छपी-अनछपी: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- राहुल गांधी की सांसदी लौटेगी, इंडिगो फ्लाइट की इमर्जेंसी लैंडिंग

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में दी गई दो साल की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है जिसके बाद उनकी सांसदी बहाल हो जाएगी। इस खबर को सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। पटना से दिल्ली जा रहे इंडिगो के हवाई जहाज का इंजन बंद होने से उसकी इमरजेंसी लैंडिंग कराने की खबर भी सभी जगह पहले पेज पर है।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: सुप्रीम कोर्ट का सवाल… राहुल को अधिकतम सजा क्यों दी गई। जागरण की पहली खबर भी यही है: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की दोष सिद्धि पर लगाई रोक। हिन्दुस्तान की मेन हेडलाइन है राहुल गांधी की सजा पर रोक, सांसदी बहाल होगी। मोदी उपनाम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि जब तक अपील लंबित है, तब तक सजा पर अंतरिम रोक जारी रहेगी। इस फैसले से राहुल की लोकसभा सदस्यता का रास्ता साफ हो गया है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने जारी आदेश में कहा, निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया।

इमर्जेंसी लैंडिंग

हिन्दुस्तान की सुर्खी है: पटना से उड़ान भरते ही इंडिगो के विमान का इंजन बंद, आपात लैंडिंग।पटना से दिल्ली जा रहे इंडिगो के विमान 6ई 2433 के इंजन में खराबी के बाद शुक्रवार की सुबह उसकी आपात लैंडिंग कराई गई। पटना हवाई अड्डा से आठ बजकर 40 मिनट पर उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद इंजन में खराबी का पता चला। विमान में चालक दल के आठ सदस्यों के अलावा कुल 181 यात्री सवार थे। यात्रियों से भरे विमान के उड़ान भरने के बाद बायीं ओर का इंजन काम नहीं कर रहा था, जिससे विमान ऊंचाई नहीं पकड़ पा रहा था। पायलट ने सूझ-बूझ दिखाते हुए पटना एयरपोर्ट के एटीसी से आपात लैंडिंग के लिए संपर्क किया। सुबह नौ बजकर 11 मिनट पर विमान को रनवे पर सुरक्षित उतार लिया गया।

ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे नहीं रुकेगा

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: ज्ञानवापी में शुरू हुआ सर्वे, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई से सर्वेक्षण कराने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने एएसआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद परिसर में किसी तरह की खुदाई और किसी भी संरचना को नुकसान नहीं पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई से सर्वेक्षण कराने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने एएसआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद परिसर में किसी तरह की खुदाई नहीं हो और किसी भी संरचना को नुकसान नहीं पहुंचे। एएसआई को सर्वेक्षण की अनुमति के फैसले में दखल देने से मना करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल के माध्यम से एएसआई ने साफ किया है कि विवादित स्थल पर किसी तरह की कोई खुदाई नहीं की जाएगी और संरचना को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाए बगैर ही सर्वेक्षण का काम पूरा किया जाएगा।

मणिपुर में भीड़ ने फिर लुटे हथियार

जागरण की खबर है: मणिपुर में भीड़ का पुलिस शस्त्रागार पर हमला, भारी संख्या में हथियार लूटे। मणिपुर में पिछले 3 महीने से जारी हिंसा शांत होने का नाम नहीं ले रही है। हिंसा की वजह से अब तक 160 से भी ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। हजारों लोग घायल हैं। तमाम लोग अपने घर छोड़कर शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं। इस बीच गुरुवार को मैतेई समुदाय की भीड़ में विष्णुपुर जिले के नारायण सिन्हा स्थित द्वितीय इंडिया रिजर्व बटालियन के मुख्यालय में घुसकर तोड़फोड़ के साथ भारी संख्या में हथियार लूट लिए। अधिकारियों के अनुसार भीड़ ने विभिन्न बंदूक की 19000 राउंड से अधिक गोलियां, एके सिरीज़ की एक असाल्ट रायफल, तीन घातक रायफल, 195 सेल्फ लोडिंग राइफल, 25 बुलेट प्रूफ जैकेट, 21 कार्बाइन 124 हथगोले और कई अन्य हथियार लूट लिए।

