छ्पी-अनछपी: विधानसभा व परिषद दोनों जगह हंगामा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आग से खेल रहे पंजाब के गवर्नर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार विधानसभा और विधान परिषद दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही प्रभावित होने की खबर प्रमुखता से छपी है। विधानसभा से पास विधेयकों को लटकाने के मामले में पंजाब के राज्यपाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कठोर टिप्पणी की है जिसको भी अच्छी कवरेज मिली है।

भास्कर की लीड खबर है: हंगामा के नाम रहा शीतकालीन सत्र, पांच दिनों में मात्र 14 घंटे ही सदन चल सका। जागरण की सबसे बड़ी खबर है: विधान मंडल के दोनों सदनों में हंगामा। अख़बार लिखता है कि आखिरकार शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन भी हंगामा की भेंट चढ़ गया। विधानमंडल के दोनों सदनों में सत्ता पक्ष विपक्ष दलित और महिला अपमान के मसले पर भिड़ गए। नतीजा सदन की कार्यवाही लगातार बढ़ रही। दोनों पक्षों का हंगामा सिर्फ सदन के अंदर नहीं बाहर भी नजर आया। बाहर तो भाजपा और राज्य सदस्यों के बीच मिठाई खिलाने के मुद्दे पर नोकझोंक भी हुई। शुक्रवार को सत्र के अंतिम दिन विधानमंडल के दोनों सदनों में विधायी कार्य प्रारंभ हो इसके पहले ही सदन के बाहर धरना प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया था। सत्ता पक्ष के लोग जहां मोदी सरकार के शासन में महिलाओं पर हुए अत्याचार के मुद्दे पर आवाज बुलंद कर रहे थे तो वहीं भाजपा के नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के अपमान और मुख्यमंत्री के प्रजनन संबंधी बयान को लेकर हमलावर दिखे।

आरक्षण विधेयक परिषद से भी पास

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बिहार आरक्षण विधायक विधान परिषद से भी पास। शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को बिहार विधान परिषद से भी बिहार आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पास हो गया है। दूसरी पाली में राज्य की सरकारी नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण समेत कुल पांच विधेयक पेश हुए। सभी सर्वसम्मति से पास हो गए। एक दिन पहले गुरुवार को विधानसभा से बिहार आरक्षण विधेयक पास हो चुका था। शुक्रवार को विधान परिषद में मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 सदन में प्रस्तुत किया। इस पर पक्ष-विपक्ष दोनों ने सहमति जताई। भाजपा की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष हरि सहनी ने अतिपिछड़ों का आरक्षण कोटा और बढ़ाने की मांग की।

आग से खेल रहे पंजाब के गवर्नर: कोर्ट

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: आग से खेल रहे हैं राज्यपाल। विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के राज्यपाल की खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि ‘आप आग से खेल रहे हैं।’ अदालत ने कहा, राज्यपाल विधानसभा सत्र की वैधता पर संदेह करके पारित विधेयकों को मंजूरी देने से नहीं रोक सकते। सत्र पर संदेह लोकतंत्र के लिए बड़े खतरों से भरा होगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने पंजाब सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर ‘राज्यपाल की शक्तियों की सीमाओं’ को रेखांकित करते हुए यह फैसला दिया। पीठ ने पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को विधानसभा से पारित उन चार विधेयकों को मंजूरी देने पर निर्णय लेने को कहा, जो उनके समक्ष लंबित हैं। राज्यपाल ने जून, 2023 में पंजाब विधानसभा की सत्र की वैधता पर संदेह करते हुए विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।

टीचर वैकेंसी बढ़ी

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है: दूसरे चरण में बढ़ीं रिक्तियां, 1.22 लाख शिक्षकों की होगी बहाली। दूसरे चरण की शिक्षित नियुक्ति के तहत अब 1,22, 286 पदों पर बहाली होगी। इससे पहले बीएससी ने दूसरे चरण के तहत 69706 पदों पर शिक्षक बहाली और पिछड़ा वर्ग व अति  पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अंतर्गत 916 शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इन नियुक्तियों के लिए 5 नवंबर से रजिस्ट्रेशन भी चल रहा है। अब बीपीएससी ने शुक्रवार देर रात शिक्षा विभाग से मिले पत्र के आलोक में शिक्षक नियुक्ति के पहले चरण के से बची हुई 50,263 रिक्तियों को जोड़ा है।

