छपी-अनछपी: बेंगलुरु की बैठक में शामिल होंगे 24 विपक्षी दल, बिहार में 33% कम बारिश

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में 24 दल शामिल होंगे। पटना के बैठक में 15 दल शामिल हुए थे। इससे जुड़ी खबर को प्रमुखता दी गयी है। दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से बाढ़ की स्थिति है तो बिहार में किसान बारिश के लिए आसमान तक रहे हैं। इसकी खबर भी पहले पेज पर है।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: विपक्ष का कुनबा बढ़ा, बेंगलुरु की बैठक में अब 24 दल होंगे शामिल। अख़बार लिखता है कि देश में भाजपा विरोधी दलों का कुनबा बढ़ गया है। बेंगलुरु में विपक्षी दलों की 17-18 जुलाई को होने वाली बैठक में अब 24 पार्टियां शामिल होंगी। इनमें आठ नए दल हैं। नए दल में एमडीएमके, केडीएमके, वीसीके, आरएसपी, फॉरवर्ड ब्लॉक, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (एम) और केरल कांग्रेस (जे) शामिल हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में केडीएमके और एमडीएमके भाजपा की सहयोगी थे। बैठक में सोनिया गांधी भी शामिल होंगी। इससे पहले पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। बेंगलुरु की बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कॉमन एजेंडा तैयार करने और सामान मुद्दों को तलाशने पर जोर होगा।

बिहार में कम बारिश

हिन्दुस्तान की खबर है: बिहार में मेघ तक रहे किसान, दिल्ली पानी-पानी। एक तरफ भारी बारिश से दिल्ली पानी-पानी है तो दूसरी तरफ बिहार पानी के लिए तरस रहा है। राज्य में अब तक 33 फीसदी कम बारिश हुई है। इस कारण अभी 19 फीसदी ही धान की रोपनी हो पाई है, जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी हैं। 15 जिलों में तो पांच फीसदी से भी कम रोपाई हुई है। इनमें पटना, मगध, मुंगेर प्रमंडल के जिले शामिल हैं। हालांकि, धान का बिचड़ा डालने का लक्ष्य 98 फीसदी पूरा कर लिया गया है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश सामान्य रहने पर अब तक करीब 40% रोपनी हो जानी चाहिए थी।

हर साल 3 लाख बिहारी स्टूडेंट्स बाहर जाने को मजबूर

भास्कर की खबर है: बेहतर उच्च शिक्षा के लिए हर साल 300000 से अधिक छात्र बिहार से कर रहे हैं पलायन। अखबार लिखता है कि बिहार से तीन लाख के करीब छात्र-छात्राएं हर वर्ष बेहतर उच्च शिक्षा के लिए पलायन कर रहे हैं। ये छात्र-छात्राएं विभिन्न बोर्ड से हैं। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद देश विदेश के विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों या फिर आईआईटी मेडिकल आदि की तैयारी के लिए होने वाले कोचिंग के लिए बाहर जाते हैं। 70 से 80 हज़ार छात्र तो हर वर्ष सिर्फ जेईई व नीट की तैयारी के लिए बाहर जाते हैं। अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को जोड़ लें तो एक लाख से अधिक छात्र पलायन कर रहे हैं। वही दो लाख से अधिक छात्र देश विदेश के टॉप विश्वविद्यालयों कॉलेजों व उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन के लिए पलायन कर रहे हैं।

कम होगा मुकदमों का बोझ

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है 42 कानूनों से जुड़े 183 प्रावधान होंगे खत्म, कोर्ट से घटेगा मुकदमों का बोझ। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जन विश्वास विधेयक-2023 में संशोधन को मंजूरी दे दी। इसमें कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए छोटी गड़बड़ियों को अपराध श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव है। साथ ही कारावास के साथ जुर्माने को हटाकर जुर्माना की बात कही गई है। एक अधिकारी के मुताबिक, 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में पिछले वर्ष 22 दिसंबर को यह विधेयक पेश किया था।

