छ्पी-अनछपी: सीतामढ़ी में शराब पार्टी के बाद पांच की मौत, यूपी में हलाल सर्टिफिकेट पर पाबंदी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट पटना। सीतामढ़ी में शराब पार्टी के बाद पांच लोगों की मौत की खबर अलग-अलग तरीके से अखबारों में छपी है। उत्तर प्रदेश में हलाल प्रोडक्ट्स के सर्टिफिकेट पर पाबंदी लगाने की खबर भी प्रमुखता से ली गई है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आज हो रहे विश्व कप क्रिकेट के फाइनल और छठ की खबर छाई हुई है।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: सीतामढ़ी: छह ने शराब खरीद की थी पार्टी, पांच की मौत, पुलिस के डर से शव को जलाया। हिन्दुस्तान में यह खबर अंदर है जिसकी सुर्खी है: संदिग्ध परिस्थितियों में पांच की मौत, जहरीली शराब पीने की आशंका। जागरण व प्रभात खबर ने भी इसे अंदर ही जगह दी है। भास्कर लिखता है कि सीतामढ़ी के बाज़पट्टी थाना क्षेत्र में कथित तौर पर शराब पीने से पांच लोगों की मौत हो गई। वहीं पुपरी डीएसपी विनोद कुमार ने शराब पीने से दो लोगों के बीमार होने की जानकारी मिलने की बात कही है। इलाज कर रहे डॉक्टर प्रवीण कुमार ने शराब के सेवन की बात कही है। इधर मौत की खबर के बाद से एसपी मनोज कुमार तिवारी के निर्देश पर पुलिस ने बाजपट्टी थाना क्षेत्र के महुआइन गांव में छापेमारी कर शराब बरामद करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। शुक्रवार को जिले के बाज़पट्टी थाना क्षेत्र के महेश कुमार, अवधेश कुमार, विक्रम कुमार, रामबाबू राय, संतोष महतो व रोशन यादव की तबीयत अचानक से बिगड़ गई। परिजनों ने इलाज के लिए स्थानीय निजी क्लीनिक में भर्ती कराया जहां चिकित्सक ने एक-एक कर सभी को रेफर कर दिया। इस बारे में एसपी मनोज कुमार तिवारी ने बताया कि मौत के कारण का पता लगाया जा रहा है। पुलिस ने एक का शव पोस्टमार्टम कराया है। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारण का स्पष्ट पता चल सकता है।

हलाल सर्टिफिकेट अब ‘हराम’

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: उत्तर प्रदेश में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध। भास्कर ने लिखा है: उत्तर प्रदेश में हलाल के नाम सर्टिफिकेट देना ‘हराम’। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कथित हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर रोक लगाने का बड़ा फैसला किया है। राज्य के खाद्य सुरक्षा आयुक्त की ओर से शनिवार को इस बारे में आदेश जारी किया गया है। देश में मानकीकरण के केंद्र सरकार के संस्थानों के समानांतर कई संगठनों और ट्रस्ट के जरिए हलाल संबंधी सर्टिफिकेट देने के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में आशंका जताई गई है कि हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर करोड़ों रुपए ऐंठ कर आतंकवादी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग की जा रही है। बिना किसी अधिकार के शाकाहारी उत्पादों जैसे तेल, साबुन, टूथपेस्ट और शहद को हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। जमीयत उलेमा दिल्ली, हलाल इंडिया, चेन्नई, हलाल काउंसिल, मुंबई सहित चार संगठनों पर केस दर्ज हुआ है।

छठ घाटों पर उमड़ेंगे लोग

प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: छठ घाटों पर उमड़ेगा आस्था का सैलाब। हिन्दुस्तान ने लिखा है: राज्य के 80 लाख से अधिक छठ व्रती आज हस्ताचल गामी सूर्य को देंगे अर्घ्य।  लोक आस्था के महापर्व छठ का उत्साह खरना के साथ उत्कर्ष पर पहुंच गया। बिहार में घर-घर में छठ के गीत गूंज रहे हैं और भक्ति-भाव से पूजन-अर्चन की तैयारी में हर आम-और-खास जुटे हैं। जानकारी के मुताबिक, बिहार में तकरीबन 2.97 करोड़ परिवारों में से 80 लाख से अधिक परिवारों में छठ महापर्व मनाया जा रहा है। एक-एक परिवार में चार-पांच तक व्रती हैं, जो जलाशयों में कर जोर समभाव से रविवार को अस्ताचलगामी तथा सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे।

वर्ल्ड कप क्रिकेट का फाइनल आज

अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में रविवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत 12 साल बाद तीसरी बार वनडे विश्व कप खिताब जीतने का सपना लेकर उतरेगा। सामने होगा ऑस्ट्रेलिया। फाइनल में भारत के सामने ऑस्ट्रेलिया की मौजूदगी ने मुकाबले को और खास बना दिया है। 2003 में ऑस्ट्रेलिया ने ही भारत को खिताबी मुकाबले में मात देकर सपना तोड़ा था। दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम में 1.30 लाख दर्शक मैच की एक-एक गेंद पर टीम इंडिया की हौसलाफजाई करेंगे।

