छपी-अनछपी: ट्विटर बंद करने की धमकी के आरोप को सरकार ने बताया झूठ, मांझी के मंत्री बेटे ने दिया इस्तीफा

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। ट्विटर के संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि किसान आंदोलन के दौरान उन्हें भारत सरकार से ट्विटर को बंद करने की धमकी का सामना करना पड़ा। जाहिर है भारत सरकार ने इस आरोप को गलत बताया है। इस खबर की जैसी कवरेज अंग्रेजी प्रेस में है वैसी हिंदी में नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और यह खबर सभी जगह छाई हुई है।

भास्कर ने पहले पेज पर खबर दी है: सरकार ने ट्विटर बंद करने की धमकी दी: जैक, यह झूठ है, उन्हें भारत के कानून से दिक्कत: केंद्र। अखबार लिखता है कि ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने एक इंटरव्यू में कहा कि किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार ने ट्विटर पर दबाव डाला था। उन्होंने कहा कि खासतौर से उन पत्रकारों के अकाउंट बंद करने के लिए कहा गया था जो सरकार के आलोचक थे। उन्होंने कहा कि हमें कहा गया था कि अगर आप हमारी बात नहीं मानोगे तो आपके दफ्तरों को बंद करवा देंगे कर्मचारियों के घरों पर छापे मारेंगे। हम भारत में ट्विटर बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि यह भारत की बात है, एक लोकतांत्रिक देश की। उनके इस बयान को केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर ने झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि डोर्सी के समय ट्विटर प्रशासन को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में दिक्कत होती थी। इस पर कांग्रेस नेता ने तंज़ किया है कि काले कानून तो वापस लेने पड़े मगर काली करतूतों का खुलासा जारी है।

संतोष का असंतोष

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: संतोष का इस्तीफा, रत्नेश बनेंगे मंत्री। भास्कर ने सुर्खी लगाई है: असंतोष…सुमन का इस्तीफा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी ने फिर पाला बदलने की तैयारी कर ली है। उन्होंने अपनी पार्टी को महागठबंधन से अलग कर लिया है। उनके पुत्र डा. संतोष कुमार सुमन ने मंगलवार को नीतीश कुमार की सरकार से इस्तीफा दे दिया। सुमन सरकार में एससी-एसटी कल्याण मंत्री थे। सरकार ने भी संतोष सुमन का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। राज्य मंत्रिमंडल में उनकी जगह तीसरी बार सोनबरसा (सहरसा) से जीतकर आये जदयू विधायक रत्नेश सदा शामिल किये जायेंगे।

महागठबंधन से बाहर

इस्तीफे के बाद संतोष सुमन ने कहा कि सत्तारूढ़ दल जदयू की तरफ से उनकी पार्टी हम के विलय का लगातार दबाव दिया जा रहा था। अब यह असहनीय हो गया था, इसलिए इस्तीफा देकर अलग होना ही विकल्प बचा था। उन्होंने यह भी कहा कि वह महागठबंधन में बने रहना चाहते हैं। लेकिन, यह महागठबंधन के दलों को तय करना है कि हमारा साथ चाहते हैं या नहीं। वहीं महागठबंधन के तीन वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव, ललन सिंह और विजय चौधरी ने एक सुर में कहा कि सुमन के इस्तीफे का मतलब साफ है, अब यह पार्टी महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। उधर, ‘हम’ के एनडीए के साथ जाने की संभावना है। अटकलें हैं कि मांझी राज्यपाल बनेंगे जबकि पुत्र गया सुरक्षित सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।

नीट टॉपरों में तमिलनाडु छाया

भास्कर ने पहले पेज पर खबर दी है नीट में तमिलनाडु का दबदबा टॉप 10 में टॉपर समेत चार जनरल कैटेगरी में 710 प्लस अंकों पर मिल पाएगा दिल्ली एम्स। तमिलनाडु के प्रभंजन जे और आंध्र प्रदेश के बोरा वरुण चक्रवर्तिल ने एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा नीट में 720 में 720 अंक लाकर संयुक्त रूप से पहला स्थान प्राप्त किया। तीसरे पायदान पर एससी श्रेणी के कौस्तुभ बोरी ने 716 अंक हासिल किए। टॉप 10 में 4 तमिलनाडु से हैं। पंजाब की प्रांजल अग्रवाल 715 अंकों के साथ महिला श्रेणी में टॉपर हैं उनकी ऑल इंडिया रैंक 4 है। टॉप 20 में बिहार के 2 छात्र हैं शशांक कुमार 715 अंक लाकर 14वें नम्बर पर हैं और राज्य में टॉपर हैं। शशांक सिंहा ने 712 अंक लाकर बीसवां स्थान पाया है।

