छ्पी-अनछपी: ‘थके हुए’ नीतीश फिर एनडीए के सीएम बने, तेजस्वी का दावा- खेल अभी बाक़ी है

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। नीतीश कुमार ने रविवार को छठी बार एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली तो तेजस्वी यादव ने उन्हें थका हुआ बताया। नीतीश के साथ उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव ने दावा किया कि अभी खेल बाकी है। आज के अखबारों में इन्हीं दो खबरों की सबसे ज्यादा चर्चा है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी सुर्खी है: बिहार में नौवीं बार नीतीश सरकार। जागरण ने लिखा है: नौवीं बार नीतीश ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ। प्रभात खबर की सुर्खी है: नीतीश 9वीं बार सीएम, फिर एनडीए की सरकार। बिहार में रविवार को महागठबंधन सरकार की विदाई हो गई। नीतीश कुमार के नेतृत्व में छठी बार एनडीए सरकार का गठन हुआ। यह नीतीश का नौवां शपथ ग्रहण था। उनके साथ दो उप मुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा समेत आठ मंत्रियों ने शपथ ली। शपथ लेने के बाद नीतीश ने दावा किया कि राजग छोड़कर अब उनके कहीं और जाने का कोई सवाल ही नहीं है।जीतन राम मांझी के नौ महीने के कार्यकाल को छोड़कर 2005 से नीतीश कुमार लगातार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। इस बीच दो बार वर्ष 2013 और 2022 में उनका एनडीए से नाता टूटा। 2013 में अलग हुए और 2017 में फिर जुड़े। उसके बाद अगस्त 2022 में अलग होकर महागठबंधन में चले गए। रविवार को वे एनडीए के साथ आ गए हैं। नीतीश ने बतौर एनडीए मुख्यमंत्री 2000, 2005, 2010, 2017, 2020 में शपथ ली थी।

सम्राट और विजय उपमुख्यमंत्री

बिहार की नई सरकार में भाजपा के दो लोग सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह उपमुख्यमंत्री बने हैं। इनके अलावा 6 लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली। यह हैं- जदयू के विजय कुमार चौधरी, विजेंद्र प्रसाद यादव व श्रवण कुमार, भाजपा के प्रेम कुमार, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संतोष कुमार सुमन तथा निर्दलीय सुमित कुमार सिंह। 2017 में एनडीए की जो सरकार बनी थी, उसमें भाजपा की ओर से रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद उपमुख्यमंत्री बनाए गए थे।

पहले जहां थे, वहीं आ गए: नीतीश

नौवीं बार मुख्यमंत्री पद का शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हम पहले भी भाजपा के साथ थे। बीच में कहीं चले गए। अब पहले जहां थे वहीं आ गए हैं। अब इधर-उधर नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने विपक्ष को तेजी से एकजुट करने का प्रयास किया लेकिन उन लोगों ने कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में सरकार चलाना कठिन हो रहा था। सरकार के कार्य का श्रेय लेने की कोशिश चल रही थी।

खेल अभी बाक़ी है: तेजस्वी

जागरण की सुर्खी है: खेल अभी बाकी है, इसी साल खत्म हो जाएगा जदयू: तेजस्वी। बिहार में तेजी से बदलते घटनाक्रम में सरकार से बाहर होने के बाद आखिरकार पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा नीतीश जी का हम सम्मान करते थे और आगे भी करेंगे लेकिन खेल अभी बाकी है। मैं जो कहता हूं वह करता हूं और मैं कह रहा हूं 2024 में जदयू समाप्त हो जाएगा। तेजस्वी यादव राजद विधायक दल की बैठक के बाद पिछले 24 घंटे से मौन थे। तेजस्वी ने कहा, हमने गठबंधन धर्म का पालन किया है, हम उसी हिसाब से जनता के बीच आगे अपनी बातों को रखेंगे। उन्होंने कहा कि अगर हमारे गठबंधन की सरकार में काम किए गए हैं तो हम उसका क्रेडिट लेंगे ही लेंगे। उन्होंने कहा कि हमने थके हुए सीएम से काम करवाया।

जनता से विश्वासघात: खड़गे

हिन्दुस्तान के अनुसार नीतीश कुमार के रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने कहा, राज्य के लोग इस विश्वासघात के लिए उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह महागठबंधन छोड़ने के कुमार के फैसले के बारे में पहले से जानते थे। कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘एक्स’ पर लिखा, देश में आया राम-गया राम जैसे कई लोग हैं। पहले वे और हम मिलकर लड़ रहे थे। जब मैंने लालू प्रसाद और तेजस्वी से बात की तो उन्होंने भी कहा कि नीतीश जा रहे हैं। यदि कुमार रुकना चाहते तो वह रुक सकते थे, लेकिन वह जाना ही चाहते थे। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, इसलिए ये बात हमें पहले से ही पता थी, लेकिन इंडिया गठबंधन को बरकरार रखने के लिए हमने कुछ नहीं कहा।

स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

भास्कर ने लिखा है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ के बाद सत्ता पक्ष का पहला एक्शन सामने आया। विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ भाजपा के नंदकिशोर यादव ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को थमा दिया। नोटिस में कहा गया है कि नई सरकार की सत्ता में आने के बाद वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर इस सभा का विश्वास नहीं रह गया है। विधानसभा की प्रक्रिया के तहत विधानसभा अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव लाने के 14 दिन पहले सदन के सचिव को सूचना देनी होती है। ऐसे में यह सवाल है कि क्या अवध बिहारी चौधरी इस्तीफा दे देंगे।

