छपी-अनछपी: बिहार में 4 साल के ग्रेजुएशन की शुरुआत इसी साल, कर्नाटक में सिद्धरमैया की चर्चा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार की यूनिवर्सिटियों में 3 साल की जगह 4 साल के ग्रेजुएशन प्रोग्राम की शुरुआत इसी साल से होगी। इसकी जानकारी पहले पेज पर पहली खबर है। कर्नाटक में सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा तेज हो गई है हालांकि इसके बारे में कोई साफ जानकारी अखबारों में नहीं है। पटना में साइबर ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है जिसे एक अखबार ने जामताड़ा की ब्रांच बताया है।

जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: इसी सत्र से 4 वर्षीय पाठ्यक्रम लागू। बिहार के विश्वविद्यालयों के लिए चार वर्षीय स्नातक कोर्स का पाठ्यक्रम और प्रारूप तैयार कर लिया गया है। इसके मुताबिक सभी विश्वविद्यालयों का पाठॺक्रम और शुल्क सामान होगा। राजभवन ने इस संबंध में विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर दिया है। नए पाठ्यक्रम और प्रारूप को इसी सत्र 2023-27 से लागू किया जाएगा। चार वर्षीय स्नातक कोर्स 8 सेमेस्टर में पूरा होगा और इसके लिए 160 क्रेडिट तय किया गया है।

फीस और सिलेबस

हिन्दुस्तान की मेन हेडलाइन है: चार वर्षीय स्नातक में शुल्क और पाठॺक्रम समान होगा। इस मामले में कुलाधिपति सह राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने पांच विवि के कुलपतियों की कमेटी को पाठ्यक्रम और प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। कमेटी ने चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम का फीस ढांचा तय कर दिया है। पहले सेमेस्टर में नामांकन शुल्क 2255 रुपये होगा। वहीं अन्य सेमेस्टर में छात्रों का नामांकन शुल्क 2005 रुपये तय किया गया है। इसके अलावा प्रत्येक सेमेस्टर में परीक्षा फीस 600 रुपये लगेगा। वहीं छात्रों को विश्वविद्यालय से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए सिर्फ रजिस्ट्रेशन का शुल्क 600 तय किया गया है। इसके अलावा किसी तरह का शुल्क नहीं देना होगा।

सिद्धरमैया के सीएम बनने की चर्चा

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: सिद्धारमैया पर सहमति, डीके पद न लेने पर अड़े; इसलिए ऐलान रुका। कर्नाटक में नए मुख्यमंत्री के नाम पर चौथे दिन भी सस्पेंस बना रहा। कांग्रेस सिद्धारमैया का नाम तय करने के बिल्कुल करीब है लेकिन इसके लिए डीके शिवकुमार को विश्वास में लेने की प्रक्रिया जारी है। पार्टी का कहना है कि दो-तीन दिन में नई कैबिनेट शपथ ले लेगी। बुधवार को एक बार ऐसा लगा कि सिद्धारमैया के नाम की घोषणा कर दी जाएगी लेकिन डीके के तेवर देख पार्टी ने कदम खींच लिए। सूत्रों के मुताबिक आलाकमान ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके को डिप्टी सीएम बनाने का मन बना लिया था। सोनिया गांधी और राहुल गांधी की सहमति भी ले ली गई थी। एक फार्मूला यह भी बना कि दोनों ढाई-ढाई वर्षो के लिए मुख्यमंत्री बने लेकिन डीके राजी नहीं थे।

जामताड़ा ठगी की ब्रांच

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: पटना में खोली जामताड़ा की ब्रांच, 4% कमीशन पर कर रहे थे ठगी। अखबार लिखता है कि बिहार में साइबर क्राइम के एक नए मॉड्यूल का पता चला है। इसका पता गुरुवार को इकोनामिक ऑफेंस यूनिट की छापेमारी में पकड़े गए पांच साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी से हुआ। यह पांचों पटना में अलग-अलग जगह रह रहे थे। इस गिरोह ने ठगी के पैसे से डेढ़ लाख रुपया का टीवी खरीदा था और टीवी लगाने वाले मैकेनिक से उनका पता मालूम हुआ तो सारे पकड़े गए। यह गिरोह झारखंड के जामताड़ा और देवघर के साइबर अपराधियों के साथ मिलकर कमीशन पर काम कर रहा था। जामताड़ा गिरोह बैंकों के कस्टमर केयर की वेबसाइट बनाकर इस गिरोह को मुहैया कराता था। यह गिरोह लोगों को फंसाता था और उनके खाते से पैसे उड़ाने के बाद 4% रखकर बाकी जामताड़ा गिरोह को देता था। गिरोह ने लगभग सभी बैंकों के कस्टमर केयर का वेबसाइट बना रखा था। गिरोह लोगों से एनीडेस्क या कोई और रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड करवाता था। फिर ऐप का कोड या ओटीपी लेकर पीड़ित के मोबाइल सेट को एक्सेस कर विभिन्न बैंकों का यूपीआई इंस्टॉल करता था। उसके बाद पीड़ितों के खातों से पैसे की अवैध निकासी कर विभिन्न बैंकों में उससे ट्रांसफर करता था।

