छ्पी-अनछ्पी: फ़्लोर टेस्ट से पहले जोड़-तोड़ टेस्ट, सीएए लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार की नई एनडीए सरकार को कल विश्वास मत प्राप्त करना है लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले जोड़-तोड़ का टेस्ट चल रहा है। अपनी-अपनी पार्टी के एमएलए को अपने साथ रखने की कोशिशें की खबरें आज सभी अखबारों में प्रमुखता से ली गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को भी अच्छी जगह मिली है जिसमें उन्होंने कहा है कि सीएए लोकसभा चुनाव से पहले लागू कर दिया जाएगा।

हिन्दुस्तान की पहली हेडलाइन है: परीक्षा से पहले अभ्यास का दौर। बिहार में सोमवार को सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों की परीक्षा होगी। सरकार का दावा है कि उसके पास बहुमत के लिए जरूरी विधायकों की संख्या से अधिक का समर्थन प्राप्त है। खेला क्या हो सकता है और कौन खिलाड़ी है, इसकी भी परीक्षा होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को बिहार विधानसभा में विश्वास मत पेश करेंगे। इस परीक्षा से पहले शनिवार से सत्तापक्ष व विपक्ष, दोनों ही खेमे में अभ्यास का दौर शुरू हो गया है। अलग-अलग बहाने हैं पर लक्ष्य एक। अपना-अपना किला सुरक्षित रखने के लिए सभी दलों में रविवार को भी परीक्षा से पहले का यह अभ्यास जारी रहेगा। शनिवार को बोधगया में भाजपा विधायकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ । भाजपा के तीन विधायक देर शाम तक इस शिविर में नहीं पहुंचे थे।

विधायकों को एकजुट रखने में जुटे दल

जागरण ने जदयू, भाजपा और राजद की कोशिशें पर अलग-अलग सुर्खी लगाई है। पहली सुर्खी है: मंत्री श्रवण कुमार के भोज में नहीं पहुंच सके जदयू के पांच विधायक। मंत्री श्रवण कुमार द्वारा शनिवार को जदयू विधायकों को दिए गए भोज की राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा रही। चर्चा इस बात की होती रही कि जदयू के 45 में पांच विधायक इस एकजुटता भोज में नहीं दिखे। कहा गया कि पूर्व से तय कार्यक्रम के कारण वे लोग नहीं आए। जदयू विधायक डॉक्टर संजीव, शालिनी मिश्रा, सुदर्शन, दिलीप राम व बीमा भारती को भोज में नहीं देखा गया। दूसरी सुर्खी है: भाजपा आज बैठक में तय करेगी विपक्ष को जवाब देने की रणनीति। तीसरी सुर्खी है: तेजस्वी के सरकारी आवास में रखे गए विधायक, फोन पर रोक। शनिवार की शाम तेजस्वी के आवास पर बुलाई गई राजद की बैठक में विधायकों को कहा गया कि जरूरी सामान मंगवा लें। सोमवार की सुबह तक सबको यहीं रहना है। बाहरी संपर्क से परहेज की सलाह दी गई है। फोन पर भी बात नहीं करने को कहा गया है। राजद के 79 विधायक हैं। बैठक में करीब 73 विधायकों के पहुंचने की सूचना है। बाक़ी विधायक निजी एवं स्वास्थ्य कारणों से अनुपस्थित बताए गए हैं।

विश्वास टेस्ट

प्रभात खबर की पहली सुर्खी है: फ्लोर टेस्ट से पहले ‘विश्वास टेस्ट’। अख़बार लिखता है कि शनिवार को जनता दल यूनाइटेड ने अपने विधायकों के लिए भोज का इंतजाम किया। रविवार को संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी के आवास पर जदयू विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। उधर भाजपा के विधायक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बोधगया में जुटे हैं। शनिवार को ही राजद ने भी तेजस्वी के आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई। कांग्रेस के विधायक पहले से ही हैदराबाद में डेरा डाले हुए हैं।

राजद जिंदाबाद: मनोज

राजद के राज्यसभा सदस्य प्रोफ़ेसर मनोज झा ने तेजस्वी यादव के आवास में राजद विधायकों की बैठक के बाद बाहर निकल कर मीटिंग की जानकारी दी और विधायकों के टूटने के भय से जुड़े सवाल पर कहा कि हमें कोई भय नहीं है, खबर उन तक (विपक्ष तक) पहुंचा दीजिए हम जिंदाबाद थे, जिंदाबाद हैं और जिंदाबाद रहेंगे। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने कहा था कि खेल उन्होंने (सत्तापक्ष ने) शुरू किया है, खेल खत्म हम करेंगे। वहीं, करीब 8 बजे रात को तेजस्वी प्रसाद यादव बैठक से निकल कर पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर चले गए।

हमारे पास 128 विधायक: सम्राट

बोधगया में प्रदेश भाजपा के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने शनिवार की शाम पहुंचे पार्टी विधायकों व विधान पार्षदों ने एकजुटता दिखायी। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दावा किया कि सभी विधायक पहुंच चुके हैं। इसके पहले शनिवार को पूरे दिन बारी-बारी से भाजपा के विधायकों व विधान पार्षदों का महाबोधि होटल में पहुंचने का सिलसिला चलता रहा। सम्राट चौधरी ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा और जदयू के 123 और जीनतराम मांझी  के पार्टी विधायक मिलाकर 128 विधायक हमारे साथ हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले सीएए

