छ्पी-अनछपी: अमित शाह को आई सीएए की याद, मुफ्त राशन योजना पांच साल और

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता की एक सभा में यह कहा है कि सीएए को लागू होने से कोई रोक नहीं सकता। इस खबर को जागरण और प्रभात खबर ने अच्छी कवरेज दी है। केंद्र सरकार ने मुफ्त अनाज योजना को अगले 5 साल तक जारी रखने का फैसला किया है जिसे काफी प्रमुखता दी गई है।

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: सीएए को कोई रोक नहीं सकता। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का प्रचार खत्म होने के अगले ही दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश के बाद धर्मतला में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए शाह ने लोकसभा में बड़ी जीत के साथ ही 2026 में दो तिहाई बहुमत से बंगाल में भाजपा सरकार बनाने का दावा किया। सीएए के मुद्दे पर ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए शाह ने कहा कि इसे कोई रोक नहीं सकता। सरकार सीएए को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। संसद ने इस कानून को 2019 में मंजूरी दी थी।

मुफ्त राशन योजना

हिन्दुस्तान और जागरण की सबसे बड़ी खबर मुफ्त राशन योजना को पांच साल के लिए बढ़ाया जाना है। तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक एक दिन पहले केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को अगले पांच वर्षों से लिए बढ़ा दिया है। इसके तहत सरकार करीब 81.35 करोड़ लाभार्थियों को निशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि एमजीकेएवाई को एक जनवरी 2024 से अगले पांच वर्षों के बढ़ाया गया है।

पत्थरों से रिसते पानी से बुझाई प्यास

प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: छोड़ चुके थे जिंदा बचने की उम्मीद, जीवित रहने के लिए चाटा पत्थरों से रिस रहा पानी। उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग से सुरक्षित बचाए गए श्रमिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। उन्होंने बताया की शुरुआत में सभी ने जिंदा बचने की उम्मीदें छोड़ दी थीं। झारखंड निवासी 22 वर्षीय अनिल बेदिया ने बुधवार सुबह उत्तराखंड से फोन कर पीटीआई को बताया कि किस तरह उन्होंने सुरंग में शुरुआती दिन में पत्थरों से रिस रहे पानी को चाट कर जीवित रहने की कोशिश की। बेदिया ने कहा, “सुरंग के बंद होते ही तेज चीखें हवा में गूंज उठीं। सुरंग में दब जाने के दर से हम कांप उठे। सभी बदहवास थे। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। शुरुआत के कुछ दिन में हम जिंदा बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे।” प्रधानमंत्री कार्यालय ने श्रमिकों के साथ बातचीत का एक वीडियो जारी किया है। इसमें प्रधानमंत्री श्रमिकों से कहते दिख रहे हैं कि 17 दिन कोई कम वक्त नहीं होता, आप लोगों ने बहुत साहस दिखाया और एक दूसरे को हिम्मत बनाते रहे। आरा के सबा अहमद ने प्रधानमंत्री को बताया कि वे भाइयों की तरह थे, सब एक साथ सुरंग में टहलते थे।

मुन्ना क़ुरैशी का कमाल

प्रभात खबर की सुर्खी है: मुन्ना ने हटाया था आखिरी पत्थर, खुशी से उछल पड़े थे श्रमिक। उत्तरकाशी ‘रैट होल माइनिंग” तकनीक के विशेषज्ञ मुन्ना कुरैशी मलबे के आखिरी हिस्से को साफ कर सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों से मिलने वाले पहले व्यक्ति थे। दरअसल रेस्क्यू के 16वें दिन सोमवार को जब अमेरिकी मशीन जवाब दी गई तो 12 सदस्यीय रैट माइनर्स को बुलाया गया। सुरंग के आखिरी हिस्से को मुन्ना कुरैशी ने खोदा। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने सुरंग के अंदर का आखिरी पत्थर हटाया तो फंसे हुए श्रमिक उन्हें देख खुशी से झूम उठे। कुरैशी ने बताया कि श्रमिकों ने उन्हें जो इज्जत दी वह जिंदगी भर नहीं भूल सकते। मुन्ना कुरैशी दिल्ली के रॉकवेल इंटरप्राइजेज के कर्मचारी हैं। यह कंपनी सीवर लाइन और पानी की लाइनों की सफाई करती है।

टनल से निकलने के रास्ते नहीं बनाए

भास्कर की खबर है: टनल के मूल प्लान में बाहर निकालने के तीन रास्ते थे, कंपनी ने एक भी नहीं बनाया, निरीक्षण में अनदेखी। सिलक्यारा- डंडार गांव टनल का काम सेफ्टी ऑडिट के बाद भी जारी रहेगा क्योंकि यह टनल 12000 करोड़ रुपए के महत्वकांक्षी चार धाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का आम हिस्सा है। हालांकि इसके निर्माण खामियों पर उठ रहे सवालों पर निर्माण एजेंसी और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय अभी चुप है। भास्कर पड़ताल में पता चला है कि टनल प्रोजेक्ट के डीपीआर और निर्माण में बड़ा अंतर है। इसमें इमरजेंसी में टनल से बाहर निकालने के तीन रास्ते थे लेकिन कंपनी ने तब तक एक भी नहीं बनाया। टनल के निरीक्षण में भी विशेषज्ञों ने इसकी अनदेखी की।

