छपी-अनछपीः 80 % बिहारी शराबबंदी के साथ, तलाक-ए-हसन में सुप्रीम कोर्ट में बहस

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना। चाणक्य नेशनल लाॅ यूनिवर्सिट और एएन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान के एक सर्वे में बिहार के 80 प्रतिशत लोगों ने राज्य में शराबबंदी का साथ दिया है। यह खबर सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है। तीन तलाक की पाबंदी पर बने कानून के बाद तलाक-ए-हसन पर भी सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है। इसकी खबर टाइम्स आॅफ इंडिया ने प्रमुखता से छापी है। हालांकि आज सभी अखबारों की लीड अलग-अलग है।
हिन्दुस्तान में सबसे बड़ी खबर की सरकार के फैसले के बारे में है जिसके अनुसार पटना में 204 जातियों की गणना होगी। यह गिनती सरकार के जातीय जनगणना के फैसले के बाद की जाने वाली है। इस खबर में बताया गया है कि सभी जिलों में जाति आधारित गणना की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इसके लिए मोबाइल एप बनाया गया है। सबसे अधिक 113 जातियां अत्यंत पिछड़ा वर्ग में हैं जबकि एससी में 22, एसीटी में 32, पिछड़ा वर्ग में 30 और उच्च वर्ग में 7 जातियां हैं।
प्रभात खबर की लीड हैः बाढ़ को लेकर सरकार है अलर्ट, अभी खतरा नहीं। भास्कर में भी यही खबर सबसे बड़ी है जिसकी सुर्खी हैः गंगा उफान पर, फरक्का बराज के 63 गेट खोले गये, बारिश नहीं हुई तो हालात सुधरने में लगेंगे 17 दिन।
जागरण ने राष्ट्रीय खबर को प्रमुखता देते हुए अपनी सबसे बड़ी सुर्खी लगायी हैः राफेल सौदे की नये सिरे से जांच नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट का फ्रांस से दस्तावेज मंगाने के लिए एलआर जारी करने से इनकार। एलआर या लेटा रोगेटरी का मतलब है औपचारिक अनुरोध पत्र।
टाइम्स आॅफ इंडिया के पहले पेज पर दूसरी सबसे बड़ी खबर हैः सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पर नोटिस दिया, मेहर की रकम पर गौर करेगा। इस केस में अर्जी डालने वाली पत्रकार बेनजीर हिना का इल्जाम है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर तो पाबंद लगा दी है कि लेकिन कथित तौर पर काजियों की मिलीभगत से दिये जा रहे तलाक-ए-हसन से भी मुस्लिम महिलाएं पीड़ित हैं। उन्होंने इस तलाक की वैधता को चुनौती दी है और इसके इकतरफा इस्तेमाल की शिकायत की है। इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय कौल और एएस ओका ने कहा कि तलाक-ए-हसन की वैधता के बड़े मुद्दे पर निर्णय लेंगे। इसीलिए मुद्दई के शौहर को नोटिस दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में तलाक-ए-हसन की व्यवस्था है लेकिन इसकी प्रक्रिया सही होनी चाहिए। बंेच ने यह भी कहा कि तलाक के बाद दी जाने वाली मेहर की रकम भी बहुत छोटी होती है।
चार हजार परिवारों के बीच कराये गये सर्वे में के बारे में जागरण की सुर्खी हैः शराबबंदी के समर्थन में 80 प्रतिशत जनता, 62 प्रतिशत ने पुलिस कार्रवाई को बताया नाकाफी। भास्कर ने लिखा हैः बिहार में शराबबंदी सहीः राज्य के सभी जाति-वर्ग की महिलाओं और 80 फीसद से अधिक लोगों ने कहा- और कड़ाई से लागू हो।
दुनिया के अमीरतरीन लोगों में शामिल मुकेश अंबानी ने अपनी बेटी को 4.40 लाख करोड़ रुपये का रिटेल बिजनेस सौंपा है। इससे जुड़ी खबर भी प्रमुखता से छपी है।
अनछपीः बिहार में शराबंदी के बारे में आये इस सर्वे पर नेशनल मीडिया में बहुत चर्चा नहीं देखी जाएगी क्योंकि यह उसके मन के लायक खबर नहीं है। यह बात तो बिना शक मानने की है कि शराबबंदी से समाज को फायदा हुआ है। लड़ाई-झगड़े और हादसों में कमी आयी है। यह जरूर है कि इसकी वजह से शराब की तस्करी बढ़ी है। होम डिलीवरी की शिकायत भी सही है मगर इसका हल यह तो नहीं कि शराब की दुकानें हर गली-नुक्कड़ पर फिर से खोल दी जाएं। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह शराबबंदी की अपनी ही नीति को और सख्ती से लागू करे ताकि इस तरह के बहाने के सहारे शराब की बिक्री दोबारा चलाये जाने की मुहिम कामयाब न हो। यह बात भी याद रखनी चाहिए कि नकली शराब से होने वाली मौतों का संबंध शराबबंदी से नहीं है। ऐसी मौतें तो तब भी होती हैं जब शराबंदी का कानून नहीं था।

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