कांग्रेस के विधायक एकजुट

पूर्णिया से प्रभात खबर की खबर है: कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक में 18 विधायक शामिल। कांग्रेस में टूट की आशंका के बीच रविवार को बिहार कांग्रेस विधानमंडल दल के सदस्यों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में कुल 19 में से 18 पार्टी के विधायक व अन्य एमएलसी शामिल हुए। इस बैठक में शिरकत करने के लिए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खास तौर से पूर्णिया आए थे।

राहुल गांधी की यात्रा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को जलपाईगुड़ी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सरकार पर देशभर में नफरत और हिंसा फैलाने तथा गरीबों व युवाओं के हितों को नजरअंदाज करके बड़े कॉरपोरेट घरानों के लिए काम करने का आरोप लगाया। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत आज सोमवार को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ नेता राहुल गांधी किशनगंज पहुंचेंगे।

मालदीव की संसद में लात घूंसे

मालदीव की संसद में रविवार को पक्ष और विपक्ष के सांसदों में जमकर लात-घूंसे चले। पूरी संसद अखाड़े में बदली नजर आई। दरअसल मामला विपक्ष के सांसदों को अंदर घुसने से रोकने के बाद बिगड़ा। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के कैबिनेट मंत्रियों के लिए संसदीय मंजूरी लेने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था। मीडिया के अनुसार, सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने विपक्षी सांसदों को संसद में प्रवेश करने से रोक दिया था।

यूजीसी: आरक्षण खत्म करने का सुझाव खारिज

शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए नए मसौदा दिशा निर्देशों से संबंधित सुझावों को खारिज कर दिया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जा सकता। यूजीसी ने सुझाव दिया था कि आरक्षित रिक्तियों के लिए उम्मीदवार उपलब्ध न होने पर उसे अनारक्षित घोषित किया जा सकता है।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार की नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक आज होगी
  • जदयू के पास रहेंगे पुराने विभाग, राजद के मंत्रियों की जगह लेंगे बीजेपी के मंत्री
  • 30 जनवरी और 3 फरवरी को आएगा पश्चिमी विक्षोभ, 6 फरवरी से फिर बढ़ेगी ठंड
  • झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से 31 जनवरी को पूछताछ कर सकती है ईडी
  • हरियाणा विधानसभा चुनाव अकेले व लोकसभा चुनाव साथ लड़ेंगे अरविंद केजरीवाल

अनछपी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलकर एनडीए के साथ जाने को लेकर विपक्षी दलों की शिकायत काम नहीं आएगी और उन्हें आक्रामक प्रचार प्रसार में लगना होगा। पलटी मारने का आरोप नीतीश कुमार पर बिल्कुल सही है लेकिन इसी पलटीमार नीति से अपना राजनीतिक करियर बचाए हुए हैं। इसलिए केवल टीवी-अखबारों में और सोशल मीडिया पर बयान देने से नीतीश कुमार और एनडीए का मुकाबला नहीं किया जा सकता। हालांकि पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि खेल अभी बाकी है लेकिन सच्चाई यह है कि विधानसभा में अब उनके लिए विपक्ष में बैठने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है। ध्यान रहे कि जदयू के 45 विधायक हैं और उनकी दो तिहाई को तोड़ने के लिए 30 विधायकों की जरूरत होगी जो फिलहाल नामुमकिन नजर आता है। तेजस्वी यादव और लालू परिवार पर ईडी का फंदा भी लटका हुआ है, इसलिए उन्हें दोतरफ़ा मेहनत करने की ज़रूरत होगी। एक तो अपने मुक़दमे देखने होंगे और दूसरे राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी। बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए सबसे बड़ा विपक्ष राजद ही है। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस है, इसलिए कांग्रेस अगर बिहार में इंडिया गठबंधन का अच्छा प्रदर्शन चाहती है तो उसे राजद और लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर जल्दी से जल्दी मैदान में उतरना होगा। फिलहाल कांग्रेस राहुल गांधी की यात्रा में पूरी ताकत झोंके हुए है और लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी में पीछे नजर आती है। नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का सूत्रधार माना जाता था और उनके छोड़कर जाने का एक कारण कांग्रेस के रवैया को भी बताया जाता है। ध्यान रखने की बात यह है कि जिन 16 सीटों को जदयू के खाते में जाना था वह अब इंडिया गठबंधन के दलों में ही जाएंगी। सवाल यह है कि क्या इन सीटों के लिए राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों ने तैयारी शुरू की है? नीतीश कुमार के एनडीए में जाने के कारण बिहार में भारतीय जनता पार्टी बहुत मजबूत नजर आएगी और ऐसे में एनडीए को हराने के लिए इंडिया गठबंधन को जितनी मेहनत करनी होगी उसका अंदाज़ा उसके नेताओं को शायद नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी का नाम, राम मंदिर लहर और नीतीश कुमार का एक साथ होना कोई मामूली चुनौती नहीं है। हालांकि विधानसभा चुनाव को लोकसभा से अलग माना जाता है लेकिन जिस तरह 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया था, अगर उसे दोहराया जाए तो कुछ हद तक चुनौती बन सकती है।

 

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