छ्पी-अनछ्पी: दारोगा भर्ती का पेपर वायरल, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- ज़मानत के केस जल्द निपटाएं

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। दारोगा भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने की खबर प्रभात ख़बर की सबसे बड़ी सुर्खी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्टों से कहा है कि जमानत के केस जल्द निपटाएं। इस खबर को बहुत तवज्जो नहीं मिल सकी है। सूरत में डायमंड बोर्स (साथ लगी तस्वीर) के उद्घाटन की खबर सभी जगह है।

प्रभात खबर में पटना और मधुबनी से लिखी गई खबर की सुर्खी है: दारोगा परीक्षा का प्रश्नपत्र वायरल, परीक्षार्थी बोले- यही प्रश्न पूछे गए थे। बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग द्वारा रविवार को ली गई पुलिस अवर निरीक्षक पद की परीक्षा का प्रश्न पत्र और आंसर रविवार को वायरल हो गया। दोनों शिफ्ट के वायरल प्रश्न पत्र और आंसर को परीक्षार्थियों ने सही बताया है। हालांकि प्रभात खबर ने इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं की है। दारोगा के 1275 पदों के लिए यह वैकेंसी निकाली गई है।

मधुबनी में पति-पत्नी गिरफ्तार

मधुबनी के पंडौल स्थित आरएन कॉलेज से दारोगा भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक करने की बात सामने आई है। मधुबनी की बेनीपट्टी की रहने वाली रितु कुमारी का सेंटर आरएन कॉलेज में था। परीक्षा केंद्र पर उसके साथ उसका पति संजीव कुमार भी आया था। दूसरी पाली में जैमर में तकनीकी खराबी आ गई थी। किसी प्रकार रितु ने मोबाइल फोन के जरिए प्रश्न पत्र को अपने पति संजीव को भेज दिया। फिर संजीव बाहर से प्रश्न को सॉल्व कर अपनी पत्नी को बता रहा था। सेंटर पर जांच के दौरान अभ्यर्थी को पकड़ लिया गया। इस मामले में पति और पत्नी दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

ज़मानत के केस जल्द निपटाएं: सुप्रीम कोर्ट

हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से जमानत, अग्रिम जमानत के आवेदनों को शीघ्रता से सूचीबद्ध करने और उनका निपटान सुनिश्चित करने को कहा है। क्योंकि यह व्यक्तियों की स्वतंत्रता से संबंधित है। न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार और संजय कुमार की पीठ ने एक आदेश में कहा कि इस अदालत ने माना और दोहराया है कि अग्रिम जमानत के आवेदन और आवेदन पर निर्णय स्वतंत्रता से संबंधित हैं। इसलिए, लंबित मामलों को शीघ्रता से उठाया जाए और निपटारा किया जाए। पीठ ने कहा कि यह चिंता की बात है कि बार-बार आदेश देने के बावजूद वही स्थिति बनी हुई है।

जदयू: ताक़त के हिसाब से सीट

जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: ताकत के हिसाब से सीट की बात करेगा जदयू। विपक्षी इंडिया गठबंधन की बैठक दिल्ली में कल यानी 19 दिसंबर को है। इसमें सीट शेयरिंग के बारे में जदयू इस पर बात करेगा कि प्रदेशों में जिस दल की जितनी ताकत है उसे हिसाब से उनके खाते में सीटें जाएं। इसके लिए पूर्व के लोकसभा चुनाव में वोटों के प्रतिशत को आधार बनाए जाने की बात संभव है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को इस बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना होंगे। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जदयू को 21.81% वोट मिले थे। 23.58% वोटो के साथ भाजपा पहले और जदयू दूसरे नंबर पर था। राजद को 15.86% और कांग्रेस को 7.5% वोट मिले थे।

साढ़े तीन लाख बच्चों की विशेष पढ़ाई

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: मैट्रिक-इंटर के 3.50 लाख बच्चों की अलग से होगी पढ़ाई। मैट्रिक और इंटर की सेंटअप परीक्षा में कम अंक लाने वाले करीब तीन लाख 50 हजार छात्र-छात्राओं के लिए विशेष कक्षाएं चलेंगी। विशेष कक्षाएं दिसंबर के तीसरे सप्ताह से स्कूलों में ही शुरू होंगी। विशेष कक्षाओं में सबसे ज्यादा पटना समेत 10 जिले के छात्र व छात्राएं शामिल होंगे। सबसे ज्यादा पटना जिले से 35 हजार 476 छात्र-छात्राओं को विशेष कक्षा में शामिल किया जाएगा। पहली बार विशेष कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं।