अमेरिका का गंभीर आरोप

अमेरिका ने एक भारतीय नागरिक पर खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। मैनहट्टन में अमेरिकी अटॉर्नी के कार्यालय ने बुधवार को यह आरोप लगाया है। निखिल गुप्ता को चेक अधिकारियों ने जून में गिरफ्तार किया था। उसके प्रत्यर्पण का इंतजार है। मैनहट्टन के शीर्ष संघीय अभियोजक डेमियन विलियम्स ने एक बयान में कहा, प्रतिवादी ने भारत से न्यूयॉर्क शहर में पन्नू की हत्या की साजिश रची। 52 वर्षीय गुप्ता पर हत्यारे को एक लाख अमेरिकी डॉलर सुपारी देने का आरोप है।

गोलान छोड़े इसराइल

जागरण की खबर है: इसराइल से गोलान का कब्जा छोड़ने को कहा। सीरिया की गोलान पहाड़ियों से इसराइल के कब्जा न छोड़ने पर भारत ने गंभीर चिंता जताई है और वहां से हटाने की मांग का समर्थन किया है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र में आए प्रस्ताव का भारत में समर्थन किया है। इसराइल ने 1967 में हुए युद्ध के दौरान सीरिया के इस हिस्से पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई बार कहे जाने के बावजूद इसराइल ने वहां से अपनी सुना नहीं हटाई।

डाकिया से बनवाएं लाइफ सर्टिफिकेट

जागरण की विशेष खबर है: डाकिया से बनवाएं जीवन प्रमाण पत्र। पेंशन के लिए सालाना जीवन प्रमाण पत्र के लिए दिव्यांग, लाचार बुजुर्ग नागरिकों को डाकघर या सरकारी कार्यालय में जाने की जरूरत नहीं होगी। डाक विभाग 1 दिसंबर से घर पर जाकर जीवन प्रमाण पत्र देने की सेवा शुरू कर देगा। अब घर बैठे जीवन प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए मात्र ₹70 डाक विभाग फीस लेगा।

नफरती भाषणों पर सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह देश भर में नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने के लिए एक प्रशासनिक तंत्र स्थापित करने पर विचार कर रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह व्यक्तिगत मामलों से नहीं निपट सकता क्योंकि इससे केस की बाढ़ आ जाएगी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण को अदालत ने परिभाषित किया है और सवाल कार्यान्वयन तथा समझने का है कि इसे कैसे लागू किया जाए। कोर्ट ने कहा, हम बुनियादी ढांचा या प्रशासनिक मशीनरी स्थापित करना चाहते हैं। यदि इसमें कोई उल्लंघन होता है तो आप संबंधित हाईकोर्ट से संपर्क कर सकते हैं।

मणिपुर में समझौता

एक ऐतिहासिक घटनाक्रम के तहत केंद्र और मणिपुर सरकार ने इंफाल घाटी के सबसे पुराने हथियारबंद समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के साथ शांति समझौते पर बुधवार को दिल्ली में हस्ताक्षर किए। यूएनएलएफ का गठन 1964 में हुआ था और यह भारतीय क्षेत्र के भीतर और बाहर दोनों जगह काम कर रहा है। गृह मंत्रालय के अनुसार, समझौता पूरे पूर्वोत्तर, विशेषकर मणिपुर में शांति के एक नए युग की शुरुआत को बढ़ावा देने वाला है। ताजा समझौता शांति की दिशा में बड़ा कदम है।

कुछ और सुर्खियां

  • आईजीआईएमएस में जनवरी से मरीजों को मुफ्त दवा और जांच की सुविधा मिलेगी
  • भारत के शेयर बाजार का मार्केट कैप पहली बार 4 ट्रिलियन के पार
  • तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग आज
  • पटना एयरपोर्ट पर सुबह 10 बजे के बाद ही उतरेंगे विमान

अनछपी: पांच राज्यों के लिए होने वाले चुनाव के सिलसिले में आज अंतिम राज्य तेलंगाना में मतदान। उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता में एक दिन पहले सीएए के बारे में बयान दिया कि यह हर हाल में लागू होकर रहेगा। उन्होंने कहा कि सीएए को कोई रोक नहीं सकता। ध्यान रहे कि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और कई विधानसभाओं ने इसके विरुद्ध प्रस्ताव पारित किया है। यह कानून 2019 में ही संसद से पारित हुआ है लेकिन इसे लागू न करना सरकार की अपनी मर्जी है। सीएए लागू करने में सरकार भले देर कर रही हो लेकिन इसके विरुद्ध आंदोलन करने वाले कई लोग अब भी जेल में हैं। सरकार इस कानून को लागू करने के लिए कितनी गंभीर है यह तो आने वाले समय में पता चलेगा लेकिन इतना तय है कि उसके नेता इसे एक राजनीतिक मुद्दा बनाकर 2024 के चुनाव में फायदा लेना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव में सिर्फ राम मंदिर के मुद्दे को लेकर जीत के प्रति आश्वस्त नहीं है। ध्यान रहे कि 2024 के शुरुआत में ही राम मंदिर का उद्घाटन होना है और समझा जाता है कि इसका इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी अपने चुनाव या अभियान में करेगी। अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की सभा में सीएए को लागू करने की बात कही है। एक तरह से वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह चुनौती दे रहे हैं कि उनकी असहमति के बावजूद सीएए को लागू किया जाएगा। हो सकता है कि अमित शाह की अगली सभा जब बिहार में हो तो वह यही बात यहां भी दोहराएं। सीएए को अब तक लागू नहीं करने के पीछे क्या कारण है यह अमित शाह नहीं बता रहे लेकिन वह इसके नाम पर माहौल को गर्म जरूर करना चाहते हैं। राजनीति के इस खेल से विपक्षी दल कैसे निपटते हैं यह देखने वाली बात होगी।

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