छपी-अनछपी: शहरों में घर बनाने का अनुमति शुक्ल दस गुना, एक लाख स्कूली बच्चों के नाम कटे

बिहार लोक संवाद डॉट नेट पटना। बिहार के शहरों में घर बनाने के परमिट फीस को बढ़ाने की खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। बिहार में ही एक-एक बच्चे के दो-दो जगह नाम लिखे जाने के विरुद्ध चलाए गए अभियान के तहत एक लाख बच्चों का नाम स्कूलों से काटा गया है। इस खबर को भी अच्छी जगह दी गई है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: शहरों में घर बनाने का अनुमति शुल्क बढ़ा। जागरण में दूसरी सबसे बड़ी खबर है: शहरों में घर बनाने पर लगेगा 10 गुना भवन अनुमति शुल्क। प्रभात खबर की पहली खबर भी यही है: घर बनाना महंगा, जितनी ऊंची होगी बिल्डिंग उतना अधिक लगेगा शुल्क। राजधानी पटना समेत राज्य के सभी नगर निकाय क्षेत्रों में किसी भी तरह के भवन निर्माण के लिए अनुमति (परमिट) शुल्क में 10 से 12 गुना तक की बढ़ोतरी की गई है। राज्य सरकार द्वारा यह बढ़ोतरी 10 वर्ष बाद की गई है। नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुनीश चावला ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है। यह वृद्धि 5 सितम्बर से ही लागू हो गई है।

नई दर

नई दर लागू होने के बाद पटना महानगर क्षेत्र में एक कट्ठा (1350 वर्ग फीट या 126 वर्ग मीटर) जमीन में दो मंजिला तक का घर बनवाने के लिए परमिट फीस के तौर पर 12 हजार 600 रुपये देने होंगे। इसी तरह 3 से 5 मंजिला घर के लिए 18 हजार 900 रुपये और 5 मंजिला से अधिक ऊंचे भवन निर्माण के लिए 25 हजार 200 रुपये पटना महानगर प्राधिकार में जमा करना होगा।

एक लाख बच्चों के नाम कटे

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: बिहार में एक लाख बच्चों के नाम विद्यालयों से कटे। दस दिनों में राज्य के सरकारी विद्यालयों में एक लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का नाम काटा गया है। नामांकन डुप्लिकेसी (एक से अधिक जगहों पर) खत्म करने तथा योजनाओं के गलत लाभ लेने को लेकर यह कार्रवाई की गई है। ये सभी ऐसे विद्यार्थी हैं, जो एक ही साथ सरकारी और निजी विद्यालयों में दाखिला लिये हुए थे। इसको लेकर शिक्षा विभाग का जिलों को निर्देश है कि लगातार तीन दिनों तक विद्यालय नहीं आने वाले बच्चों को नोटिस दें। उनके अभिभावक से बात करें और बच्चों को विद्यालय आने के लिए कहें। इसके बाद भी लगातार 15 दिनों तक विद्यालय नहीं आने वाले बच्चों का नामांकन रद्द कर दें। शिक्षा विभाग को जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 13 सितंबर तक एक लाख, एक हजार 86 बच्चों का नाम कटा है।

40 कॉलेजों की मान्यता जाएगी

प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के 40 कॉलेज की जाएगी मान्यता। आर्यभट्ट विश्वविद्यालय के 40 कॉलेज की संबद्धता और उसका एक्सटेंशन निरस्त किया जाएगा। यह वह कॉलेज हैं जिन्हें बिना अक्षय निधि जमा कराए एफिलिएशन दी गई थी। इस तरह की कार्रवाई की सिफारिश विश्वविद्यालय कोर्ट के पदेन अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर से संबंधित मामलों की जांच कर रही समिति ने की है। समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद खान की अध्यक्षता में गठित समिति ने शिक्षा मंत्री को यह रिपोर्ट शुक्रवार की सुबह सौंपी।

शराबबंदी मामले में अफसरों पर जुर्माना

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: शराबबंदी कानून का दुरुपयोग करने वाले चार वरीय अफसरों पर अर्थदंड। पटना हाई कोर्ट ने शराब बंदी कानून का दुरुपयोग कर एक गोदाम की मालकिन को प्रताड़ित करने के मामले में मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव सहित अन्य आला अधिकारियों पर ₹50000 का अर्थ दंड लगाया है। न्यायाधीश बजनथ्री एवं न्यायाधीश अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने सुनीता सिंह की रिट याचिका को स्वीकृति देते हुए शुक्रवार को यह आदेश दिया। पुलिस यह साबित नहीं कर पाई थी कि उस मकान से ज़ब्त शराब की बरामदगी में याचिकाकर्ता का कोई हाथ था। कोर्ट ने पाया कि सभी अधिकारियों ने मनमानी तरीके से बिना सबूत याचिकाकर्ता को शराब बंदी कानून तोड़ने का आरोपित मानते हुए पटना बाईपास में स्थित उसके मकान को अटैच करने का आदेश दिया था।

