छ्पी-अनछपी: मोदी ने यूएई में दिया सद्भावना का संदेश, नाराज़ विधायकों से मिले नीतीश

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएई के अबू धाबी में मंदिर का उद्घाटन करने के बाद सद्भावना का संदेश दिया है। इसकी खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। नाराज बताए जा रहे जदयू के कुछ विधायकों से पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुलाकात की है। इसकी भी अच्छी कवरेज है। उधर आंदोलन कर रहे किसान दिल्ली कूच पर अड़े हैं और उन पर पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है। इस खबर को भी अच्छी जगह मिली है।

हिन्दुस्तान की पहली खबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान है: अयोध्या का आनंद अबू धाबी ने बढ़ाया। प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: मोदी ने अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का किया उद्घाटन, दिया सद्भावना का संदेश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। इसके बाद अपने संबोधन में मोदी ने कहा, “अभी पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सदियों पुराना सपना पूरा हुआ। हमारे उस परम आनंद को अबू धाबी में मिली खुशी ने और बढ़ा दिया।” उन्होंने कहा, “आज यूएई की धरती ने मानवता के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखा है। यह आस्था और संस्कृति का भी अमृतकाल है। यह मंदिर सांप्रदायिक सद्भाव और विश्व की एकता का प्रतीक बनेगा।” मोदी ने कहा कि बुर्ज खलीफा, शेख जायद मस्जिद के लिए मशहूर यूएई ने अब अपनी पहचान में एक और सांस्कृतिक अध्याय जोड़ लिया है।

नाराज़ विधायकों से मिले नीतीश

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: जदयू के नाराज विधायकों को नीतीश ने समझाया, नहीं होगी दंडात्मक कार्रवाई। मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अपने दल के उन विधायकों से मुलाकात की जिनका मन विश्वास मत पर मतदान से पहले इधर-उधर भटक गया था। मान मनुहार और विशेष प्रबंध के तहत मतदान में शामिल हुए। मुलाकात के दौरान विधायकों ने अपनी समस्याएं बताईं तथा वादा किया कि दल और नेतृत्व के प्रति वफादार रहेंगे। बदले में मुख्यमंत्री ने भी भरोसा दिया कि उनकी समस्याएं हल होंगी। कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।

किस बात पर नाराजगी

बांका के बेलहर से जदयू विधायक मनोज यादव ने कहा कि बांका के दल के सांसद गिरिधारी यादव के रवैया से न सिर्फ उनकी बल्कि समर्पित कार्यकर्ताओं की नाराजगी है। परबत्ता के जदयू विधायक डॉक्टर संजीव ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान अपने क्षेत्र की समस्याओं के निदान के लिए एक आवेदन दिया। उन्होंने कहा कि अब सब ठीक है। डॉ. संजीव उन विधायकों में शामिल है जिन्होंने विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के विरुद्ध पेश अविश्वास प्रस्ताव के मतदान में हिस्सा नहीं लिया। मुख्यमंत्री विधायक सुदर्शन से भी मिले जिनकी नाराजगी शेखपुरा में पूर्व मंत्री अशोक चौधरी की सक्रियता को लेकर थी। विधायक बीमा भारती ने बताया कि उन्होंने अपने पति और पुत्र की गिरफ्तारी के बारे में बात की।

दिल्ली कूच पर अड़े किसान

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है कि हजारों किसान हरियाणा की सीमा पार करने पर अड़े हुए हैं। भास्कर ने सुर्खी लगाई है; शंभू बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागी, आज केंद्र से फिर बातचीत। किसानों ने बुधवार सुबह भी कोशिश की, लेकिन पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर उनका प्रयास विफल कर दिया। इस बीच, किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों की बैठक हुई। किसान नेताओं के मुताबिक, गुरुवार को केंद्रीय मंत्रियों के साथ एक और बैठक होगी। पिछली बैठक चंडीगढ़ में सोमवार को हुई थी, जो बेनतीजा रही थी।

राज्यसभा चुनाव का पेच

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: राज्यसभा चुनाव: भाजपा ने सातवां प्रत्याशी उतारा तो महागठबंधन की एक सीट फंसेगी। अख़बार लिखता है कि राज्यसभा चुनाव में भी खेल शुरू है। बिल्कुल नया। प्रदेश भाजपा के ट्रेजरर राकेश तिवारी भी मैदान में कूदने को तैयार। सातवें उम्मीदवार के रूप में। राकेश का नामांकन के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में ₹10000 जमा करने से यह परिदृश्य उभरा है। राकेश प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। बिहार में राज्यसभा की 6 सीटें खाली हो रही हैं। सातवां उम्मीदवार हुआ तो चुनाव यानी वोटिंग तय है। और तब वोट के जुगाड़ का बड़ा खेल होगा। थोड़ा भी इधर-उधर हुआ तो महागठबंधन का कोई ना कोई एक उम्मीदवार फंसेगा।

अशफ़ाक़ करीम का टिकट किससे कटा

जागरण ने लिखा है कि राज्यसभा प्रत्याशियों को लेकर लगातार जारी चर्चा पर विराम लगाते हुए राष्ट्रीय जनता दल ने अपने दो उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा को पार्टी ने एक बार फिर राज्यसभा का टिकट दिया है। जबकि अशफाक करीम के स्थान पर संजय यादव को पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है। संजय यादव पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के रणनीतिकार माने जाते हैं और लंबे समय से वे तेजस्वी के साथ काम कर रहे हैं।

