छ्पी-अनछ्पी: चुनावी बॉन्ड मामले में बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट से झटका, मौत का मंजर देखने के लिए मर्डर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। केंद्र की बीजेपी सरकार के ज़रिए 2018 में लाई गई चुनावी बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के ख़िलाफ़ बताते हुए रद्द कर दिया है। आज के अखबारों में सबसे अहम खबर यही है। मधुबनी में तीन नाबालिगों के जरिए मौत का मंजर देखने के लिए गए किए गए कत्ल की भयानक खबर भी सभी जगह है।
भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: गुप्त चंदा, वोटर्स से विश्वासघात। जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: चुनावी बॉन्ड असंवैधानिक: सुप्रीम कोर्ट। हिन्दुस्तान और प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी खबर यही है। भास्कर ने लिखा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में 2018 में लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। संविधान पीठ ने आदेश दिया कि इलेक्ट्रॉनिक बॉन्ड खरीदने वालों इसे बनाने वालों और उसमें मिली राशि को 13 मार्च तक सार्वजनिक किया जाए। दरअसल इस योजना के तहत सियासी दलों को एक करोड़ रुपए या इसके गुणांक में चंदा देने वालों का नाम गोपनीय रखने की छूट थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस तर्क को नहीं माना कि योजना राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और काले धन पर अंकुश लगाने के लिए लाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को आदेश दिया कि वह 12 अप्रैल 2019 से अब तक बिके इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी निर्वाचन आयोग को दे। आयोग इसे 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करे। यह फैसला केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
फूलप्रूफ नहीं चुनावी बॉन्ड योजना: चीफ जस्टिस
जागरण की खबर है कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना फ़ूलप्रूफ नहीं है और मतदाताओं को वोट देने की अपनी स्वतंत्रता का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए उन्हें किसी राजनीतिक दल द्वारा प्राप्त धन के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ केंद्र की इस दलील से सहमत नहीं थी कि चंदा प्राप्त करने वाला राजनीतिक दल चंदा देने वाले की पहचान नहीं जानता क्योंकि न तो बॉन्ड पर उनका नाम होता है, न ही बैंक इसका विवरण उजागर करता है।
अधिकांश चंदा सरकारी पार्टी को: जस्टिस खन्ना
केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना रद्द करने वाली संविधान पीठ में शामिल जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ‘चुनावी बॉन्ड के जरिए अधिकांश चंदा उन राजनीतिक दलों को मिला, जो केंद्र व राज्यों में सत्ता में हैं। जस्टिस खन्ना ने अलग लिखे अपने फैसले में यह टिप्पणी चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं द्वारा चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए की। आंकड़ों से पता चलता है कि राजनीतिक दलों के चंदे का बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेट जगत से आया था और लगभग 94 फीसदी दान 1 करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के चुनावी बॉन्ड से आया।
नोट के मुकाबले वोट मज़बूत: कांग्रेस
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विवादित चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह नोट के मुकाबले वोट की ताकत को मजबूती देगा। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि शुरू से ही चुनावी बॉन्ड की अपारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए वह इसे सत्ताधारी भाजपा का खजाना भरने की स्कीम बता रही थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उम्मीद जताई कि मोदी सरकार भविष्य में ऐसे शरारती विचारों का सहारा लेने की राह छोड़ते हुए सुप्रीम कोर्ट की बात सुनेगी ताकि लोकतंत्र में पारदर्शिता और समान अवसर का आधार कायम रहे।
मधुबनी में मौत का मंजर देखने के लिए मर्डर
हिन्दुस्तान के अनुसार तीन स्कूली छात्रों ने सोशल मीडिया पर हत्या करने का तरीका देखा और मरने वाले की छटपटाहट देखने के लिए एक अनजान इंसान को बर्बरता से मार डाला। हैरान कर देने वाली यह घटना मधुबनी के झंझारपुर में सामने आई है। 14 से 16 साल के इन लड़कों ने बहन की विदाई के बहाने किराए पर गाड़ी ली और सुनसान जगह ले जाकर ड्राइवर की हत्या कर दी। वारदात के बाद शव फेंक दिया और गाड़ी बेचने के इरादे से छिपा दी। तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह भेजा गया है। एसडीपीओ अशोक कुमार ने बताया कि आरोपित लड़के 8वीं, 9वीं और 11वीं के छात्र हैं। कथना गांव निवासी चालक देवेन्द्र उर्फ देबू का शव बुधवार सुबह मिला था। पुलिस के अनुसार, राजनगर निवासी तीनों नाबालिगों ने पूछताछ में बताया कि सोशल मीडिया से उन्हें इस वारदात की सूझी।
सक्षमता परीक्षा दो बार ऑफलाइन