सूरत का डायमंड बोर्स

प्रभात खबर की खबर है: सूरत डायमंड बोर्स नए भारत की ताकत और संकल्प का प्रतीक: प्रधानमंत्री मोदी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सूरत डायमंड बोर्स का उद्घाटन किया। यह दुनिया का सबसे बड़ा कार्यालय भवन है। सूरत डायमंड बोर्स अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन से भी बड़ी इमारत है। इसमें 4500 से अधिक दफ्तर हैं। पीएम मोदी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय हीरा तथा आभूषण कारोबार के लिए दुनिया का सबसे बड़ा और आधुनिक केंद्र सूरत डायमंड बोर्स नये भारत की ताकत और संकल्प का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सूरत का हीरा उद्योग 8 लाख लोगों को रोजगार दे रहा है। नये बोर्स से डेढ़ लाख और नौकरियां पैदा होंगी।

मोदी बनारस में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा मेरे लिए भी एक कसौटी है। इसमें मेरी भी परीक्षा हो रही है। इस यात्रा के बहाने यह जानने निकला हूं कि जिनके लिए लाभकारी योजनाएं शुरू की गईं हैं, वे उन तक पहुंच रही हैं या नहीं। मोदी ने वाराणसी में विकसित भारत संकल्प यात्रा में आए लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, यह संकल्प यात्रा देश को मुसीबतों से मुक्ति दिलाने का मार्ग है।

कुछ और सुर्खियां

  • नागपुर में विस्फोटक बनाने वाली फैक्ट्री में धमाका, नौ लोग मरे
  • लोकसभा चुनाव के लिए बनेंगे 77000 से अधिक मतदान केंद्र
  • उत्तर भारत में सर्दी का सितम बढ़ा, कल से पारा और गिरने के आसार
  • वनडे सिरीज के पहले मैच में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 8 विकेट से हराया
  • बिहार विधानसभा की 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी भाजपा: सम्राट चौधरी
  • सीतामढ़ी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर

अनछ्पी: संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि बेल नियम होना चाहिए जेल नहीं। सुप्रीम कोर्ट के जज भी इस बात पर चिंता जताते हैं कि लोगों को जमानत मिलने में इतनी देर क्यों होती है। ताजा खबर में बताया गया है कि जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने एक आदेश में कहा कि अग्रिम जमानत के आवेदन और आवेदन पर निर्णय स्वतंत्रता से संबंधित है इसलिए लंबित मामलों को जल्दी उठाया जाए और निपटाया जाए। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि इस बात का पता लगवाए कि कितने लोगों की जमानत लटकी हुई है और जेल नहीं बेल को प्राथमिकता देने वाली बात महज़ कागज़ी बनी हुई है। खुद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह चिंता की बात है कि बार-बार आदेश देने के बावजूद वही स्थिति बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्टों से ठीक ही कहा की जमानत और अग्रिम जमानत के आवेदनों को जल्दी निपटने की कोशिश करें लेकिन सुप्रीम कोर्ट को यह भी अध्ययन करना चाहिए कि यह मामला किस तरह का है। आखिर क्यों हाई कोर्ट में जमानत और अग्रिम जमानत के आवेदन लटके रहते हैं? सुप्रीम कोर्ट खुद मानता है कि बार-बार के आदेश के बावजूद स्थिति में बदलाव नहीं आया है तो इसके लिए उसकी ओर से क्या सिर्फ बात दोहराई जाएगी या कोई ठोस उपाय भी होंगे? इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को अपनी व्यवस्था भी देखनी चाहिए क्योंकि उमर खालिद जैसे लोग एक हज़ार से अधिक दिनों तक इस इंतजार में कैद में जिंदगी काट रहे हैं कि उन्हें जमानत मिलेगी। उमर खालिद अकेले नहीं है बल्कि उनके जैसे दर्जनों लोगों का आवेदन सुप्रीम कोर्ट में इंतजार कर रहा है। जमानत देने के बारे में जो दिशा निर्देश सुप्रीम कोर्ट जारी कर रहा है उसे पर अमल करके सुप्रीम कोर्ट एक बेहतर मिसाल पेश कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो लोगों का सुप्रीम कोर्ट में भरोसा बढ़ेगा वरना लोग यही कहेंगे कि जज साहिबान बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन अमल में ऐसा नहीं होता।

 

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