छपी-अनछपी: स्कूलों में छुट्टी कटौती का आदेश वापस, तेज़ी से फैलते डेंगू के मद्देनजर अलर्ट

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार के स्कूलों में छुट्टियों की कटौती का आदेश वापस लेने की खबर सभी जगह पहले पेज पर प्रमुख है। पटना और बिहार के दूसरे हिस्सों में डेंगू के बढ़ते मामले को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अलर्ट रहने को कहा है। इसकी खबर भी पहले पेज पर है।

भास्कर की सबसे बड़ी खबर है: स्कूलों में 23 छुट्टियों को घटाकर 11 करने का आदेश वापस। हिन्दुस्तान ने लिखा है: राहत: सूबे के सरकारी स्कूलों में छुट्टी कटौती का आदेश वापस। शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों के लिए हाल में की गई छुट्टी कटौती के आदेश को वापस ले लिया है। 29 अगस्त को जारी आदेश को सोमवार को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। पहली से लेकर 12वीं तक के स्कूलों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने अधिसूचना जारी की है। इसके तहत राजकीय, राजकीयकृत, प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था ही प्रभावी रहेगी।

क्या हुआ था बदलाव

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने विद्यालयों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था में बदलाव कर दिया था। इसमें दिसम्बर तक छुट्टी में कटौती का आदेश जारी किया गया था। 31 अगस्त को रक्षा बंधन पर छुट्टी समाप्त कर दी गई थी। दिसम्बर तक कई त्योहारों पर 23 छुट्टियां थीं, जिसे घटाकर 11 कर दी गई थी। तब छुट्टी कटौती आदेश जारी करते हुए विभाग ने कहा था कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में से पांचवीं तक कम-से-कम 200 दिन तथा छठी से आठवीं तक 220 दिनों के कार्यदिवस का प्रावधान है।

डेंगू के मद्देनजर अलर्ट का आदेश

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है अस्पताल व ब्लड बैंकों को पूरी तैयारी रखना का निर्देश। जागरण की मेन हेडलाइन है: डेंगू को ले स्वास्थ्य विभाग अलर्ट रहे: सीएम। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डेंगू के मद्देनजर अस्पतालों और ब्लड बैंकों को पूरी तैयारी रखने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री सोमवार को एक अणे मार्ग स्थित संकल्प में डेंगू को लेकर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से दो टूक कहा कि डेंगू पीड़ितों के इलाज और बीमारी की रोकथाम में कोई कोताही न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट रहे। अस्पतालों में सभी जरूरी चीजों का इंतजाम रखें। अस्पतालों में बेड, चिकित्सा और दवा की कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

भाजपा की दौलत

भास्कर की खबर है: 8 दलों की संपत्ति 8829 करोड़, अकेले भाजपा की 6046 करोड़। चुनाव सुधारो की वकालत करने वाले निकाय एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स या एडीआरए की सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में 8 राष्ट्रीय दलों की कुल संपत्ति बढ़कर 8829.16 करोड रुपए हो गई। यह वर्ष 2020-21 में 7297.62 करोड रुपए थी। यानी 8 राष्ट्रीय दलों की दौलत एक साल में 21% बढ़ गई है। अलग-अलग दलों की बात करें तो सबसे ज्यादा करीब 6046.81 करोड रुपए की संपत्ति अकेले भाजपा की है। एक साल में भाजपा की संपत्ति 1056 करोड़, कांग्रेस की 114 करोड़ और तृणमूल की 276 करोड रुपए बढ़ी है। बहुजन समाज पार्टी एक ऐसी पार्टी है जिसकी दौलत 2020-21 में 732.79 करोड़ थी जो 2021-22 में घटकर 690.71 करोड़ रह गई।

मणिपुर में पत्रकारों पर केस

मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने उन पर राज्य में संघर्ष भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया। कहा कि अगर मुझे पहले पता होता तो उन्हें प्रवेश नहीं करने देते। एडिटर्स गिल्ड ने पिछले सप्ताह प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया में आयी खबरें एकतरफा हैं। साथ ही उसने राज्य नेतृत्व पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था। एफआईआर में प्रेसिडेंट सीमा मुस्तफा के अलावा तीन सदस्यों सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर के नाम हैं।