विधायकों को क्षेत्र विकास के लिए मिलेंगे 4 करोड़

बिहार के विधायकों को अब अपने क्षेत्र के विकास के लिए सालाना 4 करोड़ मिलेंगे। हिन्दुस्तान के अनुसार मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया। कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि निर्माण सामग्री के मूल्य में वृद्धि के कारण प्रतिवर्ष प्रावधानित 3 करोड़ रुपए से कार्य कराने में कठिनाई महसूस हो रही थी। अब इस योजना के तहत हर साल 954 करोड़ की जगह 1274 करोड़ खर्च होंगे।

मणिपुर सीएम पर कुकी की आपत्ति

जागरण की खबर है: मणिपुर में शांति समिति में सीएम को शामिल करने से कुकी नाराज। मणिपुर में शांति बहाली के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेंद्र सिंह को शामिल किए जाने पर कुकी समुदाय ने नाराजगी जताई है वहीं मैतेई समुदाय ने इस प्रयास की सराहना की। कुकी समुदाय का कहना है कि समिति के गठन से पहले उनसे राय नहीं ली गई। इस बीच राज्य भर में चलाए गए अभियान के तहत 1040 हथियार बरामद किए गए। केंद्र की ओर से रविवार को मणिपुर के राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में किया 51 सदस्यों वाली शांति समिति का गठन किया गया था। कुकी समुदाय ने समिति में मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह को शामिल करने पर उसकी सहमति नहीं लेने की बात कही। कुकी प्रतिनिधियों का कहना है कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री पर सब कुछ छोड़ने के बजाय केंद्र सरकार को समिति का हिस्सा होना चाहिए।

कुछ और सुर्खियां

  • वैशाली के राघोपुर में मगरमच्छ ने बच्चे को खींचा जाल डाल लोगों ने निकाला पर मौत
  • शराबबंदी में बीडीओ और सीओ भी अब कर सकेंगे गिरफ्तार
  • तमिलनाडु में बिजली मंत्री के घर और सचिवालय में ईडी ने की छापेमारी
  • दिल्ली एनसीआर और तीन राज्यों में भूकंप के झटके
  • दरभंगा एम्स की जमीन केंद्र को नामंजूर तो 48 घंटे में ही डीएमसीएच के विस्तार का एलान, अब 2500 बेड होंगे
  • बिहार पहुंचने के एक दिन बाद ही स्थिर हुआ मानसून

अनछपी: यह अजीब इत्तेफाक की बात है कि लगातार दूसरे दिन हिंदी अखबारों ने उस खबर को तवज्जो नहीं दी जो भारत सरकार के खिलाफ जाती हुई दिखी। कोरोना टीका से जुड़े कोविन ऐप से 100 करोड़ लोगों के डेटा लीक होने की खबर को दबा दिया गया था और आज के अखबारों में ट्विटर के पूर्व सीईओ के उस आरोप को ओझल कर दिया गया है कि भारत सरकार ने ट्विटर को बंद करने की धमकी दी थी। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए यह अजीब बात है कि वह अपने हक की बात भी नहीं उठा पाता। यह बात भी देखने की है कि जिस चीज को अंग्रेजी अखबार उठाने की हिम्मत दिखाते हैं उसे हिंदी अखबार दबा देते हैं। वास्तव में यह हिंदी अखबार नहीं बल्कि बहुसंख्यक हिंदी भाषी क्षेत्र की समस्या है कि वह भारतीय जनता पार्टी की हर बात को सच मानने के लिए तैयार रहता है या उसे सच साबित करने की कोशिश में लगा रहता है। ट्विटर के मुकाबले फेसबुक पर भारतीय जनता पार्टी को अपने मनमाफिक बातें छपवाने में मदद मिलती थी और विरोधियों की बात हटाने में भी। इसलिए फेसबुक की ओर से अब तक ऐसा आरोप नहीं लगा है क्योंकि उसके अधिकारी पर यह आरोप लग चुका है कि उसने भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में माहौल तैयार किया। सोशल मीडिया कहने को तो सोशल मीडिया है लेकिन सच्चाई यह है कि उसका मालिक एक व्यक्ति या समूह होता है। अब उस मालिक यह समूह की ईमानदारी पर निर्भर है कि वह सभी को अपनी बात रखने की आजादी देता है या सरकार के दबाव या किसी और लालच में बहुत से लोगों की आवाज को दबा देता है। मेनस्ट्रीम मीडिया पर पूरी तरह कब्जे का आरोप झेल रही सरकार के लिए सोशल मीडिया पर भी कब्जे क्या यह आरोप नया नहीं है। जो बात पहले विपक्षी दल कहा करते थे अब सोशल मीडिया के मालिक ने वही बात कही है तो भारत सरकार पर प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने का आरोप मजबूत ही होता है। सिर्फ यह कह देने से कि आरोप झूठ है, लोग आसानी से मान जाएंगे, ऐसा नहीं लगता।

 

 

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