छपी-अनछपी: ईडी डायरेक्टर का एक्सटेंशन गैर क़ानूनी, पटना में शिक्षकों का बड़ा प्रदर्शन

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर ईडी के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाती रही हैं। उसी ईडी के डायरेक्टर को तीसरी बार एक्सटेंशन दिए जाने के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह गैरकानूनी है। इसकी खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। स्कूल के शिक्षकों ने राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए पटना में जबरदस्त प्रदर्शन किया है जिसकी अच्छी कवरेज है।

जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: ईडी निदेशक संजय मिश्रा का सेवा विस्तार अवैध: सुप्रीम कोर्ट। हिन्दुस्तान की पहली खबर भी यही है। उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा के तीसरे सेवा विस्तार को मंगलवार को अवैध करार दिया। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही उनका विस्तारित कार्यकाल भी 31 जुलाई तक सीमित कर दिया। केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर, 2023 तक निर्धारित था। जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की पीठ ने कहा कि इस साल वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा की जा रही संबंधित समीक्षा के मद्देनजर और सुचारू परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई तक रहेगा। अदालत ने ईडी प्रमुख को दिए गए तीसरे सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आठ मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अमित शाह ने क्या कहा

ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के सेवा विस्तार को अवैध करार दिए जाने के फैसले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, यह महत्वपूर्ण नहीं है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का निदेशक कौन है, क्योंकि जो कोई भी इस पद पर होगा, वह विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले परिवारवादियों के भ्रष्टाचार पर नजर रखेगा। अदालत के फैसले पर खुशी मना रहे लोग विभिन्न कारणों से भ्रम में हैं।

शिक्षकों का आंदोलन

बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मंगलवार को हजारों शिक्षकों ने गर्दनीबाग में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। इस दौरान शिक्षकों ने जमकर नारेबाजी की। शिक्षक बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग कर रहे थे। वहीं वर्षों से कार्यरत शिक्षकों और पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों की दोबारा परीक्षा नहीं लेने की मांग भी सरकार के समक्ष रखी। पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि एक ही विद्यालय में सहायक शिक्षक, नियोजित शिक्षक और विद्यालय अध्यापक बनाकर शिक्षकों के साथ भेदभाव हो रहा है। यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। भाकपा माले के विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि शिक्षकों की मांगें जायज हैं। उन्हें बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए।

भारत में इस्लाम का स्थान

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को मुस्लिम वर्ल्ड लीग के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-ईसा का इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में स्वागत करते हुए कहा कि भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी का घर होने के कारण इस्लाम का गौरवपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में सहयोग और बातचीत का जो सिद्धांत है वह सदियों पुरानी वसुदेव कुटुंबकम की पुरातन हिंदू सभ्यता व परंपरा में समाहित हो चुका है। डोभाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत में कोई भी धर्म संकट में नहीं है। डॉक्टर अल-ईसा  सऊदी अरब के न्याय मंत्री रहे हैं और उनकी गिनती प्रगतिशील इस्लामी विद्वानों में होती है। मंगलवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की।

आफत की बारिश

पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश के चलते कई पर्यटकों की जान पर बन आई है। हिन्दुस्तान के अनुसार हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में स्थित झील चंद्रताल में भारी बारिश और बर्फबारी के चलते 250 पर्यटक फंस गए। वहीं, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भूस्खलन होने से पांच पर्यटकों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। पंजाब और हरियाणा में भी बाढ़ के हालात हैं, जिससे पर्यटक जगह-जगह फंसे हुए हैं।

विधानसभा में हंगामा

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: तेजस्वी के इस्तीफे व शिक्षक भर्ती पर सदन में हंगामा, कुर्सी भी पटकी।  उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बर्खास्त करने तथा शिक्षक नियुक्ति नियमावली को बदलने की मांग पर मंगलवार को बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में खूब हंगामा हुआ। भाजपा विधायकों ने वेल में शोर-शराबा किया। इस कारण विधानसभा की कार्यवाही 18 मिनट और परिषद की कार्यवाही 17 मिनट ही चल सकी। विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद सभापति ने दोनों मसलों से संबंधित कार्य स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भाजपा के उनके इस्तीफे की मांग पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अजीत पवार को डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा ने अपने को सुशोभित किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा तो झूठ बोलने की फैक्ट्री है।

कुछ और सुर्खियां

  • आर्टिकल 370 हटाए जाने के विरोध में दी गई अर्जियों पर 2 अगस्त से हर दिन सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई 29 अगस्त तक टली
  • सभी प्रकार के ऑनलाइन गेमिंग पर अब देना होगा 28% जीएसटी
  • मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए सेना तैनाती का आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
  • पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी को बढ़त
  • गाजियाबाद में गलत दिशा से आ रही बस ने छह जानें लीं

अनछपी: ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के सेवा विस्तार को गैरकानूनी करार दिए जाने का फैसला वैसे तो सियासत का मुद्दा नहीं होना चाहिए लेकिन जिस तरह विपक्षी दल ईडी पर सरकार के दबाव में आकर विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते रहे हैं उससे इस फैसले पर सियासत होना लाज़िमी है। ईडी की कार्रवाइयों के कारण ही भारतीय जनता पार्टी पर वाशिंग मशीन होने का आरोप लगता रहा है यानी जो नेता भारतीय जनता पार्टी के साथ हो जाते हैं उन पर ईडी की कार्रवाई बंद हो जाती है और जो उसके खिलाफ होते हैं उस पर ईडी की कार्रवाई शुरू हो जाती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर यह कहा है कि ईडी का डायरेक्टर कोई हो कार्रवाई जारी रहेगी। इस पर यह सवाल किया जा सकता है कि किसी खास व्यक्ति के डायरेक्टर होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता तो संजय मिश्रा को बार-बार एक्सटेंशन देने और अदालती लड़ाई लड़ने की जरूरत क्या थी? श्री शाह ने इस फैसले पर खुशी मनाने वाले लोगों के बारे में कहा कि वे भ्रम में हैं। उनके इस बयान का क्या मतलब है? सरकार जिन्हें एक्सटेंशन देना चाहती थी सुप्रीम कोर्ट ने उसे अवैध करार दिया, क्या यह फैसला सरकार के लिए खुशी मनाने का है? उन्हें लगता है कि विपक्षी दल सरकार की सुप्रीम कोर्ट में हार पर खुशी मना रहे हैं। सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी पर ईडी के गलत इस्तेमाल का आरोप लगता है, तो क्या ईडी अपनी कार्रवाई उसी तरह जारी रहेगी जिसके आधार पर ऐसे आरोप लगते हैं? यानी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने और ना होने के आधार पर ईडी की कार्रवाई जारी रही तो सवाल भी जारी रहेंगे। भारतीय जनता पार्टी को इस बात का जवाब देना चाहिए कि क्या यह सही नहीं है कि किसी नेता पर ईडी की कार्रवाई होना इस बात पर निर्भर करता है कि उसका लगाव भाजपा से है या नहीं। ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं कि किसी नेता पर ईडी की कार्रवाई शुरू हुई और उसने भाजपा ज्वाइन कर लिया तो यह कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। गैर कानूनी ढंग से दौलत जमा करने के खिलाफ ईडी एक अच्छा हथियार हो सकता है लेकिन जिस तरह विपक्षी दल इस पर सरकार के इशारे पर निशाना बनाने का आरोप लगाते हैं उसकी कार्रवाई सवालों के घेरे में रहती है। यह उम्मीद करना मुश्किल है लेकिन जरूरी है कि ईडी को विपक्षी दलों को निशाना बनाए जाने का हथियार नहीं बनाया जाए।

 

 

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