इसराइल ने अस्पतालों के पास बम बरसाए

इसराइली सेना ने शुक्रवार को गजा के कई अस्पतालों के पास हवाई हमले किए। इस हमले में छह लोगों की मौत हो गई। सेना गजा के घने शहरी इलाके में घुसने का दावा कर रही है। इस वजह से हमास को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। हमले के बीच बड़े पैमाने पर लोगों ने दक्षिणी गाजा की ओर रुख किया। इसरायल ने दावा किया है कि हमास के लोग अस्पतालों में छिपे हुए हैं, जिससे अस्पतालों पर हमले किए जा रहे हैं। सेना ने कहा कि हमास ने शिफा अस्पताल परिसर को अपना मुख्य कमांड सेंटर बना लिया है। शिफा अस्पताल गजा का सबसे बड़ा अस्पताल है और इसके आस-पास काफी संख्या में लोगों का बसेरा है।

कुछ और सुर्खियां

  • धनतेरस पर 50000 करोड रुपए के कारोबार का अनुमान
  • देश के 22 प्रदूषित शहरों में 10 बिहार के, दिल्ली से अधिक पटना की हवा जहरीली
  • बीएससी सिविल सेवा की 69वीं पीटी का रिजल्ट जारी 5299 अभ्यर्थी हुए सफल
  • सारण जिले में दो युवकों को गोली मारकर भाग रहे अपराधी को भीड़ ने मार डाला
  • टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर समिति ने लोकसभा अध्यक्ष के दफ्तर को सौंप रिपोर्ट

अनछ्पी: बिहार विधानसभा और विधान परिषद का पांच दिन का सत्र ऐतिहासिक था लेकिन यह हंगामा की भेंट चढ़ गया। बिहार सरकार ने इस सत्र के दौरान न सिर्फ जातिगत सर्वेक्षण को पेश किया बल्कि राज्य में नौकरियां और दाखिले में रिजर्वेशन को 75% तक करने का बिल पास कराया। इस 75% रिजर्वेशन में 10% रिजर्वेशन ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से सामान्य वर्ग के कमजोर लोगों के लिए है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस प्रस्ताव पर भारतीय जनता पार्टी की सहमति दरअसल इस बात को साबित करता है कि आरक्षण के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी चाह कर भी सरकार का विरोध नहीं कर पाई। भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व की राजनीति पर चलती है और वह आरक्षण की विरोधी मानी जाती है लेकिन बिहार सरकार के इस प्रस्ताव पर राजनीतिक कारण से उसने हामी भरी है। भाजपा नेता सम्राट चौधरी तो चाहते हैं की अति पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रतिशत और बढ़ाया जाए। सन 2015 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण संबंधी दिए बयान पर काफी हंगामा हुआ था जिसमें उन्होंने इसकी समीक्षा करने की बात कही थी। लेकिन अब राजनीतिक जरूरत ऐसी हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी आरक्षण का समर्थन कर रही है। इस समर्थन को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरक्षण की समर्थक अन्य पार्टियों की सफलता माना जाना चाहिए। अफसोस की बात यह है कि जिस सत्र में इतना महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दो बयानों के कारण विधान सभा और विधान परिषद में हंगामा मचा रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इन दो बयानों से आरक्षण संबंधी प्रस्ताव के महत्व पर जितनी चर्चा होनी चाहिए शायद उतने नहीं हो रही। नीतीश कुमार के इन दो बयानों के लिए उनके समर्थक भी उनसे खुश नहीं है क्योंकि वह उनसे अधिक गंभीर बातों की अपेक्षा रखते हैं। यह साफ है कि अगर यह दो बयान नहीं दिए जाते तो आरक्षण का प्रस्ताव पारित होने पर ज्यादा चर्चा होती। बहरहाल अब सत्र समाप्त हो चुका है, इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर यह भार है कि वह आरक्षण संबंधी नए प्रस्ताव को आम जनता के बीच ले जाकर उसका महत्व समझाएं, तभी इसका राजनीतिक लाभ महागठबंधन को मिल सकता है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और महागठबंधन के दूसरे नेताओं पर भी यह जिम्मेदारी आती है।

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