मौलाना मजहरुल हक़ यूनिवर्सिटी में गड़बड़ी

हिन्दुस्तान की खास खबर है: मौलाना मजहरूल हक विश्वविद्यालय के वीसी के वित्तीय अधिकार पर रोक। मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर खरीदारी के मामले में राजभवन ने कुलपति डॉ मोहम्मद आलमगीर के वित्तीय अधिकार पर रोक लगा दी है। राजभवन ने कहा है कि अगर किसी विशेष परिस्थिति में किसी प्रकार के वित्तीय निर्णय लेने की आवश्यकता हो तो उसके पहले चांसलर से आदेश प्राप्त करना होगा। इधर कुलपति के वित्तीय अधिकार छीने जाने से कर्मियों को एक माह का वेतन नहीं मिल सका है। वाइस चांसलर के आदेश से करीब एक करोड़ 75 लाख की खरीदारी की गई। इनमें 13100 कुर्सियों और बेंच शामिल है। साथी कैंपस में करीब 228 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। कैमरे और उससे जुड़े अन्य सामान लगाने पर करीब 60 लाख रुपये खर्च किए गए। खरीदारी के वक्त विश्वविद्यालय में अस्थाई रजिस्ट्रार थे।

कुछ और सुर्खियां

  • अब झारखंड में भी होगी जातीय गणना, सरकार केंद्र को भेजेगी प्रस्ताव
  • पीएफआई मामले में चार और के खिलाफ चार्जशीट दायर
  • जम्मू-कश्मीर कुलगाम ज़िले में मुठभेड़, सेना के तीन जवानों की मौत
  • केदारनाथ यात्रा के दौरान रुद्रप्रयाग में जमीन खिसकने से मलबे में 20 लोग दबे, 3 शव मिले
  • शिक्षकों के राज्यकर्मी के दर्जे पर आज हो सकता है फैसला
  • हरियाणा के नूह में दंगा के आरोपितों के ठिकानों पर चला बुलडोजर

अनछपी: मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय भारत की सबसे बदनसीब यूनिवर्सिटियों में से एक है। लंबे समय तक इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं हुआ। इसे लंबे इंतजार और कई जगह से घूमने के बाद एक स्थाई कैंपस मिला तो उम्मीद जगी थी कि यहां पढ़ाई की व्यवस्था ठीक-ठाक होगी और इसका नाम होगा। लेकिन अफसोस है कि यह विश्वविद्यालय भी अनेक तरह की अनियमितताओं का शिकार हो गया और अक्सर खबरों में आने की वजह भी यही अनियमितताएं हैं। इससे पहले वहां कॉपियों की खरीदारी में भी गड़बड़ी सामने आई थी। इस अभागे विश्वविद्यालय को जिसने जैसे चाहा लूटा है। यहां भाई भतीजावाद और अनियमित तरीके से बहाली की शिकायत भी मिलती रही है हालांकि इसकी अब तक जांच नहीं हुई है। यह सही है कि इस विश्वविद्यालय को सरकार की उपेक्षा का सामना करना पड़ा तो दूसरी तरफ यह भी हकीकत है कि इस विश्वविद्यालय को जिन लोगों से सेवा की उम्मीद थी उन लोगों ने ही इसे धोखा दिया। यह अच्छी बात है कि राजभवन ने अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद वीसी के वित्तीय अधिकार पर रोक लगाई है लेकिन कायदे से यहां हर एक बात की जांच होनी चाहिए। यहां शैक्षणिक पदों से लेकर विभाग अध्यक्ष तक की बहाली शक के दायरे में है और इसकी जांच जरूरी मालूम होती है। इस विश्वविद्यालय की बदकिस्मती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके साथ बने दूसरे विश्वविद्यालय काफी आगे बढ़ चुके हैं जबकि यह अब भी अनियमितताओं की खाई में गिरा हुआ है। विश्वविद्यालयों में अनियमितताओं की शिकायत तो मिलती रहती है लेकिन जिस तरह मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय इसमें लिप्त बताया जाता है वह आश्चर्यजनक और असहनीय है। ऐसा आरोप लगाया जाता है कि अगर ढंग से जांच हो जाए तो अक्सर बहाली को रद्द करना पड़ेगा और नई बहाली का आदेश देना होगा। लेकिन सवाल यह है कि ऐसी जांच कौन करेगा और राजभवन को इसमें कितनी दिलचस्पी है। ऐसे में अगर आने वाले दिनों में भी इस विश्वविद्यालय का नाम किसी और अनियमितता के कारण सामने आए तो ताज्जुब नहीं होगा।

 

 

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