छपी-अनछपीः निशाने पर फुलवारी, व्हाट्सऐप ग्रुप से देश विरोधी गतिविधि चलाने का आरोप
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। इमारत ए शरिया और खानकाह मुजीबिया जैसी संस्थाओं के लिए मशहूर फुलवारी शरीफ कथित रूप से चल रही देश विरोधी गतिविधियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के कारण सुर्खियों में बना हुआ है। 13, 14 और 15 जुलाई के पुलिस के बयानों से ऐसा लगता है कि फुलवारी देश विरोधी तत्वों के निशाने पर है जबकि भाकपा-माले का कहना है कि फुलवारी दिल्ली-पटना सरकार के निशाने पर है। माले ने कहा कि फुलवारी शरीफ को कब्रगाह बनाने की भाजपा लगातार कोशिश कर रही है।
आज के अखबारों में पुलिस के बयान को तो पूरी प्रमुखता से छापा गया है लेकिन इस बारे में माले और आरोपितों के परिजन का क्या कहना है, इसे तवज्जो नहीं दी गयी है।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर की सुर्खी हैः फुलवारी से देश में हिंसा फैलाने की साजिश। इस अखबार के अनुसार ’गजवा-ए-हिन्द के मरगूब ने गिरफ्तारी के बाद उगले कई राज’। ’संगठन के दो वाट्सऐप ग्रुप भी, पाकिस्तान का फैजान है एडमिन।’ इसमें यह दावा भी हैः ’भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत खाड़ी देशों के लोग गु्रप में।’ इन खबरों के साथ यह जानकारी भी है कि सब्जीबाग और मोतिहारी समेत कई ठिकानों पर छापे पड़े हैं।
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर की सुर्खी हैः पाकिस्तान से वाट्सऐप ग्रुप के जरिए बिहार में चल रही थी देश विरोधी मुहिम।
जागरण की लीड हैः पाकिस्तानी संगठन तहरीक ए लब्बैक से जुड़ा मरगूब गिरफ्तार।
भास्कर की हेडलाइन हैः गजवा-ए-हिन्द का आतंकी फुलवारी में पकड़ा गया, टार्गेट था- 2023 में जिहाद।
जिस मरगूब आलम को इतने संगीन इल्जामों में गिरफ्तार करने की बात पुलिस कह रही है, उसके पिता सैफुद्दीन का कहना है कि मरगूब मानसिक रोगी है और उसका इलाज एम्स में चल रहा है। उनके अनुसार मरगूब के पास न तो कोई पासपोर्ट है और न ही बैंक खाता। दूसरी तरफ एसएसपी का कहना है कि वह 2006 से 2020 तक दुबई में नौकरी कर चुका है।
इस पूरे मामले में एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों का वह बयान अब भी चर्चा में है जिसमें उन्होंने गिरफ्तार लोगों के बारे में कहा था कि वे वैसे ही मार्शल आट्र्स की ट्रेनिंग देते थे जैसे आरएसएस अपनी शाखा में देता है। भाजपा के भारी विरोध के बीच पहले एडीजी जितेन्द्र सिंह गंगवार ने कहा था कि दो संगठनों के बीच तुलना नहीं करना चाहिए था, अब खुद एसएसपी ने सफाई दी है। प्रभात खबर में इसके बारे में यह खबर हैः आरएसएस की तुलना पीएफआई से करना मेरा उद्देश्य नहीं थाः एसएसपी। श्री ढिल्लों ने कहा है कि पकड़े हुए लोगों ने जो कहा था, उसे ही दोहराया है।
हिन्दुस्तान की दूसरी बड़ी खबर की हेडिंग हैः अलर्टः सावन में कांवरियों को कट्टरपंथियों से खतरा। यह खबर दिल्ली से खुफिया सूत्रों के हवाले से है।
देश के शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग में आईआईटी मद्रास लगातार चैथी बार टाॅप पर रहा है जबकि आईआईएससी, बंगलुरू को दूसरा स्थान मिला है। बिहार से सिर्फ आईआईटी, पटना
अनछपीः 11 जुलाई से फुलवारी शरीफ के बारे में पुलिस जो दावे कर रही है वह बहुत ही चिंताजनक है। ये आरोप सही हों या गलत, दोनों हालत में मुस्लिम समुदाय और पूरे राज्य के लिए परेशानी की बात है। दोनों बात का फैसला अब तो अदालत में होगा। मगर अदालत का फैसला आने तक यह बात तो सोचने की है कि आखिर फुलवारी में ऐसी गतिविधियां चल रही थीं तो बाकी लोगों की नजर में क्यों नहीं थी और उन्होंने क्यों इसे रोका नहीं। अगर ये आरोप गलत हैं, जैसा कि मुहल्ले के लोग और गिरफ्तार लोगों के घरवालों का कहना है, तो यह सोचना होगा कि पुलिस ऐसा क्यों कर रही है और इसका क्या उपाय है। भाकपा माले को छोड़कर किसी दल या संगठन ने कोई स्टैंड नहीं लिया है। माले ने इसे भाजपा की साजिश बताया है और निर्दोषों को छोड़ने की मांग की है।
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