इस पुस्तक मेले की बात ही कुछ और है, मिल रही है 75 % तक छूट

सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट की ओर से बिहार की राजधानी पटना में तीन साल बाद एक बार फिर पुस्तक मेला आयोजित किया गया है। 2 दिसंबर से शुरू होकर 13 दिसंबर तक चलने वाले पुस्तक मेले का आकार इस बार छोटा है। कोरोना काल की वजह से पुस्तक प्रेमी इस मेले का बेसब्री का इंतेजार कर रहे थे। लेकिन रविवार होने और हल्की सर्दी में गुनगुनी धूप के बावजूद भीड़-भाड़ कम देखी जा रही है। मेले में कई बड़े छोटे प्रकाशकों और संस्थाओं ने हिस्सा लिया है। उर्दू पुस्तकों के भी कई स्टॉल लगे हैं। इनमें मरकजी मकतबा इस्लामी, उर्दू कॉंन्सिल बराए फरोगे उर्दू जबान, इमारते शरीया, खानकाह मुजीबिया और मिन्हाज पब्लिकेशंस इंडिया शामिल हैं। मरकजी मकतबा इस्लामी के मोहम्मद वसीमुद्दीन ने बताया कि उनके स्टॉल पर किताबों के लगभग 2 हजार टाइटल मौजूद हैं जिनमें कुरान का हिन्दी अनुवाद भी शामिल है। एनसीपीयूएल के संजय सिंह ने बताया कि उनके यहां बिहारी लेखकों की किताबें उपलब्ध हैं और किताबों पर 70 फीसद तक छूट मिल रही है। मकतबा इमारत शरीया के मोहम्मद मिन्हाज आलम ने कहा कि फिकह और फतावा की कई किताबें उनके स्टॉल पर मौजूद हैं। दारुल अशाअत खानकाह मुजीबिया के मोहम्मद रमजान अली ने बताया कि उनके यहां कई ऐतिहासिक किताबें मौजूद हैं। मिन्हाज पब्लिकेशंस इंडिया के स्टॉल पर मशहूर स्कॉलर डॉक्टर मोहम्मद ताहिरुल कादरी की तकरीबन एक हजार किताबें मौजूद हैं। इनमें इस्लाम और गैर मुस्लिमों के आपसी ताल्लुकात और इस्लाम में मोहब्बत और अदमे तशद्दुद शामिल हैं। मेले का सबसे अफसोसनाक पहलू यह है कि बिहार में उर्दू दूसरी राजकीय भाषा है लेकिन मेले के बैनर से उर्दू तहरीर गायब है।

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