छपी-अनछपीः भाजपा नेताओं के आपत्तिजनक बयान पर अरब देशों का सख्त विरोध, समस्तीपुर में एक ही परिवार के पांच ने की आत्महत्या

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। पटना के हिन्दी अखबारों ने दो भाजपा नेताओं द्वारा दिये गये आपत्तिजनक बयानों पर अरब देशों के सख्त विरोध की खबर दबी-दबी सी छपी है। जागरण ने इस बारे में पहले पेज पर अपनी लीड छापी हैः भाजपा में हर धर्म के लिए सम्मान। इसी तरह की खबर हिन्दुस्तान ने छापी है- भड़काऊ बयानों बयानों पर भाजपा सख्त, दो पर गाज।
अलबत्ता, टाइम्स आॅफ इंडिया ने अरब दुनिया के गुस्से को पहले पेज की लीड बनाते हुए इसमें भाजपा की प्रवक्ता से हटायी गयी नुपूर शर्मा के पार्टी से निलंबन और एक अन्य प्रवक्त नवीन जिंदल के निष्कासन की खबर दी है। नुपूर ने टाइम्स नाऊ चैनल पर पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर बेहद अपमानजनक टिप्पणी की थी और जिंदल ने ट्विर पर।
जागरण ने इस विषय पर अपना संपादकीय दिया हैः सार्वजनिक विमर्श की भाषा।
हिन्दुस्तान और प्रभात खबर ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के बयान को पहले पेज की पहली खबर बनायी है। हिन्दुस्तान की हेडिंग है- पटना एम्स में 150 बेड का आईसीयू ब्लाॅक बनेगा।
भास्कर की लीड है- कर्मचारी की मौत होने पर उनके आश्रित को पुरानी पेंशन मिलेगी।
हिन्दुस्तान को छोड़कर सभी अखबारों ने समस्तीपुर में एक ही परिवार के पांच लोगों की आत्महत्या की खबर पहले पेज पर प्रमुखता से दी है। विद्यापतिनगर थाने के मउ गांव में रविवार की सुबह मनोज झा, उनकी मां, बीवी और दो बेटों की लाश फांसी पर लटकी मिली थी। यह परिवार खैनी का कारोबार करने वाला यह परिवार कर्ज में डूबा था और सूदखोर कर्जदाता उनपर बहुत अधिक दबाव बना रहे थे।
टाइम्स आॅफ इंडिया महागठबंधन द्वारा राज्य सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करने के र्काक्रम की खबर की सुर्खी तेजस्वी के बयान पर लगायी है- आरएसएस ने देश को हाइजैक कर रखा है। हिन्दुस्तान की हेडिंग है- सांप्रदायिक शक्तियों के आगे नहीं झुकेंगे।
उत्तराखंड में बस पलटने से 25 तीर्थयात्रियों की मौत की खबर भी प्रमुखता से छपी है।
अनछपीः भाजपा के प्रवक्ताओं द्वारा पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बारे में की गयी अपमाजनक टिप्पणियों पर कानपुर के मुसलमानों के विरोध और उनके खिलाफ की गयी इकतरफा कार्रवाई को हिन्दी अखबारों ने जानबूझकर नजरअंदाज किया था। अब जब यह बात अरब देशों तक पहुंची और वहां भारतीय राजदूतों को बुलाकर आपत्ति जतायी गयी तो हिन्दी अखबारों ने उन बयानों को दबा दिया और सिर्फ भाजपा के बयान को प्रमुखता दी ताकि देश में यह संदेश दिया जाए कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। हकीकत यह है कि अभी सिर्फ पार्टी से निलंबन या निष्कासन हुआ है, जिस कारण देश की छवि धूमिल हुई उस कारण के आधार पर अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे भड़काऊ भाषणों पर लागू होने वाले कानून के मुताबिक तो अब तक उन दोनों को जेल में होना चाहिए था। मगर कोई अखबार इस मुद्दे को नहीं उठा रहा। दूसरी बात, बात उन दो प्रवक्ताओं तक सीमित नहीं है। बात उन लाखों कथित बुद्धिजीवियों की है जो करोड़ों समर्थकों को दुनिया की कथित सबसे बड़ी पार्टी को वोट देने के लिए प्रेरित करते हैं और ऐसे बयान का स्रोत बनते हैं।

 

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