दक्षिणी ग़ज़ा में इसराइल के हमले में 47 की मौत

जागरण के अनुसार उत्तरी ग़ज़ा पर नियंत्रण कायम करने के बाद इसराइली सेना ने ग़ज़ा पट्टी के दक्षिणी भूभाग पर शनिवार को बड़े हवाई हमले किए। इन हमलों में 47 फलस्तीनी मारे गए हैं। इससे पहले इसराइली सेना ने आम लोगों को इलाका छोड़कर दूसरी जगह जाने के लिए कहा था। दक्षिणी ग़ज़ा ही वही फलस्तानी इलाका है जिसे सुरक्षित बताकर चार हफ्ते पहले इसराइली सेना ने उत्तरी भाग से लोगों को भेजा था। ग़ज़ा में इसराइली हमले में अभी तक 12000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

मीरा ओपन एआई की नई सीईओ

चैट जीपीटी को बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ओपन एआई ने सीईओ सैम ऑल्टमैन को पद से हटा दिया है। उनकी जगह कंपनी की मुख्य तकनीकी अधिकारी भारतीय मूल की मीरा मुराती को अंतरिम सीईओ बनाया गया है। सह- संस्थापक ग्रेग ब्रॉकमैन को भी बोर्ड से हटा दिया गया।

कुछ और सुर्खियां

  • चार विश्वविद्यालयों में वीसी समेत कई को अधिक वेतन दे दिया, अब वसूली होगी
  • मुजफ्फरपुर में युवक की गर्दन में फंस कर फटा रॉकेट, गई जान
  • तमिलनाडु विधानसभा से फिर पारित हुए राज्यपाल के लौटाए 10 विधायक
  • बिहार में 30 हज़ार निजी ट्यूबवेल लगाए जाएंगे, 50% से 80% तक अनुदान देगी सरकार
  • जूनियर इंजीनियर भर्ती की परीक्षा में 12227 सफल

अनछ्पी: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को अब हलाल सर्टिफिकेशन से परेशानी है। वहां अब वैसा कोई भी सामान नहीं बेचा जा सकेगा जिसमें हलाल सर्टिफिकेट दिया गया हो। इस फैसले के पीछे कोई ठोस कारण तो नहीं नजर आता लेकिन आरोप लगाने के लिए कहा गया है कि इससे कमाई बहुत होती है और उसके पैसों का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों में किया जाता है। इस बारे में एफआईआर दर्ज करवाने वाले भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व उपाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि किसी उत्पाद पर प्रमाणपत्र सरकारी संस्था द्वारा ही दिया जा सकता है। गैरकानूनी रूप से ये संस्थाएं करोड़ों की वसूली कर रही हैं।

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि प्रतिबंध केवल यूपी के घरेलू बाजार में बिक्री पर प्रभावी होगा। हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों के निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह कैसी दलील है कि निर्यात के लिए तो हलाल सर्टिफिकेशन को सही कर दिया गया है जबकि घरेलू इस्तेमाल के लिए उसे गलत बताया जा रहा है? यह समझने की जरूरत है कि दरअसल हलाल सर्टिफिकेशन से क्या साबित होता है। हलाल सर्टिफिकेशन यह बताता है कि किसी सामान में ऐसा कोई पदार्थ शामिल नहीं है जो इस्लाम की नज़र में हराम है। आरोप लगाया गया है कि हलाल सर्टिफिकेट से दूसरे धर्म के लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। वास्तव में यह कोई आधार नहीं बल्कि एक ऐसे वर्ग की नफरत है जो मुसलमान या इस्लाम को कहीं भी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करता। भारत में हलाल सर्टिफिकेशन लंबे अरसे से चला आता रहा है और अब तक किसी एजेंसी ने यह नहीं कहा कि उनकी कमाई से आतंकियों को मदद मिलती है। सर्टिफिकेशन का यह काम कंपनियों के अनुरोध पर होता है जिन्हें अपना सामान खाड़ी और अन्य मुस्लिम देशों में बेचना होता है। जब विदेशों में ऐसे सर्टिफिकेशन की अनुमति दी गई है तो देश में देने से क्या नुकसान हो जाता? वास्तव में इसके पीछे एक नफरत की सोच है जो यह बताना चाहती है कि हम इस्लाम और मुसलमान को बर्दाश्त नहीं कर सकते। जिन कंपनियों पर हलाल सर्टिफिकेशन देने के कारण एफआईआर दर्ज की गई है वह अपना मुकदमा अदालतों में लड़ेंगे और उम्मीद की जा रही है कि वहां से उन्हें जीत मिलेगी। लेकिन इससे आम भारतीयों के बीच फैलने वाली नफरत को कैसे रोका जा सकेगा? यह बात हर भारतीयों को मालूम होती है कि मुसलमान के लिए हलाल क्या है और क्या नहीं। जब सदियों से यह बात सबको पता है और उससे कोई नुकसान नहीं हुआ तो अब ऐसी क्या आफत आ पड़ी? यह कार्रवाई समाज में नफरत फैलाने वाली है और इसे वापस लिया जाना ही सही बात होगी।

 

 

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