छपी-अनछपी: नीतीश को यूपी से चुनाव लड़ने का ऑफर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भड़काऊ भाषण रोकें

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर मिल रहा है। पहले भी उनके उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की बात हुई थी। ताजा बयान मंत्री और जदयू नेता श्रवण कुमार का है। कई अखबार ने इस खबर को खास तवज्जो दी है। हरियाणा में हुई हिंसा के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी के जवाब में भड़काऊ भाषण और हिंसा रोकने की बात कही गई है। इस खबर को काफी अहमियत दी गई है।

जागरण की खबर है: यूपी के लोगों की भावना है कि वहां से नीतीश कुमार चुनाव लड़े: श्रवण। हिन्दुस्तान की खबर है: नीतीश यूपी से लड़ें चुनाव जौनपुर सम्मेलन में उठी मांग। बिहार के मुख्यमंत्री तथा विपक्षी एकजुटता के सूत्रधार नीतीश कुमार के उत्तर प्रदेश के किसी भी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की मांग हो रही है। यह मांग जदयू के उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ता तथा नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के समर्थकों द्वारा की जा रही है। इसकी जानकारी बुधवार को यूपी जदयू के प्रभारी तथा बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने दी। 30 जुलाई को यूपी के जौनपुर सम्मेलन में कार्यकर्ताओं ने मंच से भी यह मांग की। उन्होंने कहा कि खासतौर से फूलपुर की जनता की मांग है कि नीतीश कुमार यहां से लोकसभा चुनाव लड़ें। फूलपुर के साथ ही फतेहपुर, प्रतापगढ़, अम्बेदकर नगर लोकसभा क्षेत्रों से भी मांग आ रही है।

हेट स्पीच रोकें: सुप्रीम कोर्ट

जागरण की पहली खबर है: भड़काऊ भाषण, हिंसा रोकना सुनिश्चित करें। भास्कर की सुर्खी है: रैलियां नहीं रोक सकते पर हेट स्पीच ना हो हर भाषण रिकॉर्ड करो: सुप्रीम कोर्ट। हरियाणा के नूंह में शुरू हुई हिंसा की आग ज्यादा न फैले इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हरियाणा यूपी दिल्ली और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पहुंची है जिसमें बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की रैलियों पर रोक लगाने की मांग की गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने रैलियों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना सरकार का काम है। इसलिए हरियाणा, यूपी, दिल्ली और केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करें कि रैलियों में हेट स्पीच ना हों और ना ही इन कार्यक्रमों के कारण हिंसा फैले। हर भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। अब अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी

शहाबुद्दीन के बेटे पर एफआईआर

जागरण की खबर है: शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा समेत पांच पर प्राथमिकी, एक गिरफ्तार। मोतिहारी शहर के ज्ञान बाबू चौक तेलिया पट्टी वार्ड 19 रानी कोठी में मंगलवार की शाम जमीन के झगड़े में दो भाइयों के बीच हुई फायरिंग व मारपीट मामले में पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है। इस मामले में सिवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा समेत पांच के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। एसपी केके मिश्र ने बताया कि पुलिस ने एक आरोपित सिवान के पचरुखी थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर गांव निवासी औरंगजेब को गिरफ्तार किया गया है। एसपी ने बताया कि ओसामा पर भी कार्बाइन से फायरिंग करने का आरोप है। इसकी जांच की जा रही है। बताया जाता है कि यह मामला शहाबुद्दीन की बेटी की ससुराल का है।

कटिहार में बीवी-बच्चों का क़त्ल

हिन्दुस्तान की खबर है: कटिहार में पत्नी बेटी व मासूम बेटे की गला रेत कर हत्या। कटिहार ज़िले के बलिया-बेलौन थाना क्षेत्र के वार्ड-6 में एक युवक ने अपनी पत्नी, बेटी और मासूम बेटे की गला रेत कर हत्या दी। पुलिस ने हत्यारोपी को गिरफ्तार कर लिया है। हत्यारोपी युवक फिरोज ने पत्नी सदफ जरीन (35), बेटी फाया फिरोज (12) और बेटा फैजान फिरोज (5) की हत्या करने के बाद पहले खुद को बेगुनाह बताया। बाद में पुलिस की कड़ाई से पूछताछ करने के बाद उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। एसपी जितेंद्र कुमार ने बताया कि सदफ जरीन की मां बेनेजीर हैदर ने सदफ के पति मो. फिरोज के साथ कई अज्ञात को आरोपी बनाया गया है। फिरोज ने दो शादियां की हैं।