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: नियोजित शिक्षकों को पांच मौके मिलेंगे। प्रभात खबर की पहली सुर्खी है: दो बार ऑफलाइन भी होगी सक्षमता परीक्षा। अख़बार लिखता है कि बिहार के साढे तीन लाख नियोजित शिक्षकों के हक में सरकार ने निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि शिक्षकों की तरफ से लगातार मांग और उनकी कठिनाई को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऑफलाइन परीक्षा की इजाजत दी है। अब तीन ऑनलाइन परीक्षा के अलावा दो ऑफलाइन परीक्षा ली जाएगी। उन्होंने बताया कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनने के लिए साक्षमता परीक्षा पास करनी होगी।
पूरा देश 10-15 अमीरों की कठपुतली: राहुल
प्रभात खबर की खबर है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत गुरुवार को औरंगाबाद जिले से की। इससे पहले यहां के गांधी मैदान में उन्होंने एक सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी व भाजपा पर जमकर हमला बोला। श्री गांधी ने कहा कि देश आज भी सोने की चिड़िया है पर यह चिड़िया अब अडानी के हाथों में है। उन्होंने कहा कि पूरे देश को 10 से 15 अमीरों ने कठपुतली बनाकर रखा है। “बीजेपी ने राम मंदिर का उद्घाटन किया जिसमें एक भी गरीब चेहरा नहीं देखा।” राहुल ने कहा कि सामाजिक न्याय का अगला कदम जाति जनगणना है और कांग्रेस पार्टी इसे करा कर रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इंडिया की सरकार बनी तो किसानों को एमएसपी कानून की पूरी गारंटी मिलेगी।
किसान आंदोलन: आज भारत बंद
भास्कर ने लिखा है कि हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर आंदोलन के तीसरे दिन गुरुवार को शांति रही। बुजुर्ग किसानों ने युवाओं को आगे बढ़ने से रोका। इस मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा और मजदूर संघ ने शुक्रवार को भारत बंद का आह्वान किया है। दूसरी तरफ किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच 5:00 बजे होने वाली मीटिंग रात 8:30 बजे शुरू हुई जो रात 12:30 बजे तक चली। चंडीगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार यह बैठक भी बेनतीजा रही।
मोदी क़तर में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-कतर संबंध और मजबूत हो रहे हैं। दोनों पक्ष भविष्य के क्षेत्रों में सहयोग करने पर विचार कर रहे हैं। ध्यान रहे कि कतर में 15000 भारतीय कंपनियां हैं और 8 लाख से अधिक भारतीय नागरिक वहां रह रहे हैं। भारत एलएनजी का 48% कतर से आयात करता है।
कुछ और सुर्खियां
● हिट ऐंड रन कानून के विरोध में आज और कल हड़ताल
● एनसीपी के संस्थापक शरद पवार को झटका, भतीजे अजित के गुट को असली एनसीपी घोषित
● भाजपा के नंदकिशोर यादव सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा अध्यक्ष बने
● दिल्ली की पेंट फैक्ट्री में आग लगने से तीन लोग जिंदा जले
● रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा- रूस के वैज्ञानिक कैंसर वैक्सीन बनाने के करीब
अनछ्पी: चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला भारतीय जनता पार्टी के लिए इसलिए झटका है क्योंकि विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा चंदा उसे ही मिलता था। खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि चुनावी बॉन्ड का सबसे ज्यादा चंदा सरकारी पार्टी को मिलता रहा है। केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जिनमें उम्मीद की जा रही थी कि सुप्रीम कोर्ट उसके खिलाफ फैसला देगा लेकिन इसमें अक्सर निराशा हाथ लग रही थी। उदाहरण के लिए आर्टिकल 370 हटाए जाने के मामले में भी उम्मीद की जा रही थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी तरह नोटबंदी के मोदी सरकार के फैसले पर भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मायूसी हुई थी। अब सुप्रीम कोर्ट से लंबे इंतजार के बाद एक ऐसा फैसला आया है जिससे विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल सकता है। सरकार ने कानून में संशोधन कर केवल एसबीआई के जरिए बॉन्ड जारी कर राजनीतिक दलों के लिए चंदे की प्रक्रिया बनाई थी। इसमें यह पता नहीं चलता था कि कौन सा कॉर्पोरेट घराना किसे कितना चंदा दे रहा है। हद तो यह है कि सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि मतदाता को यह जानने का अधिकार नहीं है। नोटबंदी की तरह ही सरकार ने कोर्ट में द्लील दी कि चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा दिए जाने से काला धन का प्रभाव कम होगा। सवाल यह है कि क्या नोटबंदी या चुनावी बॉन्ड से काला धन कम हुआ? सुप्रीम कोर्ट की यह बात बिल्कुल सही है कि ऐसे चंदे से कॉर्पोरेट घरानों का जनप्रतिनिधियों के साथ संपर्क बनाकर नीतिगत फैसले प्रभावित करने का खतरा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव में मतदाता सही निर्णय ले इसके लिए राजनीतिक दलों को मिले चंदों के बारे में जानकारी मिलना जरूरी है। इस फैसले की असली बात तब सामने आएगी जब स्टेट बैंक आफ इंडिया यह साफ तौर पर बताया कि किसी कॉर्पोरेट घराने ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार अब इसमें कोई और चाल नहीं चलेगी और लोगों को सही जानकारी मिलेगी।

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