते हैं।

पहला- क्या देश की शिक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि स्कूलों के लिए योग्य शिक्षक नहीं मिल रहे हैं?

दूसरा- सरकार हर साल टीईटी का प्रबंध करने में सक्षम क्यों नहीं है?

तीसरा- जब बीएड वाले प्राथमिक शिक्षक पद के लिए योग्य नहीं थे तो इसे बीपीएससी ने स्पष्ट क्यों नहीं किया?
इन सवालों से बेखबर नियुक्ति पत्र हासिल करने वाले शिक्षकों ने बिहार लोक संवाद से बातचीत करते हुए बेहद खुशी जाहिर की।

बिहार लोक संवाद से बातचीत करते हुए उत्तरप्रदेश के मूल निवासी और नवनियुक्त पति-पत्नी ने शिक्षक बनने का अवसर दिए जाने पर नीतीश कुमार का आभार व्यक्त किया।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा बिहार सेे बाहर के लोगों को शिक्षक बनाए जाने की आलोचना की है। वेे डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग कर रहे हैं।

नीतीश कुमार ने अपने भाषण में बाहरी लोगों को नौकरी देने पर हो रही आलोचना का दो टूक जवाब दिया।

आम लोगों का एक तबका ऐसा भी है जो नियुक्ति पत्र वितरण समारोह को चुनावी रणनीति का हिस्सा मानता है।

एक ही दिन पूरे बिहार में शिक्षक नियुक्ति पत्र बांटे गए। प्रभारी मंत्रियों ने अपने-अपने जिलों में नियुक्ति पत्र बांटे। दावा किया गया कि गांधी मैदान सहित पूरे बिहार में 1 लाख, 20 हजार, 336 शिक्षक नियुक्ति पत्र बांटे। ये एक बड़ा इवेंट था, जिसके लिए सिर्फ पीएम नरेन्द्र मोदी ही जाने जाते हैं। इसीलिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह तो भाजपा का प्रोजेक्ट है।

गौर तलब है कि कार्यक्रम के तमाम होर्डिंग, बैनर, पोस्टर और विज्ञापन में सिर्फ नीतीश कुमार की तस्वीर ही नजर आ रही थी। यह एक तरह का वैन मैन आर्मी शो था। खटकने वाली दूसरी बात ये थी कि उर्दू भाषा और लिपि में कहीं भी और कुछ भी दर्ज नहीं था। हालांकि उर्दू बिहार की दूसरी राजभाषा है।

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