एक अदद वीसी की पांचवीं तलाश

भास्कर की खबर है: 1…2…3…4 बार रद्द हुआ है आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के वीसी की नियुक्ति का विज्ञापन, हर बार कारण अपरिहार्य। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति के लिए राजभवन सचिवालय ने 3 साल में 4 विज्ञापन निकाले। हर बार आवेदन की अंतिम तिथि बीतने के बाद लंबे समय बाद से रद्द कर दिया गया। हर बार रद्द करने का एक ही वजह बताई गई… अपरिहार्य कारण। चौथा विज्ञापन 25 जुलाई को आवेदन की अंतिम तिथि 9 महीना 27 दिन बीतने के बाद रद्द हुआ। इस अवधि में विश्वविद्यालय प्रभार में चल रहा है। अब पांचवीं बार राजभवन सचिवालय नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है।

प्रधानमंत्री के बयान के लिए राष्ट्रपति से गुहार

हिन्दुस्तान की खबर है: मणिपुर पर प्रधानमंत्री के बयान की रखी मांग। इंडिया गठबंधन के घटक दलों के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मिला। इन नेताओं ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर के मुद्दे पर संसद में बयान देने को कहें। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मणिपुर में शांति बहाली के लिए प्रधानमंत्री मोदी को राज्य का दौरा करना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्हें हरियाणा में हुए दंगों के बारे में भी जानकारी दी।

कुछ और सुर्खियां

  • एएन कॉलेज ए+ ग्रेड पाने वाला राज्य का पहला संस्थान
  • शिक्षक भर्ती परीक्षा में हाजरी बायोमेट्रिक पद्धति से बनेगी
  • मोदी उपनाम मामले में सजा के बारे में राहुल ने कहा- कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग हुआ
  • कोर्ट से रोक हटने के बाद बिहार में 89 दिनों बाद जातीय गणना फिर से शुरू
  • बिहार में खत्म होगा बिजली दर का अलग-अलग स्लैब, पूरे राज्य में होगी एक ही दर
  • शिक्षक विभाग में अब कॉल सेंटर, टोल फ्री नंबर 14417
  • 21391 सिपाही भर्ती के लिए लिखित परीक्षा 24 सितंबर से

अनछपी: आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के वीसी की नियुक्ति एक अजीब पहेली है। वीसी का कार्यकाल 3 साल का होता है और यहां पौने तीन साल बीत गए लेकिन एक अदद वीसी की नियुक्ति राजभवन नहीं कर सका। बिहार में उच्च शिक्षा का बुरा हाल क्यों है इसे समझने के लिए यह एक उदाहरण ही काफी है। रोचक बात यह है कि अब तक चार बार वीसी की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द कर दी गई है और हर बार अपरिहार्य कारण बताया गया है। अपरिहार्य कारण एक अपरिभाषित बात है और राजभवन को चाहिए कि स्पष्ट रूप से बताए कि आखिर कौन-कौन सी वजह थी जिससे विश्व की नियुक्ति की प्रक्रिया रद्द की गई। ध्यान देने की बात यह है कि इस विश्वविद्यालय की वीसी की नियुक्ति की प्रक्रिया का अधिकतम समय पिछले राज्यपाल फागू चौहान के कार्यकाल का है। सवाल यह है कि यह अयोग्य उम्मीदवारों का मामला है या राजभवन की अयोग्यता का, जो अब तक एक अदद वीसी बहाल करने में नाकाम रहा है? अभी दो दिन पहले ही राजभवन ने मगध विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी राजेंद्र प्रसाद समेत 20 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। बिहार में वीसी और अन्य पदाधिकारियों का पद कितना विवादास्पद है इस मुकदमे की अनुमति से भी पता चलता है। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय पौने तीन साल से प्रभारी विश्व के मातहत चल रहा है और इससे विश्वविद्यालय को होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है। साथी इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के विद्यार्थियों की पढ़ाई का क्या हुआ होगा। नए राज्यपाल के दौर में पांचवी प्रक्रिया से वीसी की नियुक्ति की उम्मीद बंधी है लेकिन यह एक शोध का विषय है कि आपसे चार चार बार क्यों वीसी नियुक्ति की प्रक्रिया रद्द की गई।

 

 

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