छपी-अनछपी: नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने पर मंथन, इमरान खान को तीन साल की जेल

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में मंथन हुआ हालांकि इसके नतीजे के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई है। इस बैठक की खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना मामले में तीन साल की सजा होने की खबर भी प्रमुखता से ली गई है। ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई के सर्वे में त्रिशूल मिलने के दावे को भी अच्छी जगह मिली है।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: नीतीश बोले शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा कैसे मिलेगा मुझ पर छोड़ दें। हिन्दुस्तान ने लिखा है: सीएम ने नियोजित शिक्षकों के मुद्दे पर की बड़ी बैठक। जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने पर मंथन। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नियोजित शिक्षकों के मुद्दे पर शनिवार को बड़ी बैठक की। शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के साथ-साथ अन्य सुविधा उपलब्ध कराने जैसे विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने बैठक में महागठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं के साथ इन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। शीघ्र ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बैठक में शिक्षा विभाग के आला अधिकारी भी मौजूद थे। भास्कर के अनुसार मुख्यमंत्री ने महागठबंधन दलों के नेताओं से कहा कि शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने सहित अन्य समस्या का समाधान कैसे होगा यह मुझ पर छोड़ दीजिए।

इमरान को जेल

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना मामले में शनिवार को अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया है। जागरण ने लिखा है सजा सुनाए जाने से इमरान खान 5 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो गए। हिन्दुस्तान के अनुसार कोर्ट के आदेश के बाद इमरान को लाहौर स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया। इमरान खान को 2018 से 2022 के बीच प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान राजकीय तोहफे अवैध रूप से बेचने का दोषी ठहराया गया है। उन्होंने तोशाखाना से उपहार खरीदे और उन्हें लाभ कमाने के लिए महंगे दामों में बेच दिया।

कार्यकर्ता सड़कों पर

इस्लामाबाद के जिला सत्र अदालत द्वारा सजा सुनाने के बाद इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के समर्थक सड़कों पर उतर आए। लाहौर समेत अन्य शहरों में लोगों ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध शुरू कर दिया। पुलिस ने गिरफ्तारी का विरोध करने पर पीटीआई के 10 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। पाकिस्तान सरकार ने देशभर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। किसी भी हिंसा से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। स्थिति संभालने के लिए सेना को भी उतारा जा सकता है। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने कहा कि उसने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में त्रिशूल मिलने का दावा

जागरण की खबर है: मुख्य गुंबद के नीचे मिली त्रिशूल की आकृतियां। हिन्दुस्तान ने लिखा है: दावा: ज्ञानवापी सर्वे में मंदिरों के प्रतीक चिह्न मिले। एएसआई की टीम को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान शनिवार को तहखाने में हिन्दू देवी-देवताओं के चिह्नों के साथ ही खंडित मूर्तियां और खम्भे मिले हैं। यह दावा हिंदू पक्ष के वकील अनुपम द्विवेदी ने किया। टीम ने जीएनएसएस मशीन से तहखाने का थ्री-डी इमेज तैयार किया। यह मशीन सेटेलाइट की मदद से संचालित होती है। इस बीच जिला जज ने एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे करने के लिए 2 सितंबर तक का समय दे दिया है।

मणिपुर में फिर हत्या

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: मणिपुर में तीन को मौत के घाट उतारा। मणिपुर में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। बिष्णुपुर जिले में शुक्रवार देर रात उग्रवादियों ने पिता-पुत्र समेत तीन लोगों की हत्या कर दी। घटना के बाद गुस्साई भीड़ ने कई घरों को आग के हवाले कर दिया। इसी जिले में सुरक्षा बलों और सशस्त्र लोगों के बीच गोलीबारी में तीन अन्य लोग गोली लगने से घायल हो गए। पुलिस ने शनिवार को बताया कि जिले के क्वाक्टा में तीन लोगों को सोते समय गोलियां मारी गईं और शवों को तलवार से काट दिया गया। हमलावर चुराचांदपुर से आए थे। जिन तीन लोगों की हत्या की गई वे एक राहत शिविर में रह रहे थे और स्थिति में सुधार होने के बाद शुक्रवार को अपने घर लौटे थे।

