रामनवमी के जुलूस की आड़ में सांप्रदायिक उन्माद की साजिश: माले
- बिहारशरीफ-सासाराम में हुई प्रशासनिक चूक, प्रशासन उन्मादी-उत्पाती संगठनों के प्रति सख्ती बरते.
- बिहारशरीफ मामले में स्थानीय भाजपा विधायक डॉ. सुनील सिंह व एसपी की भूमिका की जांच की जाए.
- भाकपा-माले की जांच टीम ने बिहारशरीफ व सासाराम का किया दौरा.
- विधानसभा के पटल पर उठायेंगे इस मुद्दे को, शांति स्थापित करने की अपील.
- बिहारशरीफ में अल्पसंख्यक समुमदाय के गरीबों को किया गया टारगेट, सैकड़ो दुकानें लूटी गईं.
- सांप्रदायिक उन्माद की चपेट में आए सभी परिवारों को तत्काल 10 लाख का मुआवजा दे सरकार.
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना।
“बिहार की सत्ता से बेदखली के बाद भाजपा द्वारा बिहार में राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात फैलाने की लगातार कोशिशें जारी हैं. रामनवमी के जुलूस की आड़ में इस बार बिहारशरीफ, सासाराम, गया आदि जगहों पर काफी सोची समझी रणनीति के तहत उन्माद फैलाया गया। बिहारशरीफ में स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। जिस स्तर पर विश्व हिंदु परिषद और बजरंग दल जैसे उन्मादी संगठनों से निपटना चाहिए, उसमें कमी दिख रही है. प्रशासनिक चूक ने स्थिति को बेहद गंभीर बना दिया है।”
ये बातें आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, सचेतक अरूण सिंह और फुलवारी विधायक गोपाल रविदास ने कही। उन्होंने कहा कि माले की टीम ने बिहारशरीफ व सासाराम का अलग-अलग दौरा किया और मामले की सच्चाई जानी। बिहारशरीफ जाने वाली टीम में महबूब आलम, गोपाल रविदास के अलावा कुमार परवेज, नालंदा जिला सचिव सुरेन्द्र राम सहित अन्य लोग शामिल थे, जबकि सासाराम की टीम का नेतृत्व विधायक अरूण सिंह ने किया।
माले नेताओं ने कहा कि बिहारशरीफ में रामनवमी के एक दिन बाद जुलूस निकाला गया, जो अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। 10 से 12 साल के बच्चों को हाथों में तलवार देकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाने के लिए भड़काया गया। पुलिस प्रशासन ने समय पर गंभीरता नहीं दिखलाई। यही वजह रही कि गगन दीवान के पास उन्मादियों को मौका मिल गया और उन्होंने वहां पर स्थित मस्जिद पर जमकर रोड़ेबाजी शुरू कर दी। रोड़ेबाजी फिर दोनों तरफ से होने लगी. गगन दीवान के पीछे का मुहल्ला (हौद पर) जो गरीब मुसलमानों का मुहल्ला है, उनके घरों में जबरदस्त तरीके से तोड़-फोड़ की गई।गाड़ियों को जला दिया गया, एस्बेस्टस की छत को तलवार व अन्य हथियार से जगह-जगह तोड़ दिया गया. घरों में आग लगाई गई।
उन्होंने कहा कि सबसे खतरनाक बात यह कि शिक्षा के केंद्रों पर हमला किया गया। सोगरा कॉलेज और मदरसा अजिजिया को पूरी तरह से आग के हवाले कर दिया गया। मदरसो में वस्तानिया से लेकर फाजिल तक लगभग 5000 डिग्रियों को आग के हवाले कर दिया गया। वहां से धुआं लगातार उठ ही रहा था। कंप्टयूटर, टेबल-कुर्सी, चौंकी सबमें आग लगा दी गई।
“यह मदरसा कोई 100 साल पुराना मदरसा है, जिसे पलक झपकते बर्बाद कर दिया गया। धर्मग्रंथों को भी आग में झोंक दिया गया। यदि प्रशासन ने सही समय पर फायर ब्रिगेड की व्यवस्था की होती, तो शायद नुकसान कुछ कम हुआ होता। मदरसे से सटे मस्जिद में भगवा झंडा फहराया गया और उसे भी नुकसान पहुंचाया गया. मुस्लिम समुदाय के लोग आतंक के साए में जी रहे हैं।”
सिटी पैलेस, एशिया होटल सहित सैकड़ो दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। मामला इतना गंभीर हुआ कि दूसरे पक्ष ने भी कुछ दुकानों में आग लगाई।
माले जांच टीम ने जिलाधिकारी से मुलाकात की। जिलाधिकारी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखकर सभी उन्मादियों और आयोजकों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने प्रशासनिक चूक को स्वीकारा।
भाकपा-माले जांच दल ने उनसे स्थानीय विधायक और एसपी की भूमिका की जांच की मांग की। कहा कि उलटे मुस्लिम समुदाय के गरीब नौजवानों को गिरफ्तार किया जा रहा है, यह कहीं से उचित नहीं है। माले जांच दल ने सभी हताहत परिवारों को तत्काल मुआवजा देने की भी मांग की।
जांच टीम जब पटना लौट रही थी तब फिर से पता चला कि बिहारशरीफ में मामला गंभीर हो चुका है। तत्काल महबूब आलम ने डीएम से बात की। उन्होंने कहा कि सरकार को उन्मादी ताकतों के प्रति सचेत रहना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से बिहारशरीफ मामले में और त्वरित कदम उठाने की मांग की है।
सासाराम में भी जुलूस के दौरान मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाए जा रहे थे, उन्हें टारगेट करके गालियां दी जा रही थीं। 31 मार्च को लगभग 11 बजे चिकटोली मस्जिद पर हमला किया गया। उसका ताला तोड़ दिया गया और मुस्लिम समुदाय के धर्मग्रंथों को फाड़ दिया गया। शाह जलाल पीर मुहल्ला में शाऊद कुरैशी की गाड़ी में आग लगा दी गई।
सासाराम वाली जांच टीम में अरूण सिंह के अलावा जिला सचिव नंदकिशोर पासवान, जिला कमिटी सदस्य रविशंकर राम, कैशर निहाल आदि शामिल थे।
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