कौन उम्मीदवार कितना धनवान

जदयू के राज्यसभा उम्मीदवार संजय झा, उनकी पत्नी व पुत्र के पास 8 करोड़ 27 लाख 77 हजार से अधिक की चल संपत्ति है। अचल संपत्ति के नाम पर 4 करोड़ 77 लाख की कृषि योग्य भूमि है। इसके अलावा 4 करोड़ 97 लख रुपए की कीमत का कमर्शियल कंपलेक्स है जबकि 12 करोड़ 36 लाख के आवासीय भवन व फ्लैट्स हैं। कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार अखिलेश प्रसाद सिंह और उनकी पत्नी के नाम 10 करोड़ 55 लाख से अधिक की चल संपत्ति है। उनके पास 10 करोड़ 93 लाख की कृषि भूमि है। 7 करोड़ 18 लाख की गैर कृषि भूमि भी है। भाजपा की राज्यसभा उम्मीदवार डॉक्टर धर्मशीला गुप्ता एवं उनके पति के पास 76 लाख से अधिक की चल संपत्ति है। भाजपा के एक और राज्यसभा उम्मीदवार डॉ भीम सिंह और उनकी पत्नी के पास क्रमशः 84 लाख और 78 लाख की चल संपत्ति है। इसके अलावा उनके पास एक करोड़ 74 लाख की अचल संपत्ति है

महागठबंधन के लिए त्याग: दीपंकर

भाकपा माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर जल्दी सीट शेयरिंग पर अंतिम निर्णय होगा। माले की दावेदारी 5 सीट से बढ़ेगी। उन्होंने कहा, “हम सभी चाहते थे कि पार्टी नेताओं की संख्या राज्यसभा एवं विधान परिषद में बढ़े पर इस बार गठबंधन के लिए पार्टी ने राज्यसभा सीट का त्याग किया है।”

तमिलनाडु ने ठुकराया ‘एक देश, एक चुनाव’

तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को केंद्र की प्रस्तावित एक राष्ट्र, एक चुनाव नीति के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक और प्रस्ताव पेश किया, जिसमें केंद्र से जनगणना के आधार पर 2026 के बाद प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह किया गया।

कुछ और सुर्खियां

  • मैट्रिक परीक्षा आज से, चारदिवारी फांदी तो 2 वर्ष के लिए निष्कासन
  • पेटीएम पेमेंट्स बैंक में गड़बड़ी की ईडी जांच शुरू
  • पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते विभागभर शास्त्री भाजपा में शामिल
  • सोनिया गांधी ने छोड़ी रायबरेली की लोकसभा सीट, राजस्थान से भरा राज्यसभा का नामांकन पत्र
  • पटना समेत 19 जिलों में हुई बारिश, तीन जगह ओले गिरे
  • मालदीव ने 43 भारतीय नागरिकों को देश से निकला

अनछपी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएई के अबू धाबी में हिन्दू मंदिर का उद्घाटन करने के बाद अपनी खुशी जाहिर की और इस सद्भावना की एक मिसाल बताया। उन्होंने मंदिर निर्माण में यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद ज़ैद अल नह्यान की सबसे बड़ी भूमिका बताई। इसके लिए उन्होंने वहां उपस्थित लोगों से प्रार्थना की कि खड़े होकर यूएई की राष्ट्रपति का सम्मान करें। यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएई की विशाल हृदयता देखी और मंदिर निर्माण की मंजूरी के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने मंदिर में पग-पग पर विविधता की बात भी कही और इसकी मिसाल इस तरह दी कि वहां की सात मीनारें यूएई के साथ अमीरात का प्रतीक है। ऐसे मौके पर बहुत से लोग यह सवाल कर रहे हैं कि सद्भावना का जो संदेश श्री मोदी यूएई में दे रहे थे उसकी भारत में इतनी कमी क्यों है। उन्होंने जब अपनी बात अबू धाबी के मंदिर के बारे में कही होगी तो उन्हें यह भी याद आया होगा कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद अवैध ढंग से और संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए ढाह दी गई थी। हाल ही में हल्द्वानी में एक मस्जिद और मदरसे को ढाह दिया गया जिसके बाद पुलिस फायरिंग में 6 लोगों की मौत भी हो गई। इससे पहले दिल्ली की 600 साल पुरानी मस्जिद को बिना किसी नोटिस ढाह दिया गया। बाबरी मस्जिद के बाद मथुरा और काशी की मस्जिदों पर भी संप्रदायिक ताकतें निगाह गड़ाए हुए हैं। एक ओर प्रधानमंत्री मंदिर के लिए अबू धाबी में मिली जमीन को सद्भावना की मिसाल बताते हैं तो दूसरी ओर खुद उनके अपने देश भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के धर्म स्थलों के साथ इतनी नाइंसाफी हो रही है? क्या सद्भावना का संदेश सिर्फ विदेशों में देने के लिए है? क्या दुनिया को इस बात की जानकारी नहीं है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के धर्मस्थलों के साथ क्या कुछ हो रहा है? क्या यूएई के शासकों को इस बात की जानकारी नहीं मिलेगी? ज़रूरत इस बात की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी सद्भावना की कोशिश अपने देश में भी करें जिसके लिए वह दूसरे देश का शुक्रिया अदा कर रहे थे।

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