अमित शाह आज बिहार में

भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को एक दिवसीय दौरे पर बिहार आएंगे। अपने चार घंटे के प्रवास के दौरान वे मधुबनी के झंझारपुर में रैली को संबोधित करेंगे। साथ ही अररिया के जोगबनी में एसएसबी के कार्यक्रम में शामिल होंगे। पार्टी नेताओं के अनुसार गृह मंत्री एक बजे दरभंगा एयरपोर्ट पहुंचेंगे।

चीफ सेक्रेटरी बीमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीमार मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को देखने शुक्रवार को पारस अस्पताल पहुंचे और उनका हाल-चाल जाना। उन्हें डेंगू होने की चर्चा थी, बाद में यह बताया गया कि उन्हें हल्का ब्रेन हैमरेज हुआ है। वे विभाग भी नहीं जा रहे थे। बेहतर इलाज के लिए उन्हें पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया। मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से भी बातचीत की और उनसे जानकारी ली।

नूह हिंसा मामले में विधायक मामन खान गिरफ्तार

नूह हिंसा के मामले में गिरफ्तार कांग्रेस विधायक मामन खान को कोर्ट ने शुक्रवार को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। विधायक की गिरफ्तारी के बाद जिले में धारा-144 लागू कर दी गई है। साथ ही जिले में 15 से 16 सितंबर तक के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस विधायक मामन खान को एक अगस्त को नगीना थाने में दर्ज हुई एफआईआर के तहत गिरफ्तार किया गया है। बड़कली चौक पर हुई हिंसा को लेकर यह मामला दर्ज किया गया था।

कुछ और सुर्खियां

  • अनंतनाग मुठभेड़ में सेना के एक और जवान की मौत
  • फतुहा ट्रिपल मर्डर कांड में 11 लोग गिरफ्तार
  • एनएमसीएच में देश की सबसे बड़ी लॉन्ड्री का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया लोकार्पण
  • बीपीएससी 67वीं मुख्य परीक्षा में 2104 सफल
  • बिहटा हवाई अड्डे के लिए मिली 134 एकड़ जमीन, अब टर्मिनल भवन बनेगा
  • मुजफ्फरपुर नाव हादसे में तीस घंटे की तलाश में चार लाशें मिलीं, 8 अब भी लापता
  • ग्रेटर नोएडा में लिफ्ट टूटने से बिहार के तीन लोगों की मौत

अनछपी: बिहार के स्कूलों के बारे में यह कहा जाता है कि अगर यहां अधिकारियों के बच्चे पढ़ने लगे तो उनकी स्थिति अच्छी हो सकती है या इसे दूसरे रूप में कहा जाए तो बिहार के स्कूलों की स्थिति का पता लगाने के लिए यह जानना जरूरी है कि वहां कितने अफसर के बच्चे पढ़ते हैं। यही मामला अस्पतालों का है और अगर यह देखना हो कि अस्पतालों पर सरकारी अफसर का कितना विश्वास है तो यह भी मालूम हो सकता है। पटना के डीएम और बिहार के चीफ सेक्रेटरी हाल ही में जब बीमार पड़े तो दोनों को किसी सरकारी अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया बल्कि दोनों ने एक प्राइवेट अस्पताल को चुना। इसका एक पहलू तो यह हो सकता है कि सरकारी अस्पतालों में जाने के बाद डॉक्टरों का ध्यान जो आम मरीजों को देखने में लगता था वह इन दोनों अधिकारियों के लिए लग जाता। लेकिन यह बात इतनी आसान नहीं है। ज्यादातर लोग यह मानेंगे कि सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था देखकर ही इन दोनों अधिकारियों ने वहां जाना मुनासिब नहीं समझा। जब अफसर का यह हाल है तो एमएलए, एमपी और मंत्रियों के बारे में बाकी बात खुद समझ में आ जाने वाली है। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव स्वास्थ्य विभाग भी संभाल रहे हैं और उन्होंने मंत्री पद संभालने के बाद कुछ ऐसे संकेत दिए थे जिससे लग रहा था कि अस्पतालों की हालत सुधरेगी। ऐसा नहीं है कि इन सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीज या दूसरे गंभीर मरीजों के रोगियों का इलाज नहीं चल रहा है लेकिन जब सही तरीके से सारी सुविधाओं के साथ इलाज की बात होगी तो उनकी जगह प्राइवेट अस्पतालों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव के लिए यह सोचने का मुकाम है कि आखिर इतने पैसे खर्च करने के बावजूद पीएमसीएच जैसे बड़े अस्पताल के होते हुए भी सरकारी अफ़सर प्राइवेट अस्पतालों में क्यों इलाज कराते हैं। यह बात सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ उन डॉक्टरों के लिए भी शर्मिंदगी की है जो पीएमसीएच में कार्यरत हैं। इस बात के लिए किसी एक वर्ग को दोषी नहीं ठहराया जा सकता बल्कि पूरी व्यवस्था इसके लिए जिम्मेदार है और इसे ठीक करने की जरूरत है।

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