भास्कर की पहली खबर है: आम चुनाव से पहले ही लागू होगा सीएए: शाह। केंद्र ने करीब 4 साल से अटके नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर शनिवार को बड़ी घोषणा की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “सीएए देश का कानून है। केंद्र सरकार इसकी अधिसूचना जारी करने वाली है। लोकसभा चुनाव से पहले ही इसे अमल में लाना है। इसमें किसी को कोई कंफ्यूजन नहीं रखना है। उन्होंने कहा, “सीएए पर मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है। यह किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है। यह उन्हें नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न झेलने के बाद आए हैं।” शाह ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कहा कि कांग्रेस ने तुष्टीकरण के कारण इसे अंदाज कर दिया था। “धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म आधारित नागरिक संहिता नहीं हो सकती है।”

इमरान के जीते उम्मीदवारों की सेंचुरी

हिन्दुस्तान के अनुसार पाकिस्तान में आठ फरवरी को हुए आम चुनाव में अभी किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थित उम्मीदवारों को करीब 100 सीट मिली हैं। सरकार बनाने के लिए कुल 265 सीट में से 133 सीट होनी चाहिए। पाकिस्तान निर्वाचन आयोग के अनुसार, अभी तक नेशनल असेंबली की 255 सीट पर मतगणना पूरी हो चुकी है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) द्वारा समर्थित 100 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत हासिल की है।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार में 30547 नए पदों की मंजूरी, जल्द होगी बहाली, इनमें 25386 शिक्षक के पद
  • पीएफ पर ब्याज दर बढ़ी, अब 8.25% होगी
  • दिल्ली से श्रीनगर इसी महीने ट्रेन सेवा शुरू होगी, 12 घंटे लगेंगे
  • पटना जिला परिषद अध्यक्ष कुमारी स्तुति की कुर्सी गिरी, कोर्ट जाएंगी
  • पंजाब में सभी लोकसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी उम्मीदवार उतारेगी: केजरीवाल
  • जेएनयू में एबीवीपी व वामपंथी संगठनों में छात्र संघ चुनाव से पहले झड़प, छात्र घायल

अनछ्पी: सीएए बनने के 4 साल बाद चुनाव के समय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसको लागू करने की घोषणा क्यों कर रहे हैं? उनकी भारतीय जनता पार्टी कह सकती है कि यह उसका चुनावी एजेंडा रहा है और चुनाव के समय इसकी घोषणा करना उसी के अनुसार है। कुल मिलाकर इसका चुनावी लाभ लेने की कोशिश की जा रही है लेकिन इसके बारे में भरमाने वाली बात पहले भी कही जाती रही है और अब भी कही जा रही है। पॉलिटिक्स में बयानों की धोखेबाजी कोई नई बात नहीं है और इसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता भी अलग नहीं हैं। अमित शाह ने एक बार फिर यह दोहराया है कि सीएए नागरिकता लेने का नहीं, देने का कानून है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मुसलमानों को गुमराह किया जा रहा है। ध्यान रहे कि सीएए के खिलाफ मुसलमानों ने काफी लंबा संघर्ष किया है। कोरोना के कारण उनका प्रदर्शन रुक गया लेकिन उनका विरोध अब भी जारी है। अभी भले ही ऐसा लगता हो कि सीएए नागरिकता लेने का नहीं, देने का कानून है लेकिन इसके बाद आने वाला एनआरसी इसे खतरनाक बना देगा। आम समझ यह है कि एनआरसी में जिन्हें शक के दायरे में रखा जाएगा, उनमें मुसलमानों को छोड़कर बाक़ी सबकी नागरिकता सीएए के ज़रिए बहाल रखी जाएगी। ऐसे में मुसलमानों का विरोध बिल्कुल स्वाभाविक है। अमित शाह ने अपने बयान में यह भी कहा है कि धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म आधारित नागरिक संहिता नहीं हो सकती है। यह एक अलग बहस है कि धर्मनिरपेक्ष राज्य में कैसे देश का प्रधानमंत्री और पूरी सरकार किसी एक विशेष धर्म के आयोजन में लग जाते हैं। उन्होंने यह बात यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में कही है लेकिन उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि धर्मनिरपेक्ष राज्य में धर्म के आधार पर कैसे नागरिकता दी जा सकती है? सच्चाई यह है कि सीएए धर्म के आधार पर नागरिकता छीनने की पहली सीढ़ी है जो छिपाकर लगाई जा रही है। मीडिया भी इस बारे में सरकार की भाषा बोलता है लेकिन जैसा कि अमित शाह कहते हैं, क्रोनोलॉजी समझिए। पहले सीएए और फिर एनआरसी। यानी कागज़ दिखाने की वही साज़िश भरी चाल। अफसोस की बात है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है लेकिन अभी तक वहां से इंसाफ मिलने का कोई संकेत नहीं है। जरूरत इस बात की है कि सरकार के धोखे वाले बयानों से सतर्क रहा जाए और सीएए के खतरे को कम करके आंकने से बचा जाए।

 

 

 

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