सनातन पर ‘इंडिया’ मौन क्यों: राजनाथ?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सनातन धर्म पर द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी को लेकर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर हमला बोला है। उन्होंने सोमवार को कहा कि गठबंधन में शामिल लोगों को सनातन धर्म के अपमान के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अशोक गहलोत जैसे कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर मौन क्यों हैं। इधर मुजफ्फरपुर में इस मामले पर एक कंप्लेंट केस दायर किया गया है।

कुछ और सुर्खियां

  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 16 सितंबर को झंझारपुर में सभा
  • संसद के विशेष सत्र में संविधान से ‘इंडिया’ शब्द हटाने का विधेयक ला सकती है सरकार
  • बिहार को दूसरे दिन भी बिजली कम मिली, जिलों में 9 घंटे तक कटौती
  • आम्रपाली बिल्डर ग्रुप के पूर्व सीएमडी अनिल शर्मा को जमानत
  • चेहल्लुम की छुट्टी 6 को नहीं, अब 7 सितंबर को होगी
  • अल्पसंख्यक समुदाय की 3000 युवतियों को सरकार की ओर से मिलेगी मुफ्त कोचिंग
  • चंद्रयान-3 का लक्ष्य समय से पहले पूरा, विक्रम ने चांद की सतह पर लैंडिंग का प्रयोग दोहराया

अनछपी: एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के प्रमुख सदस्यों पर मणिपुर सरकार द्वारा एफआईआर दर्ज करने की घटना बहुत ही दुखद और गंभीर है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया देश के कोने-कोने में फैले पत्रकारों के पक्ष में आवाज उठाती है लेकिन अब खुद एडिटर गर्ल्स के पदाधिकारियों को ही एफआईआर का सामना करना पड़ रहा है। ध्यान रहे कि मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है यानी राज्य सरकार भी भाजपा की है और भारतीय जनता पार्टी पर जब यह आरोप लगाया जाता है कि उसकी सरकार प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले कर रही है तो उसके नेता तिलमिला जाते हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया की एक टीम मणिपुर फैक्ट फाइंडिंग के लिए गई थे और इसका कहना है कि वहां की रिपोर्टिंग में भेदभाव की गई है और राज्य सरकार ने भी हिंसाग्रस्त समुदायों के बीच भेदभाव किया है। कायदे से राज्य सरकार को इन सवालों का जवाब देना चाहिए लेकिन इसके बदले उन्होंने उन्हें धमकाने के लिए एफआईआर दर्ज कर दी। यही नहीं मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह कह रहे हैं कि उन्हें राज्य में प्रवेश ही नहीं दिया जाना चाहिए था। मणिपुर के मुख्यमंत्री को इस बात पर शर्मिंदगी होनी चाहिए कि 100 दिन से अधिक से वहां हिंसा जारी है और हिंसा पर नियंत्रण करने के बदले वह पत्रकारों को काबू में करना चाहते हैं। वास्तविकता यह है कि अगर मीडिया में मणिपुर की खबरें नहीं आती तो आज वहां की हालत और बुरी होती और लोगों की पीड़ा की सीमा नहीं रहती। दूसरी वास्तविकता यह है कि जो खबरें आई हैं, वह वहां की हिंसा के हिसाब से कम ही आई हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता इस विषय पर तो नहीं बोलेंगे लेकिन विपक्षी गठबंधन इंडिया को यह मुद्दा जरूर उठाना चाहिए कि आखिर पत्रकारों को अपना काम करने के बदले एफआईआर क्यों झेलनी पड़ेगी? यह मणिपुर सरकार की बेहद जालिमाना कार्रवाई है और कोर्ट को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए। ध्यान रहे कि मणिपुर की हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट की भी नजर बनी हुई है और उसने कई ऐसे आदेश दिए हैं जो राज्य सरकार की कमियों के कारण देने पड़े थे।

 

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