शिक्षक भर्ती के लिए मॉडल सवाल जारी

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: बीपीएससी ने शिक्षा बहाली परीक्षा के लिए जारी किया प्रश्न पत्र प्रारूप। बिहार लोक सेवा आयोग यानी बीपीएससी ने माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक बहाली परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र का प्रारूप जारी कर दिया है। अभ्यर्थियों को दो पत्र की परीक्षा में शामिल होना होगा। भाषा से संबंधित पहला पत्र सभी अभ्यर्थियों के लिए एक ही होगा। दो खंडों में 100 अंकों का यह पत्र क्वालीफाइंग होगा। दोनों खंड मिलाकर कम से कम 30 अंक प्राप्त करने होंगे। पहले खंड में अंग्रेजी भाषा से जुड़े 25 प्रश्न होंगे। दूसरे खंड में हिंदी उर्दू और बांग्ला से 75-75 प्रश्न होंगे। तीनों में से किसी एक भाषा से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देना होगा।

आंदोलन में शामिल शिक्षकों पर कार्रवाई होगी

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: आंदोलन में शामिल शिक्षकों पर कार्रवाई होगी। विभिन्न मांगों को लेकर 11 जुलाई को पटना में आयोजित धरना-प्रदर्शन में शामिल नियोजित शिक्षकों पर कार्रवाई होगी। इसको लेकर संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) नियोजन इकाई अनुशंसा करेंगे। इसके तहत निलंबन तक की कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे शिक्षकों की पहचान वीडियो और फोटो के माध्यम से की जा रही है।

कुछ और सुर्खियां

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज फ्रांस व यूएई की यात्रा पर जाएंगे
  • यमुना नदी में उफान से दिल्ली में बाढ़ की हालत, भारी बारिश से हिमाचल में 20000 पर्यटक फंसे
  • पाकिस्तान के राज्य बलूचिस्तान में सैनिक छावनी पर आतंकी हमला 4 सैनिकों की मौत
  • कुरान को अपवित्र करने के मामले की भारत ने संयुक्त राष्ट्र में की निंदा
  • चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की तैयारी, आज से उल्टी गिनती, वहां पहुंचने वाला पहला देश होगा भारत
  • तीसरे दिन भी विधानसभा व विधान परिषद में हंगामा 35 मिनट की चली कार्यवाही
  • कोच्चि में प्रोफेसर की कलाई काटने के मामले में छह आरोपी दोषी करार
  • समय रहते बंगला खाली ना करने वाले भाजपा के पूर्व मंत्रियों पर लगा जुर्माना

अनछपी: बिहार विधानसभा और विधान परिषद के 5 दिनों के मानसून सत्र में शुरुआत के 3 दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे पर अड़ी है और शिक्षकों की बहाली मामले में सरकार को घेरने में लगी है। लेकिन इन दोनों मुद्दों पर बिहार विधानमंडल में बहस का मौका भारतीय जनता पार्टी ने खुद ही गवा दिया है। सरकार में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी दूसरे दलों को सदन की कार्यवाही बाधित ना करने की नसीहत देते रहती है लेकिन जब अपनी बारी आती है तो उसका रवैया भी इसके उलट होता है। सदन में हाजिरी बनाने के बाद हंगामा करने से विधायक और विधान पार्षदों को अपना वेतन भत्ता तो मिल जाता है लेकिन जनता के लिए जरूरी मुद्दों पर चर्चा बिल्कुल नहीं हो पाती। मानसून सत्र के तीसरे दिन विधानसभा में भाजपा के प्रदर्शन के दौरान मार्शल से छीना झपटी भी हुई जिसमें कुर्सियां टूट गईं। यही काम अगर दूसरे दल के नेता करते तो भारतीय जनता पार्टी उनके संस्कार पर सवाल उठाती और उन पर गुंडागर्दी का भी आरोप लगा सकती थी। यह बात बिल्कुल समझ से बाहर है कि तेजस्वी यादव पर जो चार्जशीट हुई है उसके बारे में भारतीय जनता पार्टी अपनी बात रखने के बजाय हंगामे में क्यों फंसी हुई है। इस्तीफे की मांग पर अड़ना तो सही है लेकिन इसके लिए हंगामा करना उनके लिए कैसे लाभदायक हो सकता है? भारतीय जनता पार्टी कैडर आधारित पार्टी है इसलिए उनसे बेहतर अनुशासन की उम्मीद की जाती है लेकिन उनका प्रदर्शन ऐसा नहीं रहा है। हालत यह है भारतीय जनता पार्टी से जुड़े पूर्व मंत्रियों ने समय रहते बंगला खाली नहीं किया और इस कारण उन पर जुर्माना लगाया गया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो विपक्षी दल की भूमिका में भारतीय जनता पार्टी को और बेहतर करने की जरूरत है और सत्र के बचे हुए 2 दिन में जनता के मुद्दे उठाकर वह अपनी छवि बेहतर कर सकती है।

 

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