चकिया में एनआईए ने दो को पकड़ा

पूर्वी चंपारण के चकिया में एनआईए व स्थानीय पुलिस की टीम ने शनिवार सुबह छापेमारी कर पीएफआई के दो संदिग्धों को हिरासत में ले लिया। इसमें से एक के पास से देसी कट्टा व दो गोलियां बरामद हुई हैं। पूर्वी चंपारण के एसपी कांतेश कुमार मिश्र ने बताया कि 19 जुलाई को गिरफ्तार पीएफआई के मास्टर ट्रेनर याकूब उर्फ उस्मान सुल्तान खान की निशानदेही पर एनआईए ने छापेमारी की। याकूब को अपने साथ लेकर एनआईए चकिया पहुंची थी। हिरासत में लिए गए संदिग्धों में एक शाहिद रजा पिता अजहर आलम व दूसरा फैसल अली उर्फ मो.कैफ पिता खुशबू अली है। शाहिद रजा का चकिया थाना क्षेत्र के केसरिया रोड में कपड़े का व्यवसाय है। वहीं मो.कैफ गिट्टी व बालू का व्यवसाय करता है।

कुछ और सुर्खियां

  • ‘इंडिया’ गठबंधन की तीसरी बैठक 31 अगस्त से मुंबई में
  • उत्तर प्रदेश के इटावा से भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया को मारपीट के मामले में दो साल की सजा
  • बिहार की जाति आधारित गणना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
  • 69 वीं बीपीएससी पीटी के लिए विलंब शुल्क के साथ 9 अगस्त तक तक आवेदन
  • बिहार रेजीमेंट से 437 अग्निवीर हुए पास आउट
  • पटना में जातीय गणना पूरी, बिहार में 95% काम पूरा
  • अनियमितता के आरोप पर मौलाना मजहरूल हक यूनिवर्सिटी के वीसी का जवाब: रजिस्ट्रार ने तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर भेजा

अनछपी: संसद में भारी हंगामा और सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्त टिप्पणियों के बावजूद मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा का दौर नहीं रुका है। आम लोग मारे जा रहे हैं और वहां हथियार भी लूटे जा रहे हैं। कहने को तो वहां सेना भी तैनात है लेकिन आखिर ऐसी तैनाती का क्या फायदा जब लोगों की जान नहीं बचाई जा सके और सरकारी हथियार डिपो से हथियार लूट जाते रहें। बीच-बीच में स्थानीय पुलिस और सेना के जवानों के बीच विवाद की खबर भी आती रहती है। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह इसके बावजूद अपने पद पर बने हुए हैं, इसका मतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के पास राज्य में उनसे कोई बेहतर विकल्प मौजूद नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के नेता मणिपुर के हिंसा के जवाब में यह दलील देते हैं कि कांग्रेस काल में भी वहां हिंसा होती रही। क्या आप पहले हुई हिंसा से अभी की कथित डबल इंजन सरकार की अक्षमता पर पर्दा डाला जा सकता है? जिस तरह वहां आए दिन लोग मारे जा रहे और हथियार लूटे जा रहे हैं क्या इससे सरकार की अक्षमता उजागर नहीं होती? सुप्रीम कोर्ट ने वैसे तो मणिपुर के डीजीपी को तलब किया है लेकिन सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट इससे अधिक और क्या कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट की कठोर टिप्पणियों के बावजूद वहां हिंसा नहीं रुक रही है तो सुप्रीम कोर्ट के पास अब क्या विकल्प है? केंद्र सरकार और मणिपुर की डबल इंजन की सरकार कितनी असहाय बेबस और लाचार नजर आ रही है के भारत के लिए यह विश्व में शर्म का कारण बन गई है। भारतीय जनता पार्टी इस पर संसद में नियम 267 के तहत बहस नहीं चाहती और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में कोई बयान दे रहे हैं। मणिपुर के बारे में इस समय सबसे अच्छा काम यह किया जा सकता है कि प्रधानमंत्री एक सर्वदलीय बैठक बुलाएं और सबके राय मशवरे से वहां के लिए जो उचित हो उसका निर्णय लें। इस समय कूकी समुदाय मणिपुर में बेहद असुरक्षित महसूस कर रहा, ऐसे में जरूरी है कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल उस समुदाय के प्रतिनिधियों से मिले और उनकी समस्याओं को हल करने के बारे में सरकार को सलाह दें। अगर यह कहा जाए कि मणिपुर में पानी सर से ऊपर बहते हुए भी लंबा दिन हो गया तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह हिंसा अब नहीं रुकी, तो कब रुकेगी?

 

 

 

 

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