इमरान की फिर घेराबंदी

हिन्दुस्तान की खबर है: इमरान खान के घर आतंकी के होने का दावा, पुलिस ने घेरा। लाहौर से जारी खबर में बताया गया है कि बुधवार को पाकिस्तान सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के घर ‘जमान पार्क’ में 40 कथित आतंकियों के छिपे होने का दावा किया। इसके बाद पुलिस ने इमरान को इन आतंकियों को सौंपने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए उनका घर घेर लिया है। वहीं, इमरान खान ने सरकार के दावे को झूठा करार दिया। उन्होंने कहा, पुलिस वारंट लेकर आए और इन दहशतगर्दों को ढूंढ़कर दिखाए। मैं खुद अपना घर दिखाने को तैयार हूं।

प्रेम विवाह में तलाक ज़्यादा: कोर्ट

हिन्दुस्तान की खबर है: ज्यादातर तलाक की वजह प्रेम विवाह: शीर्ष अदालत। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि पति-पत्नी के बीच तलाक बड़ी वजह ‘प्रेम विवाह’ है। पीठ विवाह से जुड़े विवाद के मामले को ट्रांसफर किए जाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले की सुनवाई न्यायाधीश बी.आर. गवई और संजय करोल की पीठ के समक्ष अपनी दलील में वकील ने बताया कि जिस विवाह को लेकर विवाद हुआ वह प्रेम विवाह था। इसपर जस्टिस गवई ने कहा कि ज्यादातर तलाक लव मैरिज से ही हो रहे हैं। कोर्ट ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था, जिसका पति ने विरोध किया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि हाल के एक फैसले के मद्देनजर वह सहमति के बिना तलाक दे सकते हैं। इसके बाद भी बेंच ने मध्यस्थता की बात कही। दो मई को कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 142(1) के तहत तुरंत तलाक देकर विवाह समाप्त कर सकती है। यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसा तभी हो सकता है, जब विवाह को बचाने का और कोई तरीका न बचा हो।

कुछ और सुर्खियां

  • बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और यूपी के पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल जफरयाब जिलानी का इंतकाल
  • केरल में डॉक्टर पर हमला करने के मामले में 7 साल तक की सजा का कानून बना
  • गो फर्स्ट एयरलाइंस की फ्लाइट रद्द होने से गया से हज ऑपरेशन 21 मई की जगह 7 जून से
  • मणिपुर में मैतेई को एसटी में शामिल करने का आदेश गलत सुप्रीम कोर्ट
  • दिल्ली से सिडनी जा रहा विमान एयर टर्बूलेंस में फंसा 7 यात्री घायल
  • जातीय गणना पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
  • आतंकी-तस्कर-गैंगस्टर गठजोड़ की विरोध 324 जगहों पर एनआईए की छापेमारी

अनछपी: तलाक के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी विचारणीय है। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के अधिक मामले प्रेम विवाह में होने को किस आधार पर बताया है यह पता नहीं चल सका। इस बारे में किसी अध्ययन के बाद यह बात कही जाती तो ज्यादा ठोस मानी जाती। लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट के जज को यह बात लगती है तो उन्होंने इस बारे में जरूर गौर किया होगा। प्रेम विवाह भारतीय परंपरा के बाहर की बात है। यहां अक्सर अरेंज मैरिज को तरजीह दी जाती है। ऐसा तो बिल्कुल नहीं है कि अरेंज मैरिज के बाद तलाक की नौबत नहीं आती हो लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट के जज को ऐसा लगता है कि प्रेम विवाह में यह समस्या अधिक है तो शायद इसका एक कारण यह है कि प्रेम विवाह को परिवार का समर्थन अक्सर नहीं होता। अक्सर मामलों में यह देखा जाता है कि प्रेम विवाह के बाद लड़का, लड़की या  दोनों अपने परिवारों से अलग हो जाते हैं। ऐसे में उनके शुरुआती दिन तो अच्छे बीतते हैं लेकिन धीरे-धीरे जब जीवन की सच्चाइयों से उनका सामना होता है तो उनके बीच मनमुटाव बढ़ने लगता है। पति- पत्नी के बीच मनमुटाव बढ़ने के बाद परिवार से जो मनोवैज्ञानिक-भावनात्मक समर्थन और सामाजिक समझौते की बात होती है वह प्रेम विवाह में अक्सर नहीं मिल पाती है। इसकी वजह वही शादी के समय परिवार से बन गई दूरी होती है। ऐसे में मामला बिगड़ जाने पर अदालत में पहुंच जाता है और वहां बीच-बचाव की कोशिश अक्सर नाकाम होती है। हमारे समाज में तीन तलाक पर तो बहुत चर्चा हो चुकी लेकिन तलाक की इस समस्या पर भी गौर